Women Empowerment : यूपी में ग्रामीण महिलाएं खेती के कामों से करेंगी कमाई, बनेंगी कृषि आजीविका सखी

Women Empowerment : यूपी में ग्रामीण महिलाएं खेती के कामों से करेंगी कमाई, बनेंगी कृषि आजीविका सखी

महिलाओं के बिना खेती बाड़ी अधूरी है. खेती में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका होने के बावजूद इससे होने वाली आमदनी में उनकी भागीदारी नगण्य होती है. सदियों से नजरंदाज की जाती रही इस बात पर यूपी में Yogi Govt ने ध्यान दिया है. इसके तहत अब गांव की महिलाओं को कृषि आजीविका सखी बनाया जाएगा.

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Women Empowerment : यूपी में ग्रामीण महिलाएं खेती के कामों से करेंगी कमाई, बनेंगी कृषि आजीविका सखीजैविक खेती के काम सीखकर कमाई करेंगी यूपी की ग्रामीण महिलाएं (सांकेतिक फोटो)

सरकार ने Rural Economy को मजबूत बनाने में महिलाओं की अग्रणी भूमिका को सुनिश्चित करने वाली तमाम योजनाएं चलाई हैं. जिससे महिलाएं गांव में ही रहकर आजीविका के जरिए अपनी और अपने परिवार की आय में इजाफा कर सकें. यूपी में योगी सरकार ने इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए अब खेती बाड़ी में महिलाओं के अपरिहार्य कामों को भी उनकी आजीविका से जोड़ने की पहल की है. इसके तहत गांव की महिलाएं Farming Work को अपनी आजीविका का साधन बनाएंगी. इसके लिए  यूपी सरकार ग्रामीण महिलाओं को 'कृषि आजीविका सखी' बनने के गुर सिखाएगी. सरकार ने तय किया है कि यूपी की कृषि आजीविका सखियों को विभिन्न कृषि आधारित गतिविधियों से जोड़कर Lakhpati Didi बनाया जाएगा. इसके लिए ग्रामीण महिलाओं को खास तौर पर  प्रशिक्षित करने का दौर शुरू हो चुका है. शुरुआती चरण में 7 हजार से ज्यादा महिलाओं का प्रशिक्षण कराकर उनका सत्यापन भी हो गया है.

एनआरएलएम के तहत दिया जा रहा है प्रशिक्षण

यूपी के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के निर्देश पर लखपति महिला योजना के अंतर्गत गांव की महिलाओं को खेती के काम से आजीविका से साधन मुहैया कराने का उपक्रम प्रारंभ हुआ है. यह काम राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (NRLM) के तहत राज्य सरकारों द्वारा शुरू किए गए राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (SRLM) के माध्यम से किया जा रहा है.

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शुरू हुए 269 प्रशिक्षण कार्यक्रम

ग्रामीण विकास विभाग की ओर से बताया गया कि दीनदयाल अंत्योदय योजना के अंतर्गत यूपी में गांव की महिलाओं को प्राकृतिक खेती और Organic Farming के कामों से जोड़ने की पहल की गई है. इसके लिए राज्य में 269 प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से अब तक 7634 कृषि आजीविका सखियों को प्रशिक्षण देकर इसका सत्यापन कार्य भी पूरा कर लिया गया है.

प्रशिक्षित कृष‍ि आजीविका सखियां, राज्य सरकार के विभिन्न सम्बद्ध विभागों से समन्वय कर प्राकृतिक एवं जैविक खेती से जुड़े काम करके अपनी आमदनी भी करेंगी. सरकार को भरोसा है कि इससे खेती के Ecosystem को भी मजबूती मिलेगी. इसके मद्देनजर सभी संबद्ध विभागों को निर्देश दिए गए हैं कि वे आवश्यकतानुसार कृषि आजीविका सखियों को  प्रशिक्षित करने में सहयोग दे सकते हैं.

इसके लिए जारी किए गए आदेश में कहा गया है कि यूपी में  दीनदयाल अंत्योदय योजना के तहत कृषि सखियों को पारंपरिक खेती, बागवानी, रेशम, एवं Water Management के काम सिखाएंगे. इसके एवज में सभी संबंधित विभाग प्रशिक्षित कृषि सखियों को निर्धारित मानदेय भी देंगे. इसके लिए कृषि उत्पादन आयुक्त (APC) द्वारा कृषि विभाग, उद्यान विभाग, रेशम विभाग भूगर्भ जल विभाग सहित ग्राम्य विकास आयुक्त, मंडलायुक्त, एसआरएलएम के मिशन निदेशक, जिलाधिकारियों एवं मुख्य विकास अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश जारी किए गए हैं.

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कृष‍ि सखी बनने की जरूरी शर्तें

विभाग की ओर से बताया गया कि कृष‍ि आजीविका सखी बनने के लिए न्यूनतम योग्यताएं भी निर्धारित की गई हैं. इसके लिए दीनदयाल अन्त्योदय योजना के अंतर्गत गठित महिलाओं के स्वयं सहायता समूह (SHG) की सदस्यों में से चयनित ऐसे सदस्य जिनकी आयु 21 वर्ष से 45 वर्ष तक हो, कृष‍ि आजीविका सखी का प्रशि‍क्षण दिया जाएगा.

इसके लिए वे ही महिलाएं पात्र होंगी जिनके पास खेती के काम करने का अनुभव एवं रुचि हो और वे उत्पादन के क्षेत्र में उम्दा किसान हों. उनके पास खेती के कामों का प्रचार प्रसार करने हेतु न्यूनतम आवश्यक शैक्षणिक योग्यता हो और उन्हें पास के गांवों का भ्रमण करने में कोई बाधा नहीं हो.

गौरतलब है कि प्रश‍िक्षि‍त कृषि सखियों द्वारा संगठन निर्माण और कृषि आधारित आजीविका से जुड़े कार्य किये जाते हैं. इसके एवज में उन्हें नियमानुसार मानदेय भी मिलता है. SRLM की मिशन निदेशक दीपा रंजन ने बताया कि संबंधित विभागों द्वारा आजीविका मिशन के तहत कृषि सखियों को कृषि विस्तार के कार्यों एवं विभाग की योजनाओं में प्राथमिकता के आधार पर लाभार्थी बनाया जायेगा.

रंजन ने बताया कि इसके लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक कृषि आजीविका सखी को तैनात किया जाएगा. जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में प्राकृतिक एवं जैविक खेती को बढ़ावा मिले. साथ ही स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के परिवार की आय में निरंतर वृद्धि हो सके.

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