कभी 5 रुपये दिहाड़ी कमाते थे अमरावती के रविंद्र मेटकर, आज हर दिन है 60,000 रुपये की कमाई

कभी 5 रुपये दिहाड़ी कमाते थे अमरावती के रविंद्र मेटकर, आज हर दिन है 60,000 रुपये की कमाई

16 वर्ष की आयु में रविन्द्र ने एक केमिस्ट की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया, जहां उन्हें हर दिन का मात्र 5 रुपये मिलता था. कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी, अक्सर कॉलेज पैदल ही जाते थे क्योंकि उनके पास साइकिल खरीदने का पैसा नहीं था. पोल्ट्री फार्मिंग में एक पड़ोसी की सफलता से प्रेरित होकर रविन्द्र ने इसमें हाथ आजमाने का फैसला किया.

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कभी 5 रुपये दिहाड़ी कमाते थे अमरावती के रविंद्र मेटकर, आज हर दिन है 60,000 रुपये की कमाईPoultry Farming

कहते हैं जब कुछ करने की चाह और जुनून हो तो उम्र और वक्त माइने नहीं रखता है. कई लोगों ने इस बात को हर बार सच साबित किया है. हम हर रोज अपने आसपास कई ऐसे लोगों को देखते हैं जो कम समय और कम उम्र में कुछ ऐसा कर जाते हैं जो अपनी उम्र के लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन जाता है. इसी कड़ी में आज हम एक ऐसे शख्स की बात करेंगे जो कभी रोजाना 5 रुपये कमाते थे लेकिन आज हर दिन कम से कम 60,000 रुपये कमा रहे हैं.

आपको बता दें 55 वर्षीय रविन्द्र मेटकर ने मात्र 16 वर्ष की आयु में ही पोल्ट्री फार्मिंग में अपना सफ़र शुरू कर दिया था. महाराष्ट्र के अमरावती जिले के एक छोटे से गांव में पले-बढ़े रविन्द्र का बचपन आर्थिक तंगी से भरा रहा. उनके पिता चपरासी के तौर पर काम करते थे और तीन भाई-बहनों के साथ परिवार को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा.

केमिस्ट की दुकान पर करते थे काम

16 वर्ष की आयु में रविन्द्र ने एक केमिस्ट की दुकान पर काम करना शुरू कर दिया, जहां उन्हें हर दिन का मात्र 5 रुपये मिलता था. कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी, अक्सर कॉलेज पैदल ही जाते थे क्योंकि उनके पास साइकिल खरीदने का पैसा नहीं था. पोल्ट्री फार्मिंग में एक पड़ोसी की सफलता से प्रेरित होकर रविन्द्र ने इसमें हाथ आजमाने का फैसला किया. 1984 में अपने पिता के प्रोविडेंट फंड से 3,000 रुपये लेकर उन्होंने 100 मुर्गियों के साथ अपना पोल्ट्री व्यवसाय शुरू किया. इन वर्षों में रविन्द्र की कड़ी मेहनत रंग लाई.

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कई चुनौतियों का किया सामना

1994 तक, उन्होंने अपने फार्म को 400 मुर्गियों तक बढ़ा लिया था और 1992 में वाणिज्य में अपनी मास्टर डिग्री पूरी की. उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा, जिसमें उनकी आर्थिक तंगी के कारण शादी करने में भी परेशानी हुई. लेकिन आज के समय में वो अपनी जीवनसाथी के साथ बेहद खुश हैं. 

रोजगार बढ़ाने में बैंक से ली मदद 

रवींद्र का बिजनेस बढ़ता रहा. उन्होंने अमरावती में एक एकड़ ज़मीन खरीदी और अपने फार्म को 4,000 मुर्गियों तक बढ़ाने के लिए 5 लाख रुपये का बैंक लोन लिया. उनका व्यवसाय फला-फूला, जिससे उन्हें अपने घर का ठीक करने और 12,000 मुर्गियों तक विस्तार करने का मौक़ा मिला.

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बर्ड फ़्लू से प्रभावित हुआ था कारोबार

हालांकि, 2006 में, भारत में बर्ड फ़्लू का प्रकोप हुआ जिसने पोल्ट्री उद्योग को बुरी तरह प्रभावित किया. रवींद्र को अपने 16,000 ब्रॉयलर भारी नुकसान में बेचने पड़े. इस झटके के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी. 2008 में, उन्होंने 25 लाख रुपये का लोन लिया और 20,000 अंडे देने वाली मुर्गियों के साथ अपना व्यवसाय फिर से शुरू किया.

हर दिन की कमाई

आज रवींद्र का फार्म 50 एकड़ में फैला है और इसमें 1.8 लाख मुर्गियां हैं. अपने फलते-फूलते पोल्ट्री व्यवसाय से वह प्रतिदिन 60,000 रुपये तक कमा लेते हैं.

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