
बिहार के दरभंगा जिले के टटुआर गांव के रहने वाले राजीव रंजन ने अपनी लाखों रुपये के पैकेज वाली शानदार नौकरी और तकनीकी करियर को छोड़कर सुपरफूड मखाने में अपना कैरियर बनाया है और क्षेत्र में अपने साथ इस एरिया के किसानों में एक नई क्रांति ला दी है. राजीव रंजन, एक कुशल कंप्यूटर इंजीनियर हैं, उन्होंने 2013 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद अमेरिकी सहित कई बड़ी कंपनियों में काम किया. लेकिन, 2021 में कोरोना काल के दौरान जब वे अपने गांव लौटे तो उन्होंने मखाना किसानों से मिलने के बाद मखाना में अपना करियर बनाने के बारे में सोचा. फिर उन्होंने मखाना की खेती के तरीके और प्रोसेंसिंग में बदलाव लाकर इसमें नई प्रगति लाई और क्षेत्र के किसानों को प्रगति की नई राह दिखाई. अब इस क्षेत्र के किसानों को मखाना की खेती में पहले से ज्यादा लाभ मिल रहा है.
राजीव रंजन ने मखाना किसानों के बीच तीन महीने बिताकर उनकी परेशानियों और मखाना उत्पादन से जुड़ी चुनौतियों को समझा. उन्होंने बिहार के छह जिलों का दौरा किया और मखाना उत्पादकों से मुलाकात कर उनके मुद्दों को समझा. किसानों की दिक्कतों को जानने के बाद उन्होंने मखाना किसानों के हित में कुछ ठोस करने का निर्णय लिया. राजीव रंजन ने खुद 40 एकड़ जमीन पर मखाना की खेती शुरू की और इसके अलावा 80 एकड़ भूमि लीज पर लेकर उत्पादन क्षेत्र को बढ़ाया. 2023 में उन्होंने "मणिगाछी मिडास फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड" (FPC) की स्थापना की. वर्तमान में इस एफपीसी के साथ 853 किसान पंजीकृत हैं और 2700 किसान इस समूह से जुड़े हुए हैं.
एफपीसी के गठन के बाद राजीव रंजन के नेतृत्व में इस समूह ने 57 टन मखाना का उत्पादन किया, जिसका टर्नओवर लगभग 9 करोड़ रुपये तक पहुंच गया. उनके प्रयासों से मखाना की कीमत ₹280 प्रति किलो से बढ़कर ₹1200 प्रति किलो हो गई, जिससे किसानों को अधिक मुनाफा मिलने लगा.
राजीव रंजन ने मखाना को जी20 सम्मेलन में शामिल कराने के लिए अथक प्रयास किए. उनकी मेहनत रंग लाई और 24 अगस्त 2023 को मखाने को काजू की जगह जी20 सम्मेलन में प्रस्तुत किया गया. इस उपलब्धि ने मखाना उद्योग को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मंच पर नई पहचान दिलाई.
एफपीसी ने मखाना से बने 17 नए उत्पाद तैयार किए, जो मखाना उद्योग जगत को एक नया आयाम देने में सफल रहे. इसके अलावा, एफपीसी ने वर्ल्ड फूड इंडिया 2023 और 2024 में मखाने को प्रमुख उत्पाद के रूप में प्रदर्शित किया. आईआईटीएफ 2024 में कृषि मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय की ओर से मखाना का विशेष स्टॉल लगाया गया, जिससे मखाना उत्पादकों को नए बाजारों तक पहुंचने का अवसर मिला.
राजीव रंजन के प्रयासों को सरकार ने भी सराहा है. एफपीसी को विदेश मंत्रालय से मान्यता प्राप्त हुई और उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रशंसा पत्र दिया गया. वर्ष 2024 में कृषि किसान कल्याण मंत्रालय ने उन्हें 'सर्वश्रेष्ठ कृषि उद्यमी पुरस्कार' से सम्मानित किया. राजीव रंजन का सपना है कि "मणिगाछी मिडास एफपीसी" को दुनिया का सबसे सफल एफपीसी मॉडल बनाया जाए. उनका लक्ष्य है कि आने वाले समय में इस एफपीसी से 5 लाख किसान जुड़ सकें और उन्हें मखाना उत्पादन के माध्यम से बेहतर आर्थिक अवसर मिले.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today