यूं तो दुनियाभर में कई म्यूजियम यानी संग्रहालय हैं, जिनमें दुर्लभ से लेकर अति दुर्लभ वस्तुओं को जगह दी गई है, लेकिन क्या आपने सुना है कि कोई गोबर वाला म्यूजियम बना सकता है. दिल्ली के बवाना में दो दोस्तों ने इसी तरह का एक म्यूजियम बनाया है. जिसमें गाय के गोबर और गौमूत्र से बनी वस्तुओं को रखा गया है. दोनों दोस्तों से इसे नाम गोबरधन म्यूजियम का दिया गया है.
यह म्यूजियम दिल्ली के बवाना क्षेत्र में स्थित श्री कृष्ण गौशाला में है और इन दिनों यह एक आकर्षण का केंद्र भी बना हुआ है. इस म्यूजियम को आयुष सुलतानिया और ऋषभ रावत ने बनाया है. यहां इन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर गाय के गोबर और गौमूत्र से बहुत से शानदार उत्पाद बनाए हैं, जिसमें कंपनी के लोगों, दीवाल घड़ी, धूपबत्ती, हवन कप, हवन टिक्की और करीब 100 से भी अधिक उत्पाद बनाएं हैं और इन सभी को इस गोबर्धन म्यूजियम में देखने और बेचने के लिए भी रखा गया है.
आयुष ने बताया कि इस सफर की शुरूआत उन्होंने गाय के गोबर से बनने वाली लकड़ी से की थी, जो कि पर्यावरण संरक्षण में काफी हद तक सहायक साबित हुई और हो रही है. देश के विभिन्न मुक्ति धामों में इसकी मदद से दाह संस्कार किए जा रहे हैं. इससे शवों को जलाने में प्रयोग होने वाली लकड़ी की खपत में भी कमी आ रही है. साथ ही विभिन्न धार्मिक आयोजनों और होलिका दहन में भी इसका प्रयोग हो रहा है.
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किसान तक से हुई बातचीत में आयुष ने बताया कि उनकी टीम में 16 सदस्य हैं, जिसमें डिजिटल मार्केटिंग एक्सपर्ट, ग्राफिक्स डिजाइनर, रिसर्च डेवलपर आदी भी शामिल हैं. पहले स्वयं इन्होंने ये उत्पाद बनाए थे अब ये प्रोफेशनल आर्टिस्ट भी अपनी कंपनी के साथ जोड़ रहे हैं.
आयुष ने बताया कि उन्होंने गाय के गोबर से बने उत्पादों के बढ़ती मांग के चलते इसे ई-कॉमर्स पोर्टल पर भी अपने ये उत्पाद बेचना शुरू किया साथ ही खुद की वेबसाइट arthcart.com पर भी ये सभी उत्पाद उपलब्ध हैं. जिसको लोग घर बैठे मंगा सकते हैं.
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देश में गाय के गोबर और गौमूत्र से बने उत्पादों को लेकर लोगों में काफी रुची देखने को मिली है और इसकी मांग भी बढ़ रही है. जिसके बाद आयुष अब जल्द ही इन उत्पादों को देश के बाहर भी बेचने का मन बना रहे हैं और वह चाहते हैं कि देसी गाय के महत्व व इसके गोबर, गौमूत्र के महत्व को पूरी दुनिया जानें और इन उत्पादों का प्रयोग करें, इससे देश की गौशाला भी और समृद्ध और सश्क्त बनेंगी.
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