राजस्थान के भीलवाड़ा ज़िले में एक किसान के बेटे को जब पोस्ट ग्रैजुएशन और बीएड करने के बाद भी सरकारी नौकरी नहीं मिली तो उसने हार कर बैठने की बजाय कुछ नया करने का सोचा. उसने नौकरी का खयाल छोड़ खेती में खुद को लगाने का फैसला किया. परिवार में पहले से परंपरागत खेती चल रही थी जिसे छोड़कर गुलाब की खेती शुरू की. इसके बाद धीरे-धीरे इस किसान की पूरी जिंदगी बदल गई, परिवार का भी भला हो गया.
यह पूरी कहानी खारी के लांबा गांव के किसान सैफुद्दीन बागवान के एमएससी, बीएड बेटे मक़सूद की है. मकसूद आज गुलाब की खेती में बड़ा काम कर रहे हैं और बड़ा नाम कमा रहे हैं. मकसूद गुलाब उगाते हैं और खेत में ही गुलाब जल, गुलकंद शरबत और इत्र बनाकर बेचते हैं. आज वे सोशल मीडिया के माध्यम से मार्केटिंग कर अच्छा लाभ कमा रहे हैं. किसान मक़सूद भाप आसवन विधि से लकड़ी की भट्टी से गुलाब जल बनाते हैं.
मक़सूद के किसान पिता सैफुद्दीन बागवान ने कहा कि वे पहले परंपरागत खेती करते थे, लेकिन उससे अधिक मुनाफा नहीं मिलता था. उनके दादा जी भी घर पर गुलाब जल, गुलकंद, ईत्र बनाया करते थे. वर्तमान में बेटे मक़सूद के साथ खेत पर ही गुलाब की बुआई की है. अभी चैत्र महीने में गुलाब के फूल आते हैं उनसे खेत पर ही गुलाब जल, इत्र, गुलकंद और गुलाब का शरबत बना रहे हैं.
पिता सैफुद्दीन बागवान ने कहा कि बेटे मक़सूद की सरकारी नौकरी नहीं लगने पर उसने आधुनिक विधि के साथ गुलाब की खेती शुरू की. एक बीघा गुलाब की खेती में 15 से 30 किलो गुलाब हर दिन निकल जाता है. चैत्र महीने में निकलने वाले गुलाब की किस्म स्पेशल होती है जिससे गुलाब जल, गुलकंद, इत्र और शरबत बनाया जाता है.
मक़सूद ने खेत पर बन रहे गुलाब जल की विधि समझाते हुए बताया कि 30 किलो गुलाब के फूल से पांच से 10 लीटर गुलाब जल बनता है. एक लीटर गुलाब जल 200 से 250 रुपये प्रति किलो की भाव से बिकता है. खेत पर ही इन्होंने मिट्टी की भट्टी बना रखी है जिसके ऊपर एक बड़े पात्र में पानी के साथ गुलाब के फूल डाले जाते हैं. नीचे लकड़ी से तेज आंच पर गर्म कर भाप आसवन विधि से गुलाब जल तैयार किया जाता है.
पोस्ट ग्रैजुएट किसान मकसूद बागवान ने कहा कि वर्तमान में डिजिटल मीडिया का युग है जिसका वे पूरा फायदा लेते हैं. मकसूद खेत में ही गुलाब जल, गुलकंद, इत्र और शरबत तैयार करते हैं और उसको डिजिटल प्लेटफार्म के जरिए बेचते हैं. उनके बनाए सभी प्रोडक्ट प्रमाणिक हैं और वे शुद्धता की गारंटी भी देते हैं जिसके कारण ज्यादा बिक्री होती है.
मकसूद आज दूसरे किसानों के लिए भी प्रेरणा बने हुए हैं. उनका कहना है कि बाकी किसान भी अगर नई विधि से खेती करें, खेती में नए-नए प्रयोग करें तो उन्हें जरूर सफलता मिलेगी. बाहर रोजगार ढूंढने की बजाय खेती में हाथ आजमाया जाए तो उसका बेहतर फायदा मिल सकता है.
मकसूद के इस काम में उनके पिता पूरी मदद करते हैं. परिवार का बैकग्राउंड खेती-बाड़ी का रहा है, मगर खेती पारंपरिक होती रही है. उसे छोड़कर मकसूद के परिवार ने बागवानी फसलों की खेती शुरू की. इसमें उन्होंने गुलाब को अपनी कमाई का जरिया बनाया जिसने पूरी जिंदगी बदल दी है.(प्रमोद तिवारी की रिपोर्ट)
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