जमशेदपुर के पटमदा के रहने वाले सुशांत दत्ता ने इंजीनियर बनने के बाद कई कंपनियों के जॉब ऑफर ठुकरा कर नई तकनीक से खेती करने का फैसला लिया. इस फैसले के बाद सुशांत ने अपने दादा की परंपरागत खेती और नए ढंग से शुरू किया और आज के समय में जरबेरा फूल की खेती कर लाखों कमा रहा है. ये लोग करीब पांच रंगों के जरबेरा फूलों की खेती कर रहे हैं. आपको बता दें यह फूल बाजार में बिकने वाले सभी फूलों में सबसे महंगा है. एक समय था जब इस फूल को लोग कोलकाता और बेंगलुरु से मंगाते थे. आज ये फूल खुद तैयार कर बाजार में भेज रहे हैं. सबसे पहले इन लोगों ने अपने गांव की मिट्टी की जांच कराई और फिर बैंक से लोन लेकर पॉली हाउस बनाया. फिर गूगल की मदद से इन लोगों ने जरबेरा फूल की खेती शुरू की और आज सिर्फ 6 महीने में लाखों रुपये कमा रहे हैं.
सुशांत दत्ता ने बताया कि इंजीनियरिंग करने के बाद उन्हें कई जगहों से नौकरी के ऑफर मिले थे लेकिन उन्हें लगा कि अगर वे पारंपरिक खेती करेंगे और अपने पूर्वजों की सदियों पुरानी परंपरा को अपनाएंगे तो उन्हें बहुत फायदा होगा और उन्होंने इस बात को ध्यान में रखा. उन्होंने जरबेरा की खेती शुरू की है. वर्तमान में 2700 बीज लगाए गए हैं और इन पौधों में सप्ताह में दो बार फूल आते हैं जिन्हें वे बाजार में बेच रहे हैं और महीने में दो बार की दर से काफी मुनाफा भी कमा रहे हैं.
ये भी पढ़ें: पान के साथ करें परवल और लौकी की खेती, इस नई तकनीक से दोहरा लाभ पा सकते हैं किसान
छात्र युधिष्ठिर महतो कहते हैं कि हमने पहली बार जरबेरा फूल की खेती की है, पटमदा में ऐसा पहली बार हुआ है. जरबेरा फूल बंगाल से आता है. तो हमने सोचा कि हम जुलाई के महीने में एक पौधा क्यों नहीं लगा सकते और आज यह हमें फूल दे रहा है, हम लाख रुपये से ज्यादा कमा रहे हैं, यहां पांच प्रकार के फूल लगाए गए हैं.
राजेश रंजन कहते हैं कि हमारे सभी लड़के पढ़े-लिखे हैं. कुछ इंजीनियर हैं और कुछ इंजीनियर बनने वाले हैं, जो हमारी विरासत है. इन लड़कों ने जिस लगन से काम किया है, आने वाले साल में उन्हें 3 से 4 लाख रुपये का मुनाफा होगा. जरबेरा फूल बंगाल और बैंगलोर से पहले आते थे. आज हमने इस छोटे से गांव में जरबेरा की खेती की है. (अनूप सिन्हा की रिपोर्ट)
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today