Teacher's Day : किसान के इस बेटे को आज मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, अपने काम से कायम की ऐसी मिसाल, पढ़ें पूरी कहानी

Teacher's Day : किसान के इस बेटे को आज मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, अपने काम से कायम की ऐसी मिसाल, पढ़ें पूरी कहानी

केंद्र सरकार बिहार के तीन शिक्षकों को आज देगी राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार. वहीं कैमूर जिले के अनिल सिंह को भी शिक्षा के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ कार्य करने के लिए पुरस्कार मिलने वाला है. इनके विद्यालय से गायिकी से लेकर खेल के मैदान में अपनी लोहा मनवा चुकी हैं छात्राएं.

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Teacher's Day : किसान के इस बेटे को आज मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार, अपने काम से कायम की ऐसी मिसाल, पढ़ें पूरी कहानी कैमूर जिले के बालिका प्लस टू उच्च माध्यमिक विद्यालय रामगढ़ के प्रधानाध्यापक अनिल सिंह को मिलेगा राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार . फोटो किसान तक

कैमूर जिले के बालिका प्लस टू उच्च माध्यमिक विद्यालय रामगढ़ के प्रधानाध्यापक अनिल सिंह कहते हैं कि 'बिहार की शिक्षा व्यवस्था में कृषि की पढ़ाई प्राइमरी स्कूल से शुरू करने की जरूरत है. तभी कृषि प्रधान राज्य की अर्थव्यवस्था सहित नई खोज के लिए प्रतिभावान युवाओं की सहभागिता बढ़ेगी'. किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले सिंह का इस साल राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार 2023 के लिए चयन किया गया है. आज से करीब 14 साल पहले एक शिक्षक के तौर पर आदर्श बालिका विद्यालय को अपनी कर्मभूमि बनाने वाले अनिल सिंह को आज राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया जा रहा है. अनिल सिंह कहते हैं कि आज किताबी ज्ञान के साथ बच्चों को आधुनिक समय के अनुसार अपडेट करना बहुत जरूरी है. तभी ग्रामीण क्षेत्र के बालक या बालिका दुनिया के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकेंगे. 

कैमूर जिले में शिक्षा की प्रयोगशाला के लिए मशहूर रामगढ़ प्रखंड में बीते तीन सालों के अंदर दो शिक्षकों को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार  मिल चुका है,जिसमें से एक अनिल सिंह भी हैं. इस पुरस्कार से पहले इन्हें राज्य शिक्षक पुरस्कार मिल चुका है. वहीं 2023 में बिहार से तीन शिक्षकों का चयन राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए हुआ है. 

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किसान की बेटियों को बनाना है आत्मनिर्भर

राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित अनिल सिंह कहते हैं कि हमारे विद्यालय में पढ़ने वाली सभी बच्चियां किसान परिवार से संबंध रखती हैं. इन्हें किताबी ज्ञान के साथ सामाजिक और आधुनिक ज्ञान के प्रति जागरूक करना है. हमें बच्चियों को इतना तो जागरूक करना ही है कि वह अपनी मासिक समस्या को लेकर खुलकर बात कर सकें, क्योंकि आज भी ग्रामीण क्षेत्र की बच्चियों के पास किताबी ज्ञान है, लेकिन वह अपनी बातों को घर से लेकर बाहर सही तरीके से बोल नहीं पाती हैं. उन्हें आत्मनिर्भर बनाने पर कार्य करने की जरूरत है, क्योंकि यहां से जब निकलें तो उनके पास आज की आधुनिक समय की बेसिक जानकारी रहे. वे  अपनी बातों को खुलकर रख सकें.

 अनिल सिंह ने प्रधानाध्यापक बनने के बाद बदल दी विद्यालय की तस्वीर
अनिल सिंह ने प्रधानाध्यापक बनने के बाद बदल दी विद्यालय की तस्वीर. फोटो-किसान तक

विद्यार्थियों में कृषि सहित प्रोफेशनल स्किल विकसित करने की जरूरत

किसान तक के साथ बातचीत के दौरान अनिल सिंह कहते हैं कि ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों में प्रोफेशनल स्किल विकसित करने की जरूरत है. उन्हें केवल किताबी कीड़ा बनाकर नहीं रहना है. इसके लिए उन्हें आज के आधुनिक समय के साथ जोड़ना होगा. तभी शिक्षा का सही मायने में उद्देश्य विकसित हो पाएगा. आज बच्चों के पाठ्यक्रम में बचपन से ही कृषि की पढ़ाई करवाने की जरूरत है, तभी वह इस क्षेत्र में भी अपना नया आइडिया विकसित करेंगे. . 

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प्रधानाध्यापक बनने के बाद बदल दी विद्यालय की तस्वीर

रोहतास जिले के नासरीगंज के पइगा गांव के रहने वाले अनिल सिंह को आज जो सम्मान मिल रहा है उसके पीछे वजह है उनका जज्बा जिसके चलते उन्होंने आदर्श बालिका विद्यालय रामगढ़ की तस्वीर ही बदल दी. उन्होंने इसके लिए विद्यालय की रूपरेखा से लेकर आधुनिक जरूरतों पर ध्यान दिया. आज विद्यालय के पूरे परिसर में स्वच्छता है. वहीं छात्राओं के लिए पांच रुपये में सेनेटरी पैड उपलब्ध हों इसके लिए सेनेटरी वेंडिंग मशीन खुद के खर्च से लगवाया, तो पुस्तकालय, प्रयोगशाला, कंप्यूटर लैब सहित स्मार्ट क्लास की सुविधा उपलब्ध कराई, जो अन्य सरकारी विद्यालयों से इसे अलग बनाती है.

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