
20 साल के बाद अपने गृह राज्य बिहार आई इंजीनियर मीनम संजीव ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को आत्मनिर्भर होने का गुण सीखा रही हैं. कैंसर जैसे रोग को हराने वाली 42 वर्षीय ये महिला ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को निःशुल्क कंप्यूटर और स्पोकन इंग्लिश का ट्यूशन दे रही हैं. ये कहती हैं कि कंप्यूटर और अंग्रेजी का ज्ञान सभी को होना चाहिए. इसके बगैर अपको कहीं पर भी अच्छी नौकरी नहीं मिलेगी. खास बात यह है कि इनका बचपन से ही ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को पढ़ाने और जागरूक करने का सपना था, जो अब पूरा हो रहा है.
इंजीनियर मीनम संजीव राजधानी पटना के परसा बाजार में अपनी एनजीओ की मदद से ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के अलावा व्यस्यक महिलाओं को मोमबत्ती बनाने और सिलाई मशीन चलाने की ट्रेनिंग दे रही हैं. उनका मानना है कि बिहार बहुत ही पिछड़ा हुआ राज्य है. यहां पर गरीबी बहुत अधिक है. अच्छे स्कूल और कॉलेजों की भी कमी है. ऐसे में बच्चों को उच्चा शिक्षा के लिए दूसरे राज्यों में जाना पड़ता है. लेकिन इसके बावजूद भी बिहार को विकसित राज्य बनाया जा सकता है. इसके लिए हम जैसे बिहारी लोगों को आगे आने की जरूरत है. उनका कहना है कि बिहारी होने की वजह से उनके ऊपर बिहार का कर्ज है. उसी को पूरा करने के लिए जरूरतमंदों की मदद कर रही हूं.
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मीनम संजीव का कहना है कि शादी होने के बाद वह अपने पति के साथ दिल्ली चली गईं. वहीं पर पिछले 20 साल से नौकरी कर रही थीं. लेकिन बिहार का प्रेम ने उन्हें फिर से पटना खींच लाया. साल 2022 में अपने पति और एक बेटी के साथ राजधानी दिल्ली से पटना आ गईं. मीनम कहती हैं कि बचपन से ही उन्हें ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के लिए कुछ करने की चाहत थी. लेकिन अपनी पढ़ाई और फिर शादी होने के बाद समय नहीं मिला. लेकिन 2020 में कोविड के दौरान कुछ शिक्षकों की मदद से गाजियाबाद में मुफ्त ऑनलाइन शिक्षा देने का काम शुरू किया.
उसके बाद जब शिक्षकों के द्वारा पैसे की मांग हुई, तो विदेश के बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाना शुरू कर दिया. उससे जो आमदनी हुई, उससे शिक्षकों में सैलरी देने लगा. तभी मन में ख्याल आया कि क्यों न यही काम बिहार में चलकर किया जाए. पटना में ही गरीब बच्चों और महिलाओं को फ्री में शिक्षा दी जाए. फिर क्या था, वह पटना वापस आ गईं. अभी वह विद्याधर एजुकेशन फाउंडेशन और विद्याधर समर फाउंडेशन की मदद से ग्रामीण क्षेत्र व शहरी क्षेत्र के लोगों को आत्मनिर्भर होने का गुण सीखा रही हैं.
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मीनम पांच साल पहले कैंसर को भी पराजित कर चुकी हैं. वह कहती हैं कि जब कैंसर हुआ था, तो उस समय अपना सपना पूरा होता नहीं देख बहुत दुखी थी. लेकिन अब कैंसर को पराजित कर बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने का सपना पूरा हो रहा है. आज 45 से अधिक लड़के, लड़कियां और महिलाएं इनसे जुड़ चुके हैं. इन्हें पढ़ाई के अलावा मोमबत्ती बनाने और सिलाई मशीन चलाने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह कहती हैं कि बिहार से बाहर रहने वाले आर्थिक रूप से संपन्न लोगों की भी नैतिक जिम्मेदारी है कि वे अपने गृह राज्य के लिए कुछ करें. केवल सरकार पर सब कुछ छोड़ देना सही नहीं है.
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