बरसात में दुधारू पशुओं को होने वाले ये 5 गंभीर रोग, जानें बचाव के घरेलू उपाय

बरसात में दुधारू पशुओं को होने वाले ये 5 गंभीर रोग, जानें बचाव के घरेलू उपाय

बरसात में पशुओं को रोगों से बचाव के लिए गौशाला को पानी से बचाकर रखने के उपाय करें. इसके साथ ही पशुओं को हमेशा सूखाकर ही चारा खिलाएं. अगर चारे में नमी रहेगी, तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा. वहीं, भीगे पशुओं को कपड़े से पोंछ कर हवादार स्थान में ही बांधे. इसके अलावा उन्हें ज्यादा हरा चारा न खिलाएं.

बरसात में दुधारू पशुओं को हो सकता संक्रमण. (सांकेतिक फोटो)बरसात में दुधारू पशुओं को हो सकता संक्रमण. (सांकेतिक फोटो)
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jul 02, 2024,
  • Updated Jul 02, 2024, 5:04 PM IST

लगभग पूरे देश में मॉनसून का आगमन हो गया है. इसके साथ ही बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल और झारखंड सहित कई राज्यों में बारिश शुरू हो गई है. गांव से लेकर शहरों तक में जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो गई है. ऐसे में बरसाती रोग पनपने की संभावना भी बढ़ गई है. इससे सबसे ज्यादा चिंतित किसान हैं, क्योंकि बारिश के मौसम में मवेशियों को सबसे ज्यादा संक्रमित रोग अपनी चपेट में लेते हैं. इससे कई बार तो दुधारू पशुओं की मौत भी हो जाती है. ऐसे में किसानों को बरसाती रोग से मवेशियों को बचाने के लिए पूरी अच्छी तरह से तैयारी कर लेनी चाहिए.

पशु चिकित्सकों के मुताबिक, बारिश होने पर जगह-जगह पानी भर जाता है. ऐसे में पानी में अधिक भीगने से पशुओं में न्यूमोनिया और ब्रोंकाइटिस का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा बारिश के मौसम में संक्रमित चारा चरने से गाय-भैंसों को गलघोंटू होने का भी खतरा रहता है. ऐसे बरसात में खुरपका- मुंहपका एवं फड़ सूजन का रोग दुधारू पशुओं को सबसे ज्यादा परेशान करता है. खुरपका-मुंहपका रोग होने पर मवेशी के पैरों में घाव हो जाते हैं. इससे उन्हें चलने में परेशानी होती है. साथ ही मुंह से लार टपकने लगता है. विशेषज्ञों का कहना है कि कीचड़ में ज्यादा समय तक पशुओं को बांधने से खुरपका-मुंहपका रोग होता है. इसलिए उन्हें हमेशा सूखी जगह पर ही बांधें. साथ ही समय पर इलाज भी कराएं.

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खुरपका- मुंहपका रोग का असर 

वहीं, खुरपका- मुंहपका रोग होने पर मवेशी चारा खाना बंद कर देते हैं. इससे दूध उत्पादन प्रभावित हो जाता है. इसके अलावा बारिश के मौसम में दुधारू मवेशियों को पेट फूलना व दस्त होना भी आम बात है. वहीं, किलनी कलीली के कारण त्वचा रोग भी होता है. जबकि, ज्यादा समय तक पानी में रहने से फूंटराट रोग होता है. इससे मवेशियों का पैर सड़ने लगता है. सबसे बड़ी बात है कि बरसात में चारे में फफूंद लग जाते हैं. इसे खाने पर पशु संक्रमित हो जाते हैं.

रोगों से इस तरह करें बचाव

बरसात में पशुओं को रोगों से बचाव के लिए गौशाला को बरसात के पानी से बचाकर रखने के उपाय करें. इसके साथ ही पशुओं को हमेशा सूखाकर ही चारा खिलाएं. अगर चारे में नमी रहेगी, तो संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा. वहीं, भीगे पशुओं को कपड़े से पोंछ कर हवादार स्थान में ही बांधे. इसके अलावा उन्हें ज्यादा हरा चारा न खिलाएं. इससे पेट खराब होने की संभावना बढ़ जाती है. अगर भूसे में धुंध या जाला लग गया हो तो अच्छी तरह धोकर और सुखाकर ही खिलाएं. अगर संभव हो तो उसे यूरिया मोलासीस से उपचारित करके ही दें.

चिकित्सकों से कराएं इलाज

एक्सपर्ट की माने तो जिस क्षेत्र में गला घोटू रोग फैला हो, इस रोग के टीके की दूसरी खुराक जरूर लागवाएं. वहीं, खुरपका मुंहपका का टीका यदि अभी न लगवाया हो तो तुरंत लगवा दें. संभव हो तो बरसात खत्म होने पर मवेशियों को कृमि नाशक दवा दें. जरूरत पड़ने पर बीमार पशुओं को चिकित्सक से इलाज कराएं. 

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