Dry canals: सूखी नहरों ने किसानों की उम्मीदों पर फेरा पानी, सूखने लगी धान की नर्सरी

Dry canals: सूखी नहरों ने किसानों की उम्मीदों पर फेरा पानी, सूखने लगी धान की नर्सरी

पूर्वांचल धान का कटोरा कहे जाने वाले चंदौली के किसान सूखी नहरों की वजह से निराश है. कभी इन नहरों ने जिले को धान का कटोरा बनने में अपना योगदान दिया लेकिन इस वर्ष सूखी नहरों के चलते किसानों की धान की नर्सरी भी अब सूखने लगी है. वाराणसी मंडल के 4 जिलों में यही हाल है. गाजीपुर ,चंदौली और जौनपुर में भी ज्यादातर नहरों में पानी नहीं है

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Dry canals: सूखी नहरों ने किसानों की उम्मीदों पर फेरा पानी, सूखने लगी धान की नर्सरीसूखी पड़ी है नहरे

पूर्वांचल धान का कटोरा कहे जाने वाले चंदौली के किसान सूखी नहरों की वजह से निराश है. कभी इन नहरों ने जिले को धान का कटोरा बनने में अपना योगदान दिया लेकिन इस वर्ष सूखी नहरों (Dry canals) के चलते किसानों की धान की नर्सरी भी अब सूखने लगी है. वाराणसी मंडल के 4 जिलों में यही हाल है. गाजीपुर ,चंदौली और जौनपुर में भी ज्यादातर नहरों में पानी नहीं है. शारदा सहायक नहर पर आश्रित रहने वाले किसान अब धान की रोपाई के लिए नहरों के पानी का नहीं बल्कि अब मानसून का इंतजार कर रहे हैं. 337 किलोमीटर लंबी नहरों का जाल से किसानों को इन दिनों पानी नहीं मिल पा रहा है.  जिन नहरों में पानी है वहां अंतिम छोर तक पानी नहीं पहुंच पा रहा है.

सूखी नहरों (Dry canals) से टूटी उम्मीदें

शारदा सहायक नहर 337 किलोमीटर लंबा जाल है. यह नहर वाराणसी मंडल के 4 जनपद किसानों के लिए काफी सहायक मानी जाती है लेकिन इस साल सूखी नहर की वजह से किसान की उम्मीदों पर पानी फिर गया है. गाजीपुर जनपद की ज्यादातर नहरे छोटी नदियों पर आश्रित है. वही छोटी नदियों में  इस समय पानी नहीं है. आजमगढ़ जनपद में सूखी नहरों (Dry canals) की वजह से किसान धान की रोपाई नहीं कर पा रहे हैं. वाराणसी के किसान हौसला प्रसाद नहरों में पानी नहीं आने की वजह से परेशान हैं. वही दूसरे किसान अनिल पटेल का कहना है किसान को पानी की जरूरत इस समय सबसे ज्यादा होती है. ऐसे में नहरों ने साथ छोड़ दिया है. कभी पानी आ भी जाता है तो वह नाम मात्र का होता है. ऐसे में पंप लगाकर सिंचाई करनी पड़ती है.

टेल तक नहीं पहुंच रहा है नहरों का पानी

शारदा सहायक नहर वाराणसी जनपद के आठ ब्लॉक में से 5 से होकर गुजरती है. यह नहर पिंडरा, बड़ागांव, हरहुआ ,चिरईगांव और चोलापुर से होकर गुजरती है जिसके चलते यहां की 30000 हेक्टेयर क्षेत्रफल की भूमि सिंचित है. वही शारदा सहायक नहर का पानी टेल तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ रहा है. लखीमपुर खीरी से निकलकर शारदा सहायक नहर जौनपुर होते हुए वाराणसी की सीमा में प्रवेश करती है. इस नहर में  पानी होता तो धान की फ़सल  के लिए संजीवनी का काम करता. किसान राजकुमार का कहना है कि इस बार धान की नर्सरी डालने का समय समाप्त होने को है लेकिन अभी तक नहरों में पानी का पता नहीं है. अब इंद्र देवता की बाट जोह रहे हैं. वैसे सिंचाई विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नहरों का संचालन किया जा रहा है और टेल तक पानी भी पहुंच रहा है.

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करोड़ों के खर्च के बाद भी सूखी पड़ी है नहरें 

वाराणसी मंडल के 4 जनपदों में 1705 किलोमीटर तक  नहरों का जाल फैला हुआ है. इन नहरों से 100000 हेक्टेयर क्षेत्रफल की भूमि की सिंचाई होती है. मिर्जापुर मंडल में 548 नहरों का जाल बिछा है यहां प्रतिवर्ष सिल्ट सफाई के नाम पर एक करोड़ से अधिक की धनराशि खर्च की जाती है लेकिन इसका लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है. क्षेत्र के किसानों का कहना है कि नहरों का पानी समय से नहीं पहुंच पाता है. सोनभद्र के ओबरा, ढूंढी, अनपरा इलाके में किसान नहरों के इंतजाम इसे परेशान हैं. यही हाल आजमगढ़ मंडल का है जहां पर 1700 किलोमीटर नहरों का जाल बिछा हुआ है. नहरों के रखरखाव के नाम पर बड़ी धनराशि खर्च होती है लेकिन इसका फायदा किसानों तक नहीं पहुंच रहा है. अधिशासी अधिकारी विपिन कुमार का कहना है कि शारदा नहर में पानी छोड़ दिया गया है. जल्द ही पानी जौनपुर जनपद के किसानों के खेतों तक पहुंचेगा।

 

 

 

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