El Nino: मई 2024 तक एक्टिव रहेगा अल नीनो, अमेरिकी मौसम एजेंसी ने जारी की चेतावनी

El Nino: मई 2024 तक एक्टिव रहेगा अल नीनो, अमेरिकी मौसम एजेंसी ने जारी की चेतावनी

देश-दुनिया को अल नीनो की मार से राहत मिलने वाली नहीं है. कहा जा रहा था कि भारत में इसका असर अगले साल जनवरी तक रह सकता है, लेकिन अब बात उससे आगे भी बढ़ गई है. अमेरिकी मौसम एजेंसी की मानें तो अल-नीनो का असर मई 2024 तक जारी रहेगा और लोगों को इसका अंजाम भुगतना होगा.

Advertisement
El Nino: मई 2024 तक एक्टिव रहेगा अल नीनो, अमेरिकी मौसम एजेंसी ने जारी की चेतावनीअगले साल तक एक्टिव रहेगा अल नीनो

देश-दुनिया को अल-नीनो (El Nino) से जल्दी मुक्ति मिलने वाली नहीं है. भारत के बारे में आशंका जताई जा रही थी कि इसका प्रभाव अगले साल जनवरी तक रहेगा. लेकिन एक नई रिपोर्ट आने के बाद इसकी मियाद आगे बढ़ती दिख रही है. अमेरिकी मौसम एजेंसी ने कहा है कि अल-नीनो का प्रभाव मई 2024 तक रह सकता है. अगर यह आशंका सच साबित होती है तो भारत जैसे कृषि प्रधान देश को बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है. ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि इस अल-नीनो से रबी फसलों का नुकसान होगा जिसमें अनाज से लेकर तिलहन और दलहन फसलें प्रमुख हैं.

अल-नीनो मौसम की स्थिति है जो महासागर के पानी के गर्म होने की वजह से पनपती है. यही हवाएं जब मैदानी इलाकों या अन्य इलाकों में चलती हैं तो मौसम में कई तरह के बदलाव आते हैं. इन बदलावों में सबसे खास है सूखा जो कि भारत में अमूमन में देखा जाता है. एशिया में यह अल-नीनो बहुत बड़ा विलेन बनकर उभरता है जिससे कई कृषि प्रधान देशों में सूखे की गंभीर हालत पैदा होती है. अगर अमेरिकी एजेंसी का दावा सच हुआ तो भारत सहित एशिया के कई देशों में अगले साल मई तक अल-नीनो से राहत मिलती नहीं दिख रही है. अभी भारत में इसका असर चल भी रहा है.

ये भी पढ़ें: Bihar Weather News: आने वाले दिनों में बिहार का मौसम रहेगा शुष्क, सरसों, धनिया की खेती में मिलेगी मदद

क्या कहा अमेरिकी एजेंसी ने

अमेरिकी मौसम एजेंसी क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने कहा है कि मई 2024 तक एशिया में अल-नीनो का प्रभाव देखा जा सकता है. मौसम एजेंसी की एक रिपोर्ट कहती है कि इस अल-नीनो का प्रभाव ठंड के दिनों के तापमान पर भी दिख सकता है. यानी अल-नीनो की वजह से अधिक ठंड नहीं पड़ेगी और बारिश भी कम होगी. ऐसा होता है तो रबी की कई फसलों को भारी नुकसान होगा. जैसे गेहूं की फसल जिसे ठंडे तापमान के साथ बारिश की भी जरूरत होती है. अगर गेहूं के सीजन में अचानक से गर्मी बढ़ी तो पैदावार गिर सकती है जैसा कि इस साल की शुरुआत में देखा गया था.

दुनिया की मशहूर एजेंसी World Meteorological Organisation ने अभी हाल में एक रिपोर्ट में बताया था कि क्लाइमेट चेंज और अल-नीनो का असर कई क्षेत्रों पर व्यापक रूप से पड़ रहा है जिसमें एक पेयजल भी है. अल-नीनो से सूखा आता है और इसका सबसे गंभीर प्रभाव भूजल और नदियों-जलाशयों के पानी पर देखा जाता है.

संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी वर्ल्ड मेटरोलॉजिकल ऑर्गनाइजेशन का कहना है कि साल 2022 में ला-नीना की स्थिति थी जिसमें अधिक बारिश होती है जबकि 2023 में यह अल-नीनो में बदल गया. इससे पूरी दुनिया के हाइड्रोलॉजिकल साइकिल (पानी का चक्र) पर असर देखा जाएगा. इस तरह का प्रभाव एशिया खासकर भारत में ही नहीं देखा जा रहा बल्कि यूरोप के कई हिस्से भी असर में हैं. 2022 की गर्मियों में यूरोप की कई नदियों का पानी घट गया क्योंकि अल-नीनो से भारी सूखा पैदा हो गया.(इनपुट/बिजनेसलाइन)

 

POST A COMMENT