मौसम विभाग के मुताबिक दक्षिण ओडिशा, उत्तरी आंध्र प्रदेश के तटों और बंगाल की खाड़ी के ऊपर जो लो प्रेशर का क्षेत्र बना हुआ था वह बुधवार को कमजोर हो गया, क्योंकि मंगलवार को ओडिशा के कुछ हिस्सों में भारी से बहुत भारी बारिश हुई. इसके अलावा बिहार, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और केरल में भी भारी बारिश हुई. आईएमडी के मुताबिक, मूल साइक्लोनिक सर्कुलेशन (इसमें हवाएं संगठित होकर ऊपर की तरफ बढ़ती है और लो प्रेशर एरिया बनाती हैं.) दक्षिण आंतरिक ओडिशा और आसपास के क्षेत्रों पर बना हुआ है, जो 'प्रोपरली बिहेविंग’ यानी ठीक से करने वाली मॉनसून ट्रफ के साथ, राजस्थान, पंजाब, लद्दाख, हरियाणा, चंडीगढ़, दिल्ली, जम्मू और कश्मीर को छोड़कर देश के अधिकांश हिस्सों में बारिश को बनाए रख सकता है.
वहीं रेन-ड्राइविंग मॉनसून ट्रफ पश्चिम-मध्य खाड़ी में जाने से पहले बीकानेर, गुना, मंडला, रायपुर और कलिंगपट्टनम से होकर गुजरी. अगर स्थिति ऐसी ही रहती है, तो यह खाड़ी के ऊपर एक साइक्लोनिक सर्कुलेशन बनने की गुंजाइश छोड़ता है. जो अगले सप्ताह से लो प्रेशर के एक स्ट्रांग सिस्टम का संकेत देता है. इससे पश्चिमी तट, पूर्व-मध्य और पूर्वी भारत और प्रायद्वीपीय भारत के कुछ हिस्सों में सितंबर के तीसरे सप्ताह तक मॉनसून जारी रह सकता है.
आईएमडी के मुताबिक, गुरुवार और शुक्रवार को पूर्व, उत्तर-पूर्व और मध्य भारत, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना, पश्चिमी तट और लक्षद्वीप और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश होने की संभावना है. देश के बाकी हिस्सों में हल्की बारिश के साथ छिटपुट बारिश हो सकती है.
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इसके अलावा मॉनसून की तेजी का अखिल भारतीय बारिश की कमी पर कोई खास प्रभाव नहीं पड़ा है, जो बुधवार को 11 प्रतिशत कम रही. जिन उप मंडलों में सबसे कम बारिश दर्ज की गई उनमें पश्चिमी मध्य प्रदेश, मराठवाड़ा और मध्य महाराष्ट्र, दक्षिण में आंतरिक कर्नाटक और केरल शामिल हैं; पूर्व में पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल; और उत्तर-पूर्व में नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा शामिल हैं.
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