राजस्थान में पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान शिक्षा अब और मजबूत होगी. साथ ही सरकार के एक काम के कारण पशुपालन भी उन्नत होगा. दरअसल, राजस्थान सरकार ने विधानसभा में एक बिल पास किया है. सरकार का मानना है कि इस बिल के लागू होने से प्रदेश में पशुधन को बचाने और पशु चिकित्सा के क्षेत्र में युवा आएंगे. इस बिल का नाम ‘राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (जोबनेर) जयपुर विधेयक – 2023’ है.
विधानसभा में कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि इस बिल से बीकानेर स्थित पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के अधिकार क्षेत्र में 16 जिले होंगे. जबकि जोबनेर में स्थापित होने वाले नये विश्वविद्यालय का अधिकार क्षेत्र 17 जिलों का होगा.
गुरुवार को विधानसभा में राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (जोबनेर) जयपुर विधेयक – 2023 पर चर्चा हुई. इस चर्चा में विपक्ष की ओर से आए सवालों का जवाब कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचंद कटारिया ने दिया. चर्चा के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया. इस दौरान कृषि एवं पशुपालन मंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने लम्पी महामारी के दौरान कुशल प्रबंधन किया.
साथ ही पैसे के साथ ही दवा-टीकाकरण की कमी नहीं आने दी. अब पशुधन को बचाने एवं पशु चिकित्सा के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए जोबनेर में राज्य का दूसरा पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय खोला जा रहा है.
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कृषि एवं पशुपालन मंत्री लालचन्द कटारिया ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्र में पशुधन के प्रति युवा पीढ़ी की रूचि बढ़ रही है. वे इस क्षेत्र में अब पढ़ाई के लिए आगे आ रहे हैं. लम्पी जैसी महामारी के बाद पशु चिकित्सा का महत्व भी बढ़ा है. इस बिल के पास होने के बाद राजस्थान देश का ऐसा पहला राज्य है, जहां दो पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय हो गए हैं.
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कृषि एवं पशुपालन मंत्री ने बताया कि राज्य में 5.66 लाख पशुधन और 1.46 लाख कुक्कुट है. भारत सरकार के नये आंकड़ों के अनुसार दूध उत्पादन में प्रदेश का पहला स्थान है. उन्होंने कहा कि खेती एवं पशुपालन सेक्टर का जीडीपी में योगदान बढ़ाने की मंशा से यह विधेयक लाया गया है. विश्वविद्यालय की स्थापना से ग्रामीण परिवारों के बच्चों को भी पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान की आधुनिकतम तकनीक से युक्त शिक्षा ग्रहण करने का अवसर मिलेगा.