योगी सरकार ने यूपी कृषि निर्यात नीति को लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी है. इसके साथ ही Exporters को कृषि उत्पाद के परिवहन पर हर साल अधिकतम 20 लाख रुपये का अनुदान मिलेगा. इस नीति में सरकार द्वारा हाल ही में किए गए संशोधन के तहत कृषि उत्पादों के निर्यात में अनुदान की अधिकतम सीमा कुल माल भाड़े का 25 फीसदी तक तय की गई थी. UP CM योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में संशोधित नीति को लागू करने के प्रस्ताव को मंजूरी मिली थी. उद्यान, कृषि निर्यात, कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग की ओर से पेश किए गए संशोधन प्रस्ताव में परिवहन शुल्क पर मिलने वाले अनुदान की अधिकतम सीमा तय करने के प्रावधान को मंजूरी देने की मांग की गई थी. कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद गुरुवार को सरकार की ओर से संशोधित नीति लागू करने की अधिसूचना जारी कर दी गई.
यूपी के उद्यान, कृषि निर्यात, कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दिनेश प्रताप सिंह ने बताया कि यूपी कृषि निर्यात नीति-2019 (तृतीय संशोधन) 2024 को आंशिक संशोधन के साथ लागू कर दिया गया है. अब Processed Agriculture Products के निर्यातकों को माल भाड़े के खर्च पर मिलने वाले अनुदान की सीमा बढ़ा कर दोगुनी कर दी गई है.
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इतना ही नहीं, इस अनुदान की सालाना सीमा भी सरकार ने तय कर दी है. सिंह ने बताया कि सरकार द्वारा कृषि उत्पादों के परिवहन अनुदान मद के रूप में अब हर साल अधिकतम 20 लाख रुपये प्रति निर्यातक अथवा फर्म को दिया जायेगा. गौरतलब है कि इससे पहले अधिकतम परिवहन अनुदान सालाना 10 लाख रुपये था.
सिंह ने संशोधित नीति के हवाले से स्पष्ट किया कि यह अनुदान कृषि उत्पादों एवं उनके प्रसंस्कृत उत्पादों पर ही मिलता है. इस अनुदान के दायरे में मांस एवं चीनी के निर्यात को शामिल नहीं किया गया है.
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उन्होंने बताया कि यूपी की सीमाएं समुद्री तट से दूर हैं, इसलिए यह पूरी तरह से Landlocked State है. इस कारण निर्यातकों को समुद्री तट वाले राज्यों से प्रतिस्पर्धा करने में कठिनाई होती है. ऐसे में Airways से निर्यात करने पर खर्च बहुत ज्यादा आता है, इसको दृष्टिगत रखते हुए सरकार ने इस नीति के तहत निर्यातकों को परिवहन अनुदान देने का फैसला किया है.
सिंह ने कहा कि सीएम योगी ने कृषि उत्पादों के निर्यातकों की व्यवहारिक समस्याओं को दूर करके उन्हें अधिक से अधिक निर्यात के लिए प्रोत्साहित करने वाली नीति को लागू किया है. उन्होंने दावा किया कि यह नीति कृषि उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने में सहायक साबित हो रही है. इससे निर्यातकों की सुविधा तथा आमदनी भी बढ़ी है.
इस नीति के तहत मिलने वाला अनुदान, निर्यातक से इस आशय का प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद दिया जायेगा कि उनके द्वारा अन्य किसी स्रोत या विभाग से इस प्रकार का कोई अन्य अनुदान नहीं लिया गया है. संशोधित नीति के प्रावधान 01 जुलाई, 2024 से किये जाने वाले निर्यात पर लागू है. एक साल के बाद इस नीति की समीक्षा की जाएगी और जरूरत पड़ने पर फिर से समय की मांग के अनुरूप संशोधन किए जा सकेंगे.
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