लोगों की बचत तेजी से घट रही और कर्ज बढ़ता जा रहा, RBI की फाइनेंशियल रिपोर्ट में जताई गई चिंता 

लोगों की बचत तेजी से घट रही और कर्ज बढ़ता जा रहा, RBI की फाइनेंशियल रिपोर्ट में जताई गई चिंता 

कोरोना के बाद से भारतीयों की बचत में भारी गिरावट आई है. वहीं, फिक्स्ड एसेट्स की तरफ मोह बढ़ने से भारतीयों पर कर्ज का बोझ भी बीते कुछ बरसों के दौरान बढ़ा है. हाल ही में RBI ने भी कुछ बैकों के डिपॉजिट से ज्यादा कर्ज होने पर सीक्रेट ऑडिट की बात कही थी.

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लोगों की बचत तेजी से घट रही और कर्ज बढ़ता जा रहा, RBI की फाइनेंशियल रिपोर्ट में जताई गई चिंता RBI के मुताबिक लोग कम बचत कर रहे हैं और कर्ज ज्यादा ले रहे हैं.

भारतीय रिजर्व बैंक की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में कहा गया कि कोविड के बाद से लोगों के ऊपर कर्ज का बोझ बढ़ता जा रहा है. RBI के मुताबिक लोग अब कम बचत कर रहे हैं और कर्ज भी ज्यादा ले रहे हैं जिसके असर से बीते दस बरसों में लोगों की बचत में भी भारी कमी आई है. RBI ने इससे देश की आर्थिक स्थिरता को खतरा होने की आशंका जताई है. 

बचत में तेज गिरावट चिंता का कारण

RBI के मुताबिक कुल मिलाकर कारोबारी साल 2022-23 में लोगों की बचत घटकर जीडीपी के 18.4 फीसदी के बराबर रह गई है. 2013 से 2022 के बीच ये औसतन 20 फीसदी थी. इसी तरह 2013 से 2022 तक लोग अपनी कमाई का औसतन 39.8 फीसदी बचाते थे. लेकिन, 2022-23 में ये घटकर 28.5 परसेंट रह गया है. 2013 से 2022 तक लोग अपनी कमाई में GDP का औसतन 8 परसेंट बचाते थे लेकिन 2023 में ये 5.3 फीसदी रह गया.

बचत और खर्च की आदतों में बदलाव 

जानकारों का मानना है कि कोविड के बाद लोगों की बचत और खर्च करने की आदतों में काफी बदलाव देखा गया है. हालांकि, इसमें काफी बड़ा रोल कर्ज लेकर घर जैसे एसेट्स बनाने का भी है जिससे लोगों की बचत निवेश की तरफ डायवर्ट होने लगी है. बचत की जगह निवेश में लोगों की दिलचस्पी बढ़ने से कर्ज का बोझ भले ही बढ़ गया है, लेकिन भारत में ये कर्ज दूसरी उभरती अर्थव्यवस्थाओं के मुकाबले कम है. हालांकि, भारत का कुल कर्ज GDP का करीब 40.1 परसेंट है, जो आरबीआई के मुताबिक प्रति व्यक्ति GDP के लिहाज से 'तुलनात्मक तौर पर ज्यादा है. 

फिजिकल एसेट्स की तरफ शिफ्ट बढ़ा

RBI का मानना है कि घरेलू वित्तीय बचत जो कोविड-19 महामारी के दौरान तेजी से बढ़ी थी अब कम हो गई है. इसकी वजह लोगों का फिजिकल एसेट्स की तरफ शिफ्ट होना है. इसके साथ ही लोग अब अपनी सेविंग्स को डायवर्सिफाई करते हुए अपनी बचत को गैर-बैंकिंग और कैपिटल मार्केट में लगा रहे हैं. RBI की फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में कहा गया है कि शेड्यूल्ड कमर्शल बैंकों का ग्रॉस NPA रेशियो कई साल के निचले स्तर 2.8 फीसदी पर आ गया है. जबकि, नेट NPA रेशियो मार्च 2024 के आखिर में घटकर महज 0.6 परसेंट रह गया है.

RBI ने कहा कि ग्लोबल इकॉनमी टेंशन और हाई पब्लिक डेट से जोखिम का सामना कर रही है, लेकिन भारत का फाइनैंशल सिस्टम मजबूत बना हुआ है. (आदित्य के राणा) 

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