राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भले ही अपनी सरकार रिपीट कराने के लिए जी-तोड़ मेहनत कर रहे हों, लेकिन सरकार से नाराजगी भी कम नहीं है. बीते दिनों गहलोत ने कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ मुख्यमंत्री कामधेनु पशु बीमा योजना की शुरूआत की थी. अब इसी योजना का बहिष्कार प्रदेश के पशु चिकित्सकों ने कर दिया है. प्रदेशभर के वेटनरी डॉक्टर हड़ताल पर हैं. इसीलिए उन्होंने एनपीए यानी नॉन प्रेक्टिस अलाउंस की मांग को लेकर कामधेनु पशु बीमा योजना और गौपालन विभाग के कामों का बहिष्कार कर दिया है. वेटनरी डॉक्टर नरेंद्र जाखड़ ने बताया कि पशु चिकित्सकों ने प्रदेशभर में काली पट्टी बांधकर पशु चिकित्सालय में सामान्य कामकाज किया. इसके साथ ही चिकित्सालयों के बाहर विरोध प्रदर्शन भी किया. चिकित्सकों ने नो एनपीए- नो बीमा के नारे भी लगाए.
जाखड़ ने बताया कि प्रदेश के करीब तीन हजार वेटनरी डॉक्टर पिछले 20 साल से एनपीए के लिए संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन कोई भी सरकार सुनवाई नहीं कर रही है. इससे पहले भी 11 सूत्रीय मांगों को लेकर जयपुर में 40 दिन का धरना दिया गया था. शुक्रवार को भी पशु चिकित्सकों ने धरना देकर सीएम के नाम ज्ञापन सौंपा.
एनपीए की मांग के साथ वेटनरी डॉक्टरों का पूरा संघर्ष वेटनरी डॉक्टर्स एसोसिएशन और पशु चिकित्सक संघ राजस्थान के बैनर तले हो रहा है. वेटनरी डॉक्टर नरेंद्र जाखड़ किसान तक से बात करते हैं. वे बताते हैं कि पांचवें, छठवें और सातवें वेतन आयोग में एनपीए के लिए स्पष्ट सिफारिश की गई है. लेकिन पिछले 20 सालों से सरकारें हमें धोखा दे रही हैं. बीते दिसंबर में भी हमने 40 दिन का धरना शुरू किया था.
तब प्रदेश के पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया और अतिरिक्त मुख्यसचिव वित्त विभाग ने एनपीए के लिए अपनी प्रदिबद्धता जताई. लेकिन अब जब प्रदेश में चुनावों की तैयारी हो गई है तब भी हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा. इसीलिए हमने सर्वसम्मति से ’कामधेनु पशुबीमा योजना’ के साथ गोपालन विभाग के सभी कामों के बहिष्कार का फैसला किया है.
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एनपीए की मांग को लेकर और सरकार के विरोध में बीते कई दिनों से वेटनरी डॉक्टर काली पट्टी बांध कर काम कर रहे हैं. हालांकि डॉक्टर्स को यह सलाह दी गई है कि इमरजेंसी स्थिति में पेशेवर नैतिकता का ध्यान रखते हुए पशुओं का इलाज किया जाए, लेकिन कामधेनु पशु बीमा योजना और गौपालन विभाग के सभी कामों का बहिष्कार किया गया है.
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जाखर जोड़ते हैं कि दो दिन पहले ही सरकार ने 750 करोड़ रूपये के बजट से प्रदेश के 80 लाख पशुओं को मुफ्त बीमा देने का लक्ष्य रखा है. वहीं, महंगाई राहत कैम्प में सरकार ने 1.10 करोड़ मुफ्त बीमा गारंटी कार्ड वितरित किए हैं. अगर ऐसे में हमारे वर्ग की मांग को ही अनसुना कर दिया है जो गांवों में पशुपालन में सबसे ज्यादा मदद पशुपालकों की करता है.