वैसे तो मराठवाड़ा सूखा और किसानो की आत्महत्याओं की वजह से जाना जाता है. मगर हिंगोली जिले के सोड़ेगाव में रहनेवाला किसान नागेश डोके गांव के लोगों के लिए किसानों के लिए मिसाल बन गए है. किसान नागेश ने अपनी डेढ़ एकड़ खेत में हरी मिर्च की फसल लगाना शुरू किया है. इससे किसान ने अपनी आय को चार गुना तक बढ़ा दिया है. किसान नागेश ने चार महीनों में आठ लाख का मुनाफा कमाया है. उनकी मानें तो अगले दो महीनों तक अगर कीमतें अच्छी मिले तो इससे भी ज्यादा कमाई होगी.
किसान नागेश डोके के पास तीन एकड़ खेती है. वह हर साल अपने खेत में सोयाबीन और हल्दी की फसल बोते थे. मगर पिछले कुछ सालों में खेती घाटे में चल रहीं थी. इसलिए किसान नागेश ने इस बार कुछ नया करने की ठानी. किसान नागेश ने अपने डेढ़ एकड़ खेत में धर्ती किस्म की मिर्च की खेती की है. आज वह इस खेती से लाखों रुपये कमा रहे हैं. नागेश ने जानबूझ कर जानवरी के महीने में मिर्च की रोपाई की ताकि मिर्च को धूप के दिनों में तोड़ा जा सके.
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मराठावड़ा में धूप के दिनों में तापमान 42 डिग्री से भी ऊपर चला जाता है. इन दिनों में किसान हरी मिर्च का उत्पादन ना के बराबर करते हैं. इसलिए इस समय में बाजार में हरी मिर्च का भाव ज्यादा होता है. यही वजह है कि इसके दाम भी अच्छे मिलते हैं. साथ ही किसानों की कमाई भी अच्छी होती है. हरी मिर्च के लिए 15 डिग्री से लेकर 30 डिग्री सेंटीग्रेट तक का तापमान सही माना जाता है. तापमान अगर इससे ज्यादा होगा तो मिर्च के उत्पादन पर असर पड़ेगा.
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किसान नागेश ने धूप के दिनों में भी फसल अच्छी रहे इसके लिए रोपाई से पहले और रोपाई के बाद, कुछ खास टिप्स फॉलो किए. उन्होंने रोपाई के बाद एक बार हल से जुताई की. उसके बाद दो बार कल्टीवेटर के प्रयोग से खेत को समतल किया. उसके बाद उन्होंने बेड तैयार करके उसपर मलचिंग की. साथ ही मिर्च के पौधो को पानी और खाद देने के लिए ड्रिप का प्रयोग किया. उसके बाद उन्होंने बेड पर चार बाई सवा फिट के हिसाब से रोपाई की. जैसे ही धूप बढ़ने लगी तो उन्होंने रात में मिर्च के पौधो को खाद पानी देना शुरू किया.
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किसान नागेश की मानें तो धूप के दिनों में रात के समय मिर्च के पौंधो को खाद और पानी देने से मिर्च के पौधे हरे भरे रहते है. ऐसे में मिर्च के पौधों को होने वाले नुकसान को टाला जा सकता है. नागेश ने यही तकनीक अपनाकर रोजाना दो क्विंटल के करीब मिर्च निकाली. बाजार में उनकी मिर्च करीब 70 रुपये प्रति किलो के भाव से बिक रही है. डेढ़ एकड़ खेत में रोपाई से लेकर अब तक करीब डेढ़ लाख रुपये की लागत आई है. मगर इससे भी चार गुनी ज्यादा कमाई होने से किसान के चेहरे पर मुस्कुराहट है.
(ज्ञानेश्वर उंडल की रिपोर्ट)
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