UP Weather News: यूपी में मॉनसून की वापसी हो चुकी है. लेकिन पश्चिमी विक्षोभ के कारण एक बार फिर बारिश की आशंका जताई जा रही है. मौसम विभाग के मुताबिक, 13 अक्टूबर यानी शुक्रवार को पश्चिमी और पूर्वी यूपी में कोई भी बारिश के आसार नहीं है. इसके साथ ही बारिश का अलर्ट नहीं जारी किया है. हालांकि 15 से 17 अक्टूबर तक कुछ जगहों पर बारिश होने की संभावना है. फिलहाल लोगों को तेज धूप के साथ उमस का सामना करना पड़ेगा. अक्टूबर के महीने में भी मई और जून जैसी धूप देखकर लोग हैरान हैं. उत्तर प्रदेश में आज से अधिकतम तापमान गिरेगा और ठंड बढ़ने का भी पूर्वानुमान है.
लखनऊ मौसम केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के अनुसार, 15 अक्टूबर के बाद पश्चिमी यूपी में कुछ जगहों पर गरज चमक के साथ बारिश हो सकती है. साथ ही इस हिस्से में एक दो जगहों पर बादल गरजने के साथ ही आकाशीय बिजली गिरने की भी उम्मीद जताई गई है. जबकि 16 अक्टूबर को प्रदेश में एक बार फिर ठीक ठाक बारिश होने के आसार जताए गए हैं. इसके साथ ही 18 अक्टूबर को फिर से प्रदेश के किसी भी हिस्से में बारिश होने की कोई उम्मीद नहीं है.
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आईएमडी ने शुक्रवार को लखनऊ, मथुरा, आजमगढ़ जैसे जिलों में अधिकतम तापमान 34 से 35 डिग्री सेल्सियस तक रहने का अनुमान जताया गया है. वहीं, न्यूनतम तापमान 23 डिग्री तक रह सकता है. इसी तरह गाजियाबाद और नोएडा में अधिकतम तापमान 30 डिग्री और न्यूनतम 25 डिग्री सेल्सियस तक रहने का अनुमान है. फतेहपुर, सुल्तानपुर, गाजीपुर और अयोध्या में भी अधिकतम तापमान 35 से 36 डिग्री सेल्सियस के बीच रह सकता है. आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, मॉनसून के मासिक विश्लेषण के दौरान यह सामने आया है कि पश्चिमी यूपी में जहां जून महीने में बारिश सामान्य से ज्यादा रही. वहीं, अगस्त में सामान्य रही.
बारिश के आंकड़ों के अनुसार, यूपी में 1 जून से 30 सितंबर तक पूर्वी उत्तर प्रदेश में 799.2 मिमी. की औसत के सापेक्ष में 569.5 मिमी वर्षा हुई है जो 29 फीसदी कम है. वहीं पश्चिम उत्तर प्रदेश की औसत 672 मिमी के सापेक्ष में 693.9 मिलीमीटर हुई है जो सामान्य से तीन परसेंट अधिक रही है. प्रदेश के बिजनौर में सबसे ज्यादा 1270 मिमी बारिश हुई वहीं भदोही में सबसे कम 162 मिमी बारिश दर्ज की गई.
आपको बता दें कि भारत में नवंबर से जनवरी तक अल नीनो सक्रिय रहने वाला है. इस दौरान मौसम में कई बदलाव देखने को मिल सकते हैं. अल नीनो का असर पूरी दुनिया में देखने को मिल रहा है, इसके पीछे जलवायु परिवर्तन भी एक कारण है. इससे पूरी दुनिया का तापमान लगातार बढ़ रहा है और मौसम के मिजाज में खतरनाक बदलाव देखने को मिल रहे हैं. कहीं बाढ़, कहीं बेमौसम बारिश, कहीं ओलावृष्टि तो कहीं वज्रपात हो रहा है.
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इसके लिए जलवायु परिवर्तन और अल नीनो को जिम्मेदार माना जा रहा है. इसका असर खेती के पैटर्न पर भी पड़ा है क्योंकि जब फसल उगने और पकने का समय आता है तो बारिश हो जाती है. या जब फसलों को कम तापमान की आवश्यकता होती है, तो अचानक तेजी से विकास होता है. इससे फसलों की पैदावार कम हो रही है.
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