हाल के वर्षों में दिल्ली और पंजाब जैसे राज्यों में पराली (paddy crop residue) जलाने की घटनाएं गंभीर समस्या बनकर उभरी हैं. इससे आसपास का वातावरण प्रदूषित हो जाता है और हवा की क्वालिटी निचले स्तर पर चली जाती है. दिल्ली में रहने वाले लोग इस समस्या से सबसे अधिक परेशान नजर आते हैं. खासकर दिवाली आसपास के समय में जब दिल्ली की हवा में धुआं के साथ पटाखे की जहरीली हवा मिल जाती है. पराली का धुआं और पटाखे का धुआं मिलकर दिल्ली आसपास के लोगों का सांस लेना दूभर कर देते हैं. लेकिन एक रिपोर्ट बताती है कि साल 2022 में पराली जलाने की घटनाएं कम हुई हैं. रिपोर्ट कहती है कि 2022 में दिल्ली और पंजाब में पराली जलाने का काम 31 फीसद से भी अधिक तक कम हुआ है.
पराली जलाने की घटनाओं का आंकड़ा स्टैंडर्ड इसरो प्रोटोकॉल पर आधारित है जिसमें कई राज्यों को शामिल किया गया है, जैसे पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, यूपी के एनसीआर और राजस्थान. रिपोर्ट कहती है कि इन राज्यों में 2021 में 78,550 पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं जबकि 2022 में यह घटकर 53,792 पर आ गईं. इस तरह एक साल की अवधि में पराली जलाने में तकरीबन 31.5 फीसद की कमी देखी गई है.
रिपोर्ट में बताया गया है कि इस कमी के पीछे केंद्र सरकार के साथ साथ संबंधित राज्य सरकारों की कोशिशें रंग लाई हैं. पराली जलाने पर रोक लगे, किसान धान की ठूंठों में आग न लगाए और प्रदूषण की स्थिति भयावह न हो, इसके लिए केंद्र सरकार सीआरएम स्कीम के तहत 3062 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है. सरकार के मुताबिक यह राशि पंजाब, एनसीआर प्रदेश सरकार, जीएनसीटीडी को 2018-19 से लेकर 2022-23 की अवधि में जारी की गई है. यह राशि इसलिए दी गई ताकि सरकारें अपने-अपने क्षेत्रों में धान की पराली का बेहतर प्रबंधन कर सकें. इसमें से 1426 करोड़ रुपये की राशि पंजाब सरकार को दी गई है.
अब यह भी जान लेते हैं कि पराली प्रबंधन के लिए जिन मशीनों का सहारा लिया गया है उनमें कितनी मशीनें किन राज्यों में हैं. रिपोर्ट कहती है कि पंजाब में 1.20 लाख मशीनें जबकि हरियाणा में 72,700 और यूपी एनसीआर में 7480 मशीनें हैं. ये मशीनें पराली को दूसरे उपयोगी संसाधनों में बदल देती है जिससे कि उन्हें जलाने की जरूरत नहीं पड़ती.
2021 से 2022 के बीच किस राज्य में कितनी पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं, उसका भी ब्योरा दिया जा रहा है. सबसे पहले बात पंजाब की. पंजाब में 2021 में जहां 71304 पराली जलाने की वारदातें हुईं तो वहीं 2022 में यह घटकर 49922 पर आ गई. इस तरह पंजाब में 29.99 फीसद की गिरवाट देखी गई. दूसरे स्थान पर हरियाणा का नाम है जहां 2021 में 6987 घटनाएं हुईं जबकि 2022 में यह घटकर 3661 हो गईं. यहां 47.60 परसेंट की कमी देखी गई.
एनसीआर-यूपी में 2021 में 252 पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं जबकि 2022 में घटकर 198 तक सिमट गई. यहां 21 फीसद से अधिक की गिरावट देखी गई. इसके बाद एनसीआर राजस्थान में 2021 में मात्र 3 ऐसी घटनाएं देखी गईं जो 2022 में घटकर 1 हो गई. अंत में दिल्ली एनसीटी की बात जहां 2021 में पराली जलाने की घटना 4 रही जो 2022 में 10 पर पहुंच गई. चौंकाने वाली बात ये है कि दिल्ली में पराली जलाने में कमी के बजाय बढ़ोतरी देखी गई. यह आंकड़ा खरीफ सीजन का है.
पंजाब के 23 जिलों में से, चालू वर्ष के दौरान सबसे अधिक फसल जलने की घटनाओं वाले पांच हॉटस्पॉट जिले संगरूर, भटिंडा, फिरोजपुर, मुक्तसर और मोगा हैं, जहां कुल 21,882 आग की घटनाएं दर्ज की गईं. यानी चालू वर्ष की कुल आग की घटनाओं की 43.83 प्रतिशत हिस्सेदारी इन जिलों की रही. इसकी तुलना में 2021 में पंजाब के पांच (5) जिलों में पराली जलाने की कुल 32,053 घटनाएं सामने आईं.
हरियाणा के 22 जिलों में पांच जिलों में सबसे अधिक आग की घटनाएं देखी गईं जिनमें फतेहाबाद, कैथल, जींद, सिरसा और कुरुक्षेत्र के नाम हैं. मौजूदा वर्ष में इन जिलों में 2548 घटनाएं सामने आईं जबकि 2021 में 4644 पराली जलाने की घटना देखी गई थी. इस साल हरियाणा में सबसे अधिक कमी फतेहाबाद जिले में देखी गई है. दिल्ली में दैनिक PM2.5 स्तर वाले खेत की आग का अधिकतम योगदान चालू वर्ष में (3/11/2022 को) 34% रहा, जबकि पिछले वर्ष (7/11/2021 को) यह 48% था. नवंबर 2022 में दिल्ली का दैनिक औसत एक्यूआई, नवंबर 2021 के 376.50 की तुलना में 320.60 पर सुधार दर्ज किया गया, यानी प्रदूषण में लगभग 56 अंकों की कमी देखी गई.
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