चक्रवाती तूफान कम वायुमंडलीय दवाब के चारों ओर तेज रफ्तार से चलने वाली गर्म हवा है, जो कई बार स्थलीय भू-भागों पर बर्बादी का कारण बन जाते हैं. दक्षिणी गोलार्ध में चलने वाली इन गर्म हवा को चक्रवात के नाम से जाना जाता है. यह घड़ी की सुई की दिशा में चलते हैं. उत्तरी गोलार्ध में इन गर्म हवा को हरीकेन या टाइफून कहते हैं जहां यह घड़ी की सुई की उल्टी दिशा में चलते हैं.
चक्रवाती तूफान का नाम विश्व मौसम संगठन और संयुक्त राष्ट्र की प्रशांत एशियाई क्षेत्र का आर्थिक और सामाजिक आयोग खास प्रक्रिया के तहत रखता है. भारतीय उपमहाद्वीप से जुड़े आठ समुद्री देश (भारत, बांग्लादेश, मालदीव, म्यांमार, पाकिस्तान, श्रीलंका, ओमान और थाईलैंड) एक साथ मिलकर आने वाले चक्रवाती तूफान के नाम तय करते हैं. यानी हर देश आठ नामों को तय करते हैं. जब चक्रवात इन आठों देशों के किसी हिस्से में पहुंचता है, तब उसे सूची में शामिल अगला नाम दे दिया जाता है. किसी भी चक्रवाती तूफान के नाम का क्रम नामों के पहले अक्षर के मुताबिक तय किया जाता है. चक्रवाती तूफान के नामकरण की यह प्रकिया साल 2004 में शुरू की गई थी. ऐसे में भारत की बात करें तो इस साल तीन बड़े तूफान आए. ऐसे में आइए जानते हैं उन तीन बड़े चक्रवाती तूफान के बाड़े में विस्तार से.
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मौसम विभाग (IMD) की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, 9 मई को बंगाल की खाड़ी में चक्रवाती तूफान आया था. चक्रवाती तूफान की आशंका को देखते हुए मछुआरों और जहाजरानी के काम में लगे लोगों को भी न जाने की हिदायत दी गई थी. दक्षिणपूर्व बंगाल की खाड़ी में आए इस तूफान का नाम मोका रखा गया. मोका नाम यमन देश से लिया गया है क्योंकि इस तूफान की वास्तविक उत्पत्ति इसी देश से हुई है और मोका वहां का एक तटीय शहर है. ये तूफ़ान मई महीने में आया था. अगर हम बात करें कि इसका असर किन-किन राज्यों में देखा गया तो वह राज्य दक्षिण-पूर्व में बंगाल की खाड़ी के आसपास स्थित सभी राज्यों में देखा गया. इसमें आंध्र प्रदेश से लेकर ओडिशा और तमिलनाडु प्रमुख थे. सबसे नजदीक ओडिशा था जहां इस प्रकार का चक्रवात लगभग हर गर्मियों में देखा जाता है. पिछले साल को छोड़कर पिछले चार साल में हर साल कोई न कोई तूफान ओडिशा को प्रभावित करता रहा है. इन तूफानों में फानी, अम्फान और यास के नाम प्रमुख हैं.
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म्यांमार में चक्रवाती तूफान मोका से हुई जबर्दस्त तबाही हुई. इस तूफान की वजह से 145 से 150 लोगों की मौत की खबर आ चुकी है. डेढ़ लाख मकानों को भारी क्षति पहुंची. इसके अलावा इस तूफान से लाखों लोग प्रभावित हुए थे. संयुक्त राष्ट्र ने इसे सदी के सबसे शक्तिशाली तूफ़ानों में से एक बताया गया. यूएन ने कहा कि चक्रवात मोचा से करीब 8 लाख लोग प्रभावित हुए हैं.
इस साल अरब सागर में उठे पहले चक्रवात को 'बिपरजॉय' नाम दिया गया. यह चक्रवाती तूफान 6 जून की देर रात तेज हो गया. इसके बाद इसे चक्रवात 'बिपरजॉय' नाम दिया गया. 'बिपरजॉय' एक बंगाली शब्द है. जिसका अर्थ है 'आपदा'. इस खतरनाक तूफान को बिपरजॉय नाम बांग्लादेश ने ही दिया था.
चक्रवाती तूफान बिपरजॉय (cyclone biparjoy) ने गुजरात में भारी तबाही मचाई थी. यह तबाही हर क्षेत्र में देखी गई. खासकर किसानों को बड़े पैमाने पर फसली नुकसान हुआ है. खेती-बाड़ी पूरी तरह से चौपट हो गई. क्योंकि अचानक आई तेज बारिश ने फसलों को बर्बाद कर दिया है. मूंगफली और सोयाबीन को छोड़ दें तो लगभग हर फसल को नुकसान हुआ है. अपवाद के रूप में गुजरात के कुछ इलाकों में चक्रवाती बारिश से मूंगफली और सोयाबीन की बुआई में मदद मिली है. बाकी की फसलें बड़े स्तर पर प्रभावित हुई हैं. इसमें आम और खजूर भी शामिल हैं जिनकी खेती गुजरात में प्रमुखता से होती है. चक्रवात ने बड़ी संख्या में मवेशियों की भी जान ली. किसानों के इस नुकसान को देखते हुए गुजरात सरकार ने मुआवजा देने का फैसला किया.
फिलहाल देश में चक्रवती तूफान मिचौंग का असर देखने को मिल रहा है. चक्रवाती तूफान मिचौंग ने अब अपना कहर दिखाना शुरू कर दिया है. चक्रवाती तूफान मिचौंग ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया है. इसके असर से तमिलनाडु के कई जिलों में भारी बारिश हो रही है. चेन्नई में भारी बारिश को देखते हुए लोगों को घर से न निकलने की सलाह दी गई है. मौसम विज्ञान केंद्र, चेन्नई द्वारा जारी मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, अगले तीन घंटों में तमिलनाडु के तिरुवल्लुर, चेन्नई, चेंगलपट्टू और कांचीपुरम जिलों में कई स्थानों पर मध्यम बारिश और कभी-कभी तीव्र बारिश की संभावना है. रानीपेट्टई, तिरुवन्नामलाई, विल्लुपुरम, कुड्डालोर, मयिलादुथुराई, तंजावुर, अरियालुर, पेरम्बलुर, कल्लाकुरिची, वेल्लोर, तिरुपत्तूर, धर्मपुरी, कृष्णागिरी सलेम, नमक्कल, तिरुचिरापल्ली, तंजावुर, तिरुवरुर और नागपट्टिनम जिलों में कुछ स्थानों पर मध्यम बारिश और बिजली गिरने की संभावना है. इसके अलावा पुडुचेरी में भी बारिश की संभावना है.
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