बिहार से मॉनसून की विदाई होने के साथ मौसम शुष्क होने से लोगों को हल्की ठंड का एहसास हो रहा है. सुबह के समय में सिहरन बढ़ गई है. पटना मौसम विभाग के अनुसार 17 अक्टूबर के बाद से आने वाले 23 तारीख तक मौसम के मिजाज में कोई बदलाव होने के आसार नहीं दिख रहे हैं. 18 अक्टूबर से आने वाले चार से पांच दिनों तक मौसम शुष्क बना रहेगा. इसे देखते हुए डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानिक बताते हैं कि इस दौरान किसान सरसों और राई की खेती कर सकते हैं. साथ ही सूरजमुखी और धनिया की खेती के लिए सही समय है. इसके अलावा किसान रबी सीजन की खेती को लेकर तैयारी करना शुरू कर दें. वहीं आने वाले दिनों में राज्य में अधिकतम तापमान 30-32 डिग्री सेल्सियस और न्यूनतम तापमान 18-20 डिग्री सेल्सियस के बीच रहने का अनुमान है.
बता दें कि बीते एक सप्ताह के दौरान राज्य के कुछ जिलों के एक दो स्थानों पर तेज आंधी के साथ हल्की बारिश हुई है जिससे कुछ जगहों पर धान की फसल खेत में लेट गई है. इससे किसानों के चेहरे पर मायूसी देखने को मिल रही है. वहीं बीते दिनों आंधी के साथ बारिश होने की वजह से बर्बाद हुई फसलों को लेकर किसान कहते हैं कि सड़क और बगीचे से सटे धान के पौधे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. वहीं जिस धान की फसल ज्यादा बड़ी हो गई है, वह तेज आंधी की वजह से ज्यादा प्रभावित है. मोटे धान की तुलना में महीन धान के पौधे ऐसी स्थिति में ज्यादा बर्बाद होते हैं.
पूसा कृषि विश्वविद्यालय, समस्तीपुर के कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार यह सरसों की खेती के लिए सही समय है. इस दौरान राज्य के किसान सरसों और राई की खेती कर सकते है. सरसों के लिए किसान उन्नत किस्मों में 66-197-3, राजेंद्र सरसों-1 और स्वर्णा का उपयोग कर सकते है. वहीं राई के लिए वरुणा, पूसा बोल्ड, क्रांति, पूसा महक और राजेंद्र सुफलाम के बीजों का उपयोग किया जा सकता है. इसकी खेती करने के दौरान प्रति हेक्टेयर 05 किलो बीज की जरूरत है. वहीं इसकी खेती कतार से कतार की दूरी 30 बाई 10 सेमी की होनी चाहिए. साथ ही यह समय सूरजमुखी और धनिया की खेती के लिए भी सही है. धनिया की खेती के लिए किसान राजेंद्र स्वाति, पंत हरीतिमा, कुमारगंज सेलेक्शन और हिसार आनंद का चयन कर सकते हैं. इसके साथ ही किसान आलू, मक्का, चना, मटर, राजमा, मेथी और लहसुन की खेती के लिए तैयारी शुरू कर सकते हैं.
अक्टूबर के महीने में सब्जियों में रोग लगने का खतरा बढ़ जाता है. विशेष रूप से बैंगन, टमाटर, फूल गोभी और मिर्च के फलों में छेदक कीट अधिक लगते हैं. इस अवस्था में अगर फल और तना इसकी चपेट में आ चुके हैं, तो इन दोनों को तोड़कर जमीन में गाड़ दें. वहीं अधिक प्रकोप होने पर किसान स्पिनोसेड 48 इ.सी 01 मि.ली प्रति 04 लीटर पानी में मिलाकर दवा का छिड़काव कर सकते हैं.
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