राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बुधवार को तापमान 52.3 पर पहुंच गया. दोपहर 2 बजकर 30 मिनट पर मुंगेशपुर में जैसे ही पारा इस अंक पर पहुंचा, हर कोई हैरान रह गया. किसी को भी उम्मीद नहीं थी कि ऐसा हो सकता है. न केवल दिल्ली बल्कि राजस्थान में फलोदी और चुरू में भी तापमान ने हाफ सेंचुरी मारी तो उत्तर प्रदेश में भी यह अर्धशतक की तरफ बढ़ता हुआ नजर आ रहा है. भारत के मौसम विभाग की मानें तो अगले कुछ दिनों तक गर्मी और लू से तो फिलहाल कोई राहत मिलती नजर नहीं आ रही है. सवाल यह उठता है कि आखिर ऐसा क्या हुआ जो भारत में इतनी गर्मी झेलनी पड़ रही है.
1 जून 2019 को आखिरी बार राजस्थान के चुरू में तापमान 50.8 डिग्री सेल्सियस पर पहुंचा था. उससे पहले साल 2016 में फलोदी में तापमान 51 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया था. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, गुजरात और मध्य प्रदेश समेत कम से कम 24 जगहों पर पारा पिछले कुछ दिनों से 45 डिग्री से ऊपर बना हुआ है. वहीं राजस्थान की कुछ जगहें तो 50 डिग्री पर झुलसने को मजबूर हैं.
वैज्ञानिकों ने पहले ही इस बार भारत में भीषण गर्मी की आशंका जता दी थी. उन्होंने कहा था कि अल नीनो प्रभाव की वजह से देश में झुलसाने वाली गर्मी पड़ेगी. अल नीनो की वजह से पूर्वी प्रशांत का पानी गरम हो रहा है. इसकी वजह से हवा में भी गर्मी हे और जिसका असर पूरी दुनिया पर दिखाई दे रहा है. साल 2023 में गर्मी का जो असर शुरू हुआ था वह जून 2024 तक जारी रहने की आशंका है जिस वजह से गर्मियों का मौसम असहनीय हो गया है.
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वायुमंडलीय और महासागर में होने वाली कई घटनाओं की वजह से उत्तर-मध्य और पूर्वी भारत में लू की स्थिति पैदा होती है. गेहूं उगाने वाले उत्तर-मध्य क्षेत्र में लगातार गर्म और शुष्क परिस्थितियां स्थिर उच्च दबाव प्रणालियों से जुड़ी हैं. इन प्रणालियों की वजह से सामान्य प्रवाह रुकता है और धीमी गति से चलने वाली रॉस्बी तरंगों से गर्मी पैदा होती है. इस तरह से सामान्य मौसम का पैटर्न बिगड़ जाता है.
अल नीनो की वजह से समुद्र का तापमान बढ़ता है. साथ ही साथ बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से आने वाली नम समुद्री हवाएं उच्च दबाव प्रणाली के कारण इस साल भारत के कई हिस्सों में भीषण गर्मी की वजह बनी हैं. इस वजह से अप्रैल में ही कई हिस्सों में रिकॉर्ड तापमान दर्ज किया गया. यहां तक कि दक्षिण-पश्चिम में एक तटीय राज्य केरल, जहां लू चलना एक असामान्य बात है, वहां भी गर्मी और लू से जनजीवन प्रभावित हुआ. हालांकि अब वहां भारी बारिश हो रही है.
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जिस तरह ये समुद्र में पानी की तरंगे उठती हैं, उसी तरह से वायुमंडल में हवा तरंगों में चलती है. पृथ्वी घूमती है और इसके घूमने से हवा की तरंगों पर भी असर पड़ता है. रॉस्बी वेव्स या तरंगें वायुमंडल में बड़ी लहरें हैं जो पृथ्वी के घूमने के कारण बनती हैं. ये तरंगें हमारे मौसम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. जब रॉस्बी वेव्स उठती हैं तो ये हाई और लो डिस्टर्बेंस की स्थिति को बदल सकती है. इसकी वजह से दुनिया के कई हिस्सों में अलग-अलग मौसम की स्थिति पैदा हो सकती है. उदाहरण के लिए, यह ठंडी हवा को दक्षिण की ओर या गर्म हवा को उत्तर की ओर ले जा सकती है.
वहीं पर्यावरण विशेषज्ञ शहरों में पड़ रही गर्मी के पीछे तेजी से होते विकास और शहरीकरण को सबसे बड़ी वजह मानते हैं. घनी आबादी वाले क्षेत्रों में ग्रीन जोन कम हो रहे हैं और भीड़भाड़ बढ़ रही है. ऐसे में मानव गतिविधियां भी गर्मी को बढ़ा रही हैं और मौसम को प्रभावित कर रही हैं.
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