रांची के नगड़ी क्षेत्र के रहने वाले युवा किसान राहुल ट्रेडिशनल खेती छोड़ कर गुलाब की खेती कर रहे हैं. इसमें उन्हें हर महीने एक-सवा लाख रुपये की कमाई हो रही है. उनका कहना है कि खेती की चनौती अगर स्वीकार की जाए तो इसमें कमाई की भरपूर संभावनाएं हैं.
फरवरी का महीना आते ही गुलाबों की बिक्री बढ़ जाती है. उसपर अगर शादी के लगन का रंग चढ़ा हो तो क्या कहने. अच्छी कीमत मिलने से गुलाब के व्यापारियों के साथ-साथ इसकी खेती करने वाले किसानों की भी बल्ले-बल्ले हो जाती है.
कमाई के फायदों को देखते हुए किसान इन दिनों गुलाब की खेती की ओर रुख कर रहे हैं. अब रांची के किसान राहुल को ही लीजिए. आजकल राहुल अपने खेतों में उम्दा किस्म के डच गुलाब ऊगा रहे हैं. राहुल कहते हैं कि सब्जियों के मुकाबले गुलाब उगाने में सिरदर्द कम और मुनाफा ज्यादा है.
राहुल कहते हैं, गुलाब का एक पौधा करीब दो महीने में फूल देने लगता है. फूल देने का यह सिलसिला अगले पांच साल तक चलता ही रहता है. मतलब, वन टाइम इन्वेस्टमेंट और लॉन्ग टाइम प्रॉफिट. किसान को एक बार पौधे लगाने हैं और हर साल फूलों को बेचकर कमाई करनी है.
राहुल की इस खेती में उनके पिताजी का भी बड़ा रोल है. इस बारे में राहुल कहते हैं, पिता का सिर पर हाथ हो तो तरक्की मिलते देर नहीं लगती. राहुल को गुलाब की खेती का नुस्खा भी उनके पिता से मिला. पिता के आशीर्वाद से राहुल को आज पैसे की अच्छी कमाई हो रही है.
खान और खनिज संपदा के लिए जाने जानेवाले झारखंड में धान के अलावा गिनी-चुनी सब्जियों की खेती हुआ करती थी. लेकिन अब यहां के किसानों की खेती को लेकर बदले ट्रेंड ने तरक्की के कई द्वार खोल दिए हैं. राहुल भी इनमें एक हैं जिन्हें गुलाब से महीने में लाख रुपये से अधिक कमाई हो रही है.
राहुल के पिताजी पारंपरिक किसान हैं जो शुरू से और कई पीढ़ियों से खेती करते आए हैं. इस परिवार में गेहूं, सब्जियों में गाजर, मूली, टमाटर की खेती हो रही है. लेकिन इस परिवार ने जब पॉलीहाउस में गुलाब की खेती देखी तो उन्होंने भी अपने खेतों में शुरू किया और अब अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.(रिपोर्ट/आकाश कुमार)
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