उत्तर प्रदेश में आम की एक से बढ़कर एक वैरायटी मौजूद हैं. वहीं यहां के कुछ किसान ऐसे भी हैं जिन्होंने आम की किस्मों को और भी ज्यादा समृद्ध करने का काम किया है. पद्मश्री से सम्मानित कलीमुल्लाह खान ने मलिहाबाद ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में 300 से ज्यादा नई आम की किस्मों को विकसित करने का काम किया है. वहीं मलिहाबाद के नवीपनाह के एक किसान ने मोदी(Modi mango) के नाम से एक नई आम की किस्म को तैयार किया है. इस आम की सबसे बड़ी खासियत है कि इसमें रेशा काफी कम है जबकि गूदा सबसे ज्यादा है. यहां तक कि देसी आमों के मुकाबले इसमें मिठास भी कम है. किसान उपेंद्र सिंह की इस नई किस्म मोदी को हाल ही में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के उप महानिदेशक नंत कुमार ने रजिस्ट्रेशन पत्र सौंपा है.
मोदी आम (Modi mango) को तैयार करने वाले किसान उपेंद्र सिंह ने किसान तक को बताया कि 2019 से ही वह इस आम की किस्म को तैयार करने में लगे हुए थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 56 इंच वाले बयान को सुनकर ही उन्हें उनके नाम पर एक किस्म विकसित करने का ख्याल आया था. मोदी आम की किस्म को देसी तुकमि आम से तैयार किया गया है. देसी आम का हर पौधा अपने आप में खास होता है लेकिन मोदी आम इन से बिल्कुल अलग है.
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किसान उपेंद्र सिंह ने मोदी आम के बारे में बताया कि उन्हें इस आम की किस्म को तैयार करने में कुल 4 साल लगे हैं. हालांकि 2021 में लखनऊ में आयोजित मैंगो फेस्टिवल में इस आम को उन्होंने प्रदर्शनी के लिए रखा था जिसके बाद उन्हें खूब तारीफ मिली. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के प्रोटेक्शन ऑफ वैराइटीज एंड फार्मर राइट अथॉरिटी में रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन भी किया था. उनकी यह किस्म रजिस्टर्ड हो गई है. उपेंद्र सिंह ने बताया कि उनके इस मोदी आम में दशहरी आम की तरह रेशा कम और गूदा ज्यादा है. देखने में यह बिल्कुल देसी आम की तरह ही दिखता है.
मोदी आम सामान्य तौर पर अन्य किस्मों से बिल्कुल अलग है. देखने में यह देसी आम की तरह है. वहीं इसमें मिठास देसी आम के मुकाबले काफी कम है. मोदी आम की किस्म के बारे में उपेंद्र सिंह बताते हैं इस आम में टीएसएच 14 है जबकि अन्य आमों में टीएसएच 20 से 22 होता है जिसके कारण मीठा ज्यादा होने के कारण यह जल्दी खराब भी हो जाता है जबकि मोदी आम ऐसा बिल्कुल ही नहीं है. यह आम 5 से 6 दिन तक खराब नहीं होता है.
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