जब कोई इंसान कुछ कर गुजरने की ठान ले तो उसकी मेहनत रंग लाती है. वहीं, कई लोग ये भी कहते हैं कि सीखने की कोई उम्र नहीं होती और यह साबित करके दिखाया है एक रिटायर रेंजर नत्थीलाल ने जिन्होंने 74 साल की उम्र में हैदराबाद और जोधपुर में ड्रैगन फ्रूट की खेती के गुर सीख कर बड़ा नाम किया है. राजस्थान के भरतपुर जिले में वे पहली बार ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की, जो आज स्मार्ट तरीके से खेती कर साल का लाखों रुपये कमा रहे हैं.
दरअसल, भरतपुर निवासी नत्थीलाल बताते हैं कि उन्होंने अपने मात्र 6 बीघा जमीन में 3 हजार ड्रैगन फ्रूट के पौधे लगाए और ड्रिप सिंचाई से आधुनिक खेती की. यह ड्रैगन फ्रूट की खेती करने का आइडिया उन्हें बेटे ने दिया और उसी के इस आइडिया के कारण उनको जिले में एक अलग पहचान मिली.
उन्होंने बताया कि जब कोरोना में हर कोई अपनी इम्युनिटी बढ़ाने के लिए ड्रैगन फ्रूट खरीद कर खा रहा था, तब इसकी उपयोगिता को देखते हुए बेटे ने गांव में अपने खेत में इसकी खेती करने को कहा. इसके बाद नत्थीलाल ने हैदराबाद और जोधपुर में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के तरीके सीखे. उन्होंने जाना कि किस तरीके से ड्रैगन फ्रूट की खेती भरतपुर में की जा सकती है. उन्होंने खेती सीखने के बाद ये सोचा कि जब हैदराबाद में इसकी खेती हो सकती है तो अपने जिले में क्यों नहीं हो सकती.
इसके बाद उन्होंने सस्ते दामों में हरियाणा और हैदराबाद से 3 हजार ड्रैगन फ्रूट के प्लांट मंगवाए. अपने गांव समाई खेड़ा में 6 बीघा खेत में 25-30 लाख तक की लागत में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए पूरा स्ट्रक्चर तैयार किया. इसके बाद उन्होंने पहली बार ड्रैगन फ्रूट की खेती से 1 लाख रुपये का मुनाफा कमाया. वहीं, अब वो इसकी खेती से साल में लाखों रुपये का मुनाफा कमा रहे हैं.
ये भी पढ़ें:- MP की यह महिला किसान कर रही मिश्रित खेती, जैविक खाद से भी हो रही बढ़िया कमाई
किसान नत्थीलाल ने बताया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए सिर्फ एक बार स्ट्रक्चर तैयार करने में पैसा लगाना पड़ता है, जिसके बाद कई सालों तक ड्रैगन फ्रूट से अच्छा खासा मुनाफा कमाया जा सकता है. इसके लिए शुरुआत में ही मेहनत करनी पड़ती है. बाद में ड्रैगन फ्रूट आपको 20 साल तक मुनाफा दे सकता है. बता दें कि राजस्थान में पानी की कमी होने के बावजूद भी नत्थीलाल ड्रैगन फ्रूट की खेती करके अपने जिले के किसानों के लिए प्रेरणा बने हुए हैं.
बता दें कि ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिए किसान नत्थीलाल को राज्य के सीएम भजनलाल शर्मा से सराहना मिल चुकी है. गणतंत्र दिवस पर सीएम भजनलाल शर्मा से नत्थीलाल ने परिवार सहित मुलाकात की थी. वहीं, ड्रैगन फ्रूट की खेती को लेकर सीएम भजनलाल ने तारीफ की. साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि आने वाले समय में ड्रैगन फ्रूट जैसी खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार पूरा सहयोग करेगी.
किसी भी तरह की मिट्टी में ड्रैगन फ्रूट उगाया जा सकता है. लेकिन बलुई दोमट मिट्टी इसके लिए सबसे अच्छी मानी जाती है. इसकी खेती के लिए गड्ढे खोदकर कंक्रीट के बने खंभे गाड़े जाते हैं. दो खंभों के बीच की दूरी लगभग 5 हाथ होनी चाहिए. इसके बाद खंभे से सटाकर चार पौधे रोप दिए जाते हैं. रोपाई के समय ही पौधे में हल्का पानी दे दिया जाता है. फिर ड्रिप सिंचाई पद्धति से समय-समय पर पौधों को पानी दिया जाता है.
पौधों में हर महीने गोबर का खाद डालना अच्छा रहता है. किसान चाहें तो रासायनिक खाद का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. वहीं, लगभग 8 महीने बाद पौधे खंभे के बराबर हो जाते हैं. 16 महीने बाद पौधों पर छोटे फल आने शुरू हो जाते हैं. हालांकि पहले कलियां आती हैं जिसके बाद फल दिखने लगते हैं. 18 महीने बाद फल का रंग पूरी तरह से गुलाबी हो जाता है जिसे किसान तोड़कर बेच सकते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today