आज के समय में आपको घर बैठे जो भी मिल जाए वही आपके लिए सबसे अच्छी और सही चीज है. इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग अब आराम पाने के लिए हर चीज घर बैठे ही ऑर्डर करना चाहते हैं. ताकि उन्हें बाहर न जाना पड़े और आसानी से घर पर ही सामान मिल सके. चाहे वह कपड़े हों, सब्जियां हों, घरेलू राशन हो, दूध हो या कोई अन्य सामान. लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि अब आप घर बैठे सिर्फ दूध ही नहीं बल्कि गाय-भैंस भी पा सकते हैं? जी हां, आज के बदलते दौर में यह भी संभव हो गया है. अब आप घर बैठे अपने फोन से गाय-भैंस की होम डिलीवरी ले सकते हैं. क्या है इसके पीछे की पूरी कहानी आइए जानते हैं.
निकिता, कनुप्रिया, प्राची और रूपीश, ये चार लोग बड़ी-बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में काम कर रहे थे और आसानी से लाखों-करोड़ों रुपये कमा रहे थे. लेकिन कुछ अलग करने की चाहत अभी भी इन लोगों के मन में कहीं न कहीं था हीं. निकिता ने पहले ही बोस्टन में अपनी कंपनी खोल ली थी, जिसके बाद इन तीनों ने भी अपना काम छोड़ दिया और मेरा पशु 360 के नाम से काम करना शुरू कर दिया. सह-संस्थापक निकेत का दावा है कि यह देश की पहली कंपनी है जो गाय-भैंसों की होम डिलीवरी करती है. मतलब मेरा पशु 360 के ऐप या वेबसाइट के जरिए किसान घर बैठे गाय-भैंस खरीद सकते हैं. ठीक वैसे ही जैसे आप घर बैठे मिंत्रा और फ्लिपकार्ट से अपनी जरूरत का सामान ऑर्डर करते हैं.
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निकेत बताते हैं कि देश में जानवरों की खरीद-फरोख्त का बड़ा बाजार है. करोड़ों परिवार गाय और भैंस के दूध पर जीवित रहते हैं. डेयरी व्यवसाय से देश में भारी मुनाफा मिलता है लेकिन इस क्षेत्र में गाय-भैंस खरीदते समय किसानों को धोखा भी मिलता है. कई बार खरीदने से पहले उन्हें बताया जाता है कि एक भैंस एक दिन में 20 लीटर दूध देती है लेकिन असल में वह भैंस एक दिन में 5 लीटर भी दूध नहीं दे पाती है. ऐसे में खरीदने वाले डेयरी किसान को भारी नुकसान होता है. निकेत बताते हैं कि उनकी टीम एक जानवर को 75 से ज्यादा मापदंडों पर परखती है और उसके हिसाब से उसकी कीमत तय करती है.
यहां मौजूद एक्स्पर्ट्स सबसे पहले पशुओं की आँखें चेक करते हैं. फिर लंबाई- चौड़ाई चेक करते हैं. उसके बाद पशुओं के सींग का आकार देखा जाता है. फिर थन की जांच होती है. एनिमिक है कि नहीं, ये देखते हैं. जिसके बाद फिर उन्हें बेचने के लिए रखा जाता है.
बात सिर्फ इतनी ही नहीं है, निकेत और उनकी टीम पशुओं के लिए खाना भी तैयार करती है. इसके पीछे भी एक अनोखा कॉन्सेप्ट है. कनुप्रिया बताती हैं कि गांव में महिलाएं जानवरों की पूरी देखभाल करती हैं. लेकिन जैसे ही उनके लिए बाजार से ओखली या भूसा लाने की जरूरत होती है तो यह काम पुरुष को सौंप दिया जाता है. महिलाओं को बाज़ार जाने या पैसा कमाने का काम करने की इजाज़त नहीं है. लेकिन महिलाएं अब घर बैठे ऐप के जरिए या हमें कॉल करके ऑर्डर दे सकती हैं. इसीलिए हमने अपने कॉल सेंटर में भी 40 प्रतिशत से ज्यादा महिला स्टाफ रखा है.
यह टीम खेतों, खलिहानों, किसानों के घरों में भी जाती है और कॉरपोरेट दफ्तरों में भी बैठती है. मेरा पशु 360 का कॉर्पोरेट कार्यालय बाकियों से अलग दिखता है. यहां महिलाओं की संख्या भी सबसे अधिक है. यहां काम करने वाली ज्यादातर महिलाएं किसान परिवारों से हैं. इतना ही नहीं, वह किसानों से उनकी स्थानीय भाषा में बात करती हैं. अधिकतर ऐसी लड़कियाँ है जो किसान परिवार से ही आती हैं और घर की पहली लड़की हैं जो बाहर नौकरी कर रही है.
एक महिला कर्मचारी जो किसान परिवार से आती है. वह बताती हैं कि जब वह यहां आईं तो उन्हें कुछ नहीं पता था लेकिन फिर उन्हें यहां ट्रेनिंग मिली और नौकरी में आगे बढ़ने के मौके भी मिले. तान्या एक सिंगल मदर हैं. वह कहती हैं कि जब वह यहां आईं तो उन्हें लैपटॉप पर काम करना नहीं आता था, लेकिन बच्चों को अच्छा भविष्य दिख रहा है.
यह स्टार्टअप किसानों और किसान परिवारों की महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए काम कर रहा है. कंपनी को शुरू हुए अभी सिर्फ दो साल ही हुए हैं लेकिन यह 4 से ज्यादा राज्यों तक पहुंच चुकी है. अब सपना पूरे देश में फैलने का है. (मनीष चौरसिया की रिपोर्ट)
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