हिमाचल प्रदेश में आगामी 12 सितंबर तक मॉनसून सक्रिय रहेगा. इसके साथ ही कुछ एक जगहों पर ओलावृष्टि और तूफान के साथ बारिश होने के आसार हैं. शिमला में बीते कुछ दिनों से खिली धूप के बाद बुधवार दोपहर बाद अचानक बारिश हुई, जिसके बाद तापमान में गिरावट दर्ज की गई है. आगामी दिनों में भी हिमाचल के मैदानी इलाकों में बारिश की संभावना है, लेकिन मौसम ज्यादातर इलाकों में साफ ही बना रहेगा. मौसम विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. संदीप ने बताया कि कुछ इलाकों में बारिश और आंधी तूफान की संभावना है. हालांकि ज्यादातर इलाकों में मौसम साफ रहने का अनुमान है. प्रदेश में अब भी मॉनसून एक्टिव है.
मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के वैज्ञानिक डॉ. संदीप ने बताया कि अमूमन प्रदेश से मॉनसून की विदाई 24 सितंबर तक होती है, लेकिन फिलहाल अभी मॉनसून के जाने के बारे में कुछ नहीं बताया जा सकता. उन्होंने बताया कि 1 जून से लेकर 31 अगस्त तक प्रदेश भर में 33 फ़ीसदी ज्यादा बारिश दर्ज की गई. जिला कांगड़ा, ऊना और चंबा में सामान्य बारिश हुई है, जबकि लाहौल स्पीति में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई. वहीं, सोलन में 100 फीसदी, शिमला में 90 फीसदी और बिलासपुर में 80 फीससदी तक ज्यादा बारिश हुई.
पांच सितंबर को लाहौल स्पीति में के ऊंचाई वाले इलाकों में हुई हल्की बर्फबारी की वजह से जिला के तापमान में 5 से 10 डिग्री तक की गिरावट आई है. वहीं, जिला कांगड़ा में भी ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी होने से दो डिग्री तक तापमान गिरा. अन्य जिलों में तापमान सामान्य रिकॉर्ड किया जा रहा है.
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मंडी जिला के नैना देवी की पहाड़ियों पर बने सात सरोवरों, जिनमें सुकासर, कालासर, कुंतभयों सर, नील सर, खाड़ला सर, मीठा सर, चितासर में से एक कुंतभयो झील अभी भी खतरे के निशान से कहीं उपर तक पानी से लबालब भरी हुई है. झील के इस विकराल रूप को देखकर सरकीधार और आसपास के इलाकों के लोग सहमे हुए हैं. लोगों का कहना है कि उन्होंने इससे पहले कभी भी इस झील का इतना विकराल रूप नहीं देखा.
बीती 12, 13 और 14 अगस्त को हुई भारी बारिश से झील का जलस्तर इतना अधिक बढ़ गया कि झील के आसपास वर्षों से रह रहे लोगों के घर तक पानी में डूब गए. जिस दिन झील में जलप्रलय हुआ तो उस दिन हनुमान जी की मूर्ति और माता का मंदिर पूरी तरह से जलमग्न हो गए थे. स्थानीय निवासी प्रेम शर्मा, रत्न चंद, ठाकर दास और धर्मा देवी ने बताया कि उन्होंने इससे पहले कभी झील का ऐसा विकराल रूप नहीं देखा. दशकों पहले एक बार झील में जलभराव जरूर हुआ था लेकिन वो भी इतना नहीं था. लोगों के घर पूरी तरह से सुरक्षित बच गए थे. झील के विकराल रूप को देखकर ग्रामीण अभी भी खौफजदा हैं.
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