रासायनिक से अलग अब ऑर्गेनिक खादों की चर्चा है. क्योंकि ऑर्गेनिक खेती का दायरा तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में वर्मी कंपोस्ट यानी केंचुआ खाद की मांग भी बढ़ रही है. कुछ लोगों को इसमें बिजनेस दिखाई दे रहा है. वो वर्मी कम्पोस्ट से कमाई कर रहे हैं. राजस्थान के जयपुर के सुंदरपुरा गांव के रहने वाले डॉ. श्रवण यादव ऐसे ही लोगों में शामिल हो गए हैं. वो वर्मी कंपोस्ट के बिजनेस से अच्छा पैसा कमा रहे हैं. दूसरे लोगों को भी कमाई का एक नया रास्ता दिखा रहे हैं. खास बात यह है कि यादव ने मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़ कर जैविक खेती में पीएचडी की है. इसकी वजह से उन्हें इस बिजनेस की समझ मिली और फिर उसकी वजह से कामयाबी.
आजतक की खबर के अनुसार राजस्थान के जयपुर के सुंदरपुरा गांव के रहने वाले डॉ श्रवण यादव देश के कई राज्यों में अपने वर्मी कंपोस्ट की डिलीवरी करते हैं. इससे उनको हर महीने करीब 2 लाख रुपये तक कमाई हो रही है. अपने क्षेत्र में वो मिसाल बन गए हैं. खेती-किसानी में रासायनिक कीटनाशकों के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को जागरूक किया जा रहा है. सरकार रासायनिक कीटनाशक मुक्त फसलों की खेती को प्रोत्साहित कर रही है. इसी में यादव ने बिजनेस का अवसर खोज लिया.
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श्रवण बताते हैं कि शुरुआत से ही खेती में उन्हें काफी रुचि थी. अपनी सारी पढ़ाई भी खेती से संबंधित विषयों से ही की है. ऑर्गेनिक फार्मिंग में एमएससी की, फिर 2012 में उन्होंने JRF की स्कॉलरशिप हासिल की. इस दौरान मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब लग गई. लेकिन नौकरी में मन नहीं लगा. इसलिए उसे छोड़कर उदयपुर महाराणा प्रताप यूनिवर्सिटी से जैविक खेती की पर पीएचडी शुरू की. साल 2020 में लॉकडाउन हुआ तो अपने घर वापस लौट आया. खाली रहने के दौरान वर्मी कंपोस्ट का बिजनेस शुरू किया. इसकी एक छोटी यूनिट शुरू की. शुरुआत में लोगों ने ताना दिया कि इतनी पढ़ाई और वर्मी कंपोस्ट की बिक्री कर रहे हो. परिवार भी इस काम के खिलाफ था, लेकिन जब अच्छा मुनाफा आने लगा तब शिकायतें दूर हो गईं.
यादव ने बताया कि सबसे पहले 17 बेड के साथ वर्मी कंपोस्ट की यूनिट शुरू की थी. लेकिन काम इतना बढ़ता गया कि अब बेड्स की संख्या 1800 हो गई है. इसमें 11 लोगों को रोजगार भी दिया हुआ है. लोगों को वर्मी कंपोस्ट यानी केंचुआ खाद देने का तरीका भी बिल्कुल अलग है. यादव ने कहा कि मैं एक किलो खाद में किसानों को 2500 केंचुएं तक देता हूं. वहीं, अन्य लोग 400 तक देते हैं. इसलिए उनका काम चल निकला. यादव ने बताया कि वो अपना प्रोडक्ट बेचने के लिए सोशल मीडिया की मदद लेते हैं. उनकी सफलता पर उन्हें कई अवार्ड मिल चुके हैं.
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