उत्तर प्रदेश सरकार के द्वारा प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए पूर्वांचल के सोनभद्र जनपद पर विशेष काम किया जा रहा है. सोनभद्र जनपद में प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर प्राकृतिक खेती के लिए एक-एक मॉडल गांव (Model villages) विकसित किया जाएगा. मॉडल गांव में प्राकृतिक खेती के लिए कृषि विभाग की तरफ से चार बिंदुओं पर काम होगा. अभी पूरे जिले में 50 गांव को मॉडल गांव के रूप में विकसित किया जा रहा है. इन गांव में किसानों को प्राकृतिक खेती करने के साथ-साथ श्री अन्न की खेती करने को भी बढ़ावा देने के किसानों को जागरूक किया जाएगा.
प्राकृतिक खेती के लिए चयन होने वाले मॉडल गांव में भौगोलिक स्थिति को देखते हुए सावा, कोदो,रागी, ज्वार, बाजरा जैसे श्री अन्न की खेती पर भी जोर दिया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद में प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर एक-एक मॉडल गांव का चयन प्राकृतिक खेती के लिए किया जा रहा है. कृषि विभाग ने अभी 50 गांव का चयन मॉडल गांव के रूप में किया है. जिले के उप कृषि निदेशक जयप्रकाश ने बताया कि जिले में 50 मॉडल गांव को विकसित किया जा रहा है जहां पर एग्रीकल्चरल डेवलपमेंट फ्रेमवर्क के चार बिंदुओं पर काम चल रहा है. श्री अन्न की खेती के प्रति किसानों को जागरूक किया जा रहा है. इन मॉडल गांव में जिन चार बिंदुओं पर काम चल रहा है उनमें नॉलेज इन पावरमेंटर, नेचुरल रिसोर्स मैनेजमेंट , इंस्टीट्यूशन सपोर्ट , लाइवलीहुड डायवर्सिफिकेशन शामिल है.
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सोनभद्र में प्राकृतिक खेती के लिए चयन होने वाले मॉडल गांव के किसानों की किस्मत अब बदलने वाली है. इन गांव में सरकार के द्वारा न सिर्फ प्राकृतिक खेती करने के लिए विशेष मदद दी जाएगी बल्कि मोटे अनाज के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए भी किसानों को प्रोत्साहित किया जाएगा. सरकार की इस योजना से किसानों को बड़ा फायदा होगा जिससे उनकी आय में इजाफा होगा. अभी इन मॉडल गांव में 6 पायलट बिंदु के अंतर्गत प्राकृतिक खेती, नैनो यूरिया, मचान, सोलर पंप ,फार्म मशीनरी, फार्म पोंड एवं सोलर पंप को शामिल किया गया है. इसके साथ ही डीएसआर विधि से धान की सीधी बुवाई के बारे में भी किसानों को जानकारी दी जा रही है. जिले के प्रत्येक न्याय पंचायत स्तर पर मॉडल गांव में इन बिंदुओं पर कम होगा.
सोनभद्र जिले के अंतर्गत चयन होने वाले मॉडल गांव में प्राकृतिक विधि से श्री अन्न की खेती का क्षेत्रफल बढ़ाने पर कृषि विभाग का विशेष जोर है. जिले की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए यहां मॉडल गांव में किसानों को सावा, कोदो ,रागी, ज्वार, बाजरा की खेती करने पर प्रोत्साहित किया जा रहा है. श्री अन्न को कम पानी के साथ-साथ कम उर्वरक की आवश्यकता होती है. वही इसकी खेती में रोग किट कम कम लगते हैं. वही मोटे अनाज पोषक तत्वों से भरपूर है. इन अनाजों के उपयोग से डायबिटीज, लीवर , ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियाँ में लाभदायक है.
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