महाराष्ट्र में सूखे जैसे हालात, रबी फसलों की बुआई भी प्रभावित होने की आशंका

महाराष्ट्र में सूखे जैसे हालात, रबी फसलों की बुआई भी प्रभावित होने की आशंका

इस साल उम्मीद से कम बारिश के कारण छत्रपति संभाजीनगर डिवीजन को सबसे ज्यादा संकट का सामना करना पड़ सकता है. कम बारिश के कारण मिट्टी में नमी खत्म हो गई है. ऐसे में रबी सीजन की फसलें प्रभावित होने का अनुमान जताया जा रहा है. बुवाई के ल‍िए म‍िट्टी में नमी का होना बहुत जरूरी है. 

Advertisement
महाराष्ट्र में सूखे जैसे हालात, रबी फसलों की बुआई भी प्रभावित होने की आशंकाखरीफ सीजन में कम बारिश के कारण रबी सीजन की फसलें हो सकती है प्रभवित

महाराष्ट्र में खरीफ फसलों के दौरान पड़े सूखे का असर अब रबी फसलों के दौरान भी बुवाई पर पड़ने का अनुमान है. क्योंक‍ि, खेतों में नमी की मात्रा पर्याप्त नहीं है. जबक‍ि बुवाई से पहले खेत में नमी पर्याप्त रहना जरूरी होता है वरना बीजों का अंकुरण नहीं होता. खरीफ फसल सीजन के दौरान जुलाई और अगस्त में राज्य के कई ह‍िस्सों में सूखा पड़ा था. ज‍िसकी वजह से सोयाबीन, कपास और अन्य खरीफ फसलों की बुवाई प्रभाव‍ित हो गई थी. उस सूखे का असर रबी सीजन पर भी पड़ने का अनुमान लगाया जा रहा है. खासतौर पर गेहूं की बुवाई पर. इसका सीजन आ गया है और खेतों में पर्याप्त नमी न होने की वजह से क‍िसान परेशान हैं.

मिट्टी में नमी की मात्रा और जलाशयों में पानी के कम स्तर को देखते हुए महाराष्ट्र में इस सर्दी के सीजन के दौरान बुवाई पर बुरा असर पड़ सकता है. रविवार तक, राज्य में जलाशय 75.62 प्रतिशत भरे हुए हैं, जबकि पिछले वर्ष इसी समय के दौरान यह 90.71 प्रतिशत था. इस साल उम्मीद से कम बारिश के कारण छत्रपति संभाजीनगर डिवीजन को सबसे खराब संकट का सामना करना पड़ सकता है. नमी की कमी की वजह से रबी फसलों की बुवाई आसान नहीं होगी. अगर कम नमी बुवाई हो जाएगी तो दोबारा बुवाई का संकट पैदा हो सकता है. 

ये भी पढ़ें: Sugarcane Price: क‍िसानों के आक्रोश से गन्ना ब‍िक्री मामले में बैकफुट पर सरकार, वापस हुआ फैसला

किस जिले के जलाशय में कितना है पानी 

बीड, जालना, छत्रपति संभाजीनगर, परभणी, नांदेड़, लातूर, धाराशिव और हिंगोली जिलों वाले छत्रपति संभाजीनगर डिवीजन में राज्य में सबसे कम औसत जलाशय जल स्तर (40.53 प्रतिशत) दर्ज किया गया है. जायकवाड़ी-मराठवाड़ा का सबसे बड़ा जलाशय है. यहां पर पिछले साल के 100 प्रतिशत की तुलना में इस बार स‍िर्फ 47.15 प्रतिशत भरा हुआ है. क्षेत्र के एक अन्य महत्वपूर्ण बांध, मंजरा में भी पिछले वर्ष की तुलना में जल स्तर कम होने की सूचना है. 

महाराष्ट्र में इस बार मॉनसून में बार‍िश कम हुई है. वार्षिक औसत 1,038.6 एमएम के मुकाबले स‍िर्फ 927.1 एमएम बारिश हुई. नासिक में सामान्य से (74.8 प्रतिशत) और पुणे में (62.8 प्रतिशत) बारिश दर्ज की गई है. मराठवाड़ा क्षेत्र में सामान्य से 82.5 फीसदी कम बारिश हुई है.

रबी सीजन की फसल हो सकती है प्रभावित

राज्य में कुल मिलाकर, 26 जिलों के मिट्टी में उम्मीद से कम नमी दर्ज की गई है, जो रबी सीजन में बुआई को प्रभावित कर सकती है. खासकर चना और गेहूं की राज्य में ये प्रमुख रबी फसलें हैं और कुछ क्षेत्रों में जनवरी-फरवरी के दौरान गन्ना भी बोया जाता है. ऐसे में रबी फसलों के नुकसान होने का अनुमान जाता जा रहा है. जलाशयों में पानी का निम्न स्तर अगले गर्मी के मौसम के दौरान पीने के पानी की उपलब्धता के संबंध में एक गंभीर चिंता का कारण बन सकता है. व‍िपक्षी नेता राज्य में सूखा घोषित करने की मांग कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: Benefits of Mushrooms: खेती के बारे में बहुत सुना होगा आपने, अब मशरूम के फायदों को भी जान लीज‍िए

 

POST A COMMENT