बदलते वक्त के साथ खेती में भी बदलाव आ रहा है. लोग अपनी पारंपरिक खेती छोड़कर बागवानी खेती की ओर रुख कर रहे हैं. खासकर युवाओं का रूझान बागवानी और खेती की ओर बढ़ रहा है. परंपरागत खेती की तुलना में बागवानी खेती अधिक लाभदायक है. फल और सब्जियाँ अनाज से अधिक मूल्यवान हैं और किसानों को इनके अच्छे दाम मिलते हैं. उल्लेखनीय है कि बागवानी कृषि एक तेजी से उभरता हुआ कृषि व्यवसाय है. बागवानी खेती में मधुमक्खी पालन, मशरूम उत्पादन, फूलों और फलों की खेती शामिल है.
बागवानी और खेती के प्रति लोगों को जागरूक किया जा रहा है. बागवानी खेती के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए सरकार द्वारा कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इन कार्यक्रमों में किसानों को बागवानी खेती के लाभ, तकनीक और बाजार के बारे में जानकारी दी जाती है. इसी कड़ी में रायबरेली जिले के शिवगढ़ कस्बे के दहिगंवा गांव निवासी युवा किसान संजय राजपूत भी सरकार के इस सपने को पूरा करने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. दरअसल संजय राजपूत अपने खेतों में मौसमी सब्जियों की खेती करते हैं. जिससे वह घर बैठे कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. इन सब्जियों की बाजार में अच्छी मांग है और किसानों को इनके अच्छे दाम मिलते हैं.
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किसान संजय राजपूत का कहना है कि वह अपनी 3 एकड़ जमीन पर फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर और चुकंदर की खेती कर रहे हैं. खेतों में तैयार सब्जियों को वह रायबरेली, लखनऊ और बाराबंकी के बाजारों में बिक्री के लिए भेजते हैं. अच्छी फसल उगाने के लिए पौधे का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है. इसलिए मिट्टी में पर्याप्त मात्रा में कार्बनिक पदार्थ होना चाहिए. साथ ही नर्सरी के लिए ऐसी जगह का चयन करना चाहिए जहां पानी जमा न हो या बाढ़ न आए. इसके अलावा फसलों को बीमारियों और कीटों से भी बचाना चाहिए.
युवा किसान संजय राजपूत बताते हैं कि वह पिछले 8 साल से अपनी 3 एकड़ जमीन पर मौसमी सब्जियों की खेती कर रहे हैं. जिससे वह कम लागत में अधिक मुनाफा कमा रहे हैं. वह उन्हीं सब्जियों की खेती करते हैं जिनकी बाजार में ज्यादा मांग होती है. जिससे यह आसानी से अच्छे दामों पर बिक जाता है. उनके मुताबिक एक एकड़ की लागत करीब 20 से 25 हजार रुपये होती है और लागत के सापेक्ष सालाना तीन से चार लाख रुपये आसानी से कमा सकते हैं.
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