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यूट्यूब पर देखी मॉर्डन स्‍टाइल की स्‍ट्रॉबेरी की खेती, अब सोनीपत का यह किसान कमा रहा लाखों रुपये 

यूट्यूब पर देखी मॉर्डन स्‍टाइल की स्‍ट्रॉबेरी की खेती, अब सोनीपत का यह किसान कमा रहा लाखों रुपये 

सोनीपत के गांव खेड़ी गुज्जर के रहने वाले किसान दिनेश कुमार पहले गेहूं और धान की खेती करते थे. लेकिन इस खेती से उन्‍हें ज्यादा कमाई नहीं हो पा रही थी. ऐसे में उसने कुछ अलग करने की ठानी. दिनेश ने साल 2022 में आधा एकड़ खेत में स्‍ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. उन्‍होंने शुरुआत में खर्च निकाल कर सात महीने की खेती में करीब ढाई लाख रुपये भी बचा लिये थे.

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स्‍ट्रॉबेरी की खेती ने बदली किसान की किस्‍मत  स्‍ट्रॉबेरी की खेती ने बदली किसान की किस्‍मत

हौसलों में उड़ान हो तो कठिनाई कहा मायने रखती है. आज हम आपको सोनीपत के गांव खेड़ी गुज्जर के रहने वाले किसान दिनेश कुमार के संघर्ष की कहानी बताते है.  दिनेश पहले गेंहू और धान की खेती करते थे. लेकिन इस खेती से उन्‍हें ज्यादा कमाई नहीं हो पा रही थी. ऐसे में उसने कुछ अलग करने की ठानी. इसी दौरान साल 2021 में बजाना गांव के एक किसान प्रवीण से मिले. प्रवीण काफी समय से स्ट्राबेरी की खेती कर रहे थे. दिनेश ने प्रवीण से स्‍ट्रॉबेरी की खेती के बारे में जानकारी हासिल की.  लेकिन उसके घर वालों ने उसे स्‍ट्रॉबेरी की खेती करने की मंजूरी नहीं दी. दिनेश मन में कुछ अलग करने की ठान चुके थे और फिर उन्‍होंने जो कदम उठाया उसके बाद उनका पूरा जीवन बदल गया. 

आधा एकड़ में शुरू की खेती 

दिनेश ने साल 2022 में आधा एकड़ खेत में स्‍ट्रॉबेरी की खेती शुरू की. उन्‍होंने शुरुआत में खर्च निकाल कर सात महीने की खेती में करीब ढाई लाख रुपये भी बचा लिये थे. इसके बाद दिनेश के हौसलों को नई उड़ान मिली. साथ ही घरवालों का भी सहारा मिल गया. इसके बाद उन्‍होंने अपनी खेती को और आगे बढ़ाया और दो एकड़ में स्‍ट्रॉबेरी की खेती करने लगे.  दो एकड़ की फसल में करीब 20 लाख रुपये का खर्च आया. मगर करीब 10 से 12 लाख रुपये की बचत भी हुई.  उसने अपनी खेती को आगे और खेती आधा एकड से शुरुआत करने के बाद अब चार एकड में स्‍ट्रॉबेरी की खेती कर रहा है. अब हर साल करीब लाखों रुपये कमा रहा है.  

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सितंबर में शुरू होती है खेती 

किसान दिनेश ने बताया कि स्‍ट्रॉबेरी की खेती की शुरुआत सिंतबर में की जाती है. अप्रैल में इसके खेती खत्म हो जाती है.  स्‍ट्रॉबेरी के बीज दिनेश कुमार पुणे से मंगवाते हैं.  बीज आने के बाद खेत की अच्‍छी तरह सफाई कर कतार बनाकर उसमें बीज बो देते हैं. इसे पॉलीथीन से ढंक दिया जाता है ताकि फसल खराब न हो.  कुछ दिनों बाद फसल आनी शुरू हो जाती है. इसे वह बाजार में बेच देते हैं. किसान दिनेश ने बताया कि उसके साथ करीब 40 किसान काम करते हैं. जब उन्‍होंने इसकी शुरुआत की थी तो सिर्फ तीन लोग ही उनके साथ थे. 

अब दे रहे हैं कई लोगों को रोजगार 

दिनेश अब स्‍ट्रॉबरी की खेती के साथ-साथ इन 40 लोगों को रोजगार भी दे रहे हैं. उसके पास दूसरे किसान भी आ रहे है. ये किसान दिनेश से स्‍ट्रॉबेरी की खेती के बारे में पूछते हैं. दिनेश अब अपने आस-पास के किसानों के लिए मिसाल बन चुके हैं. युवा किसान दिनेश की मानें तो उनके साथी और यूट्यूब पर देखकर स्ट्रॉबेरी की खेती के वीडियोज ने उन्‍हें काफी प्रभावित किया है. दिनेश ने बताया कि एक एकड़ में करीब चार से पांच लाख रुपये तक का खर्च आता है. उसे एक एकड़ में करीब 10 से 12 लाख रुपये की बचत होती है. उनके खेतों में उगी स्‍ट्रॉबेरी की मांग आजादपुर मंडी के अलावा गुवाहटी, नागपुर भी है और इसमें लगातार इजाफा हो रहा है.