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Budget 2023: प्राकृतिक खेती और ऑर्गेनिक फार्मिंग के ल‍िए बजट में म‍िल सकता है क‍िसानों को तोहफा 

Budget 2023: प्राकृतिक खेती और ऑर्गेनिक फार्मिंग के ल‍िए बजट में म‍िल सकता है क‍िसानों को तोहफा 

Union Budget Expectations: जीरो बजट प्राकृत‍िक खेती के ल‍िए पहले से अध‍िक आर्थिक मदद की उम्मीद कर रहे हैं क‍िसान. खेती करने वालों को आशंका है कि ऐसी खेती करने से रासायन‍िक के मुकाबले कम हो जाएगा उत्पादन. यह रिस्क लेने के लिए किसान चाहते हैं ज्यादा मदद. 

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जीरो बजट प्राकृत‍िक खेती के ल‍िए बजट से क्या म‍िलेगा? (Symbolic Image) जीरो बजट प्राकृत‍िक खेती के ल‍िए बजट से क्या म‍िलेगा? (Symbolic Image)

केम‍िकल फ्री खेती को बढ़ावा देने के ल‍िए आने वाले आम बजट में सरकार कुछ बड़े एलान कर सकती है. इसमें जीरो बजट नेचुरल फार्मिंग और जैव‍िक खेती दोनों आते हैं. पहले सरकार जैव‍िक खेती करने के ल‍िए ज्यादा और प्राकृत‍िक खेती के ल‍िए बहुत कम मदद देती थी. लेक‍िन, इस साल इन दोनों को लेकर व‍िशेष फोकस हो सकता है. क्योंक‍ि अब प्राकृत‍िक खेती पर सरकार का ज्यादा फोकस है. ताक‍ि बहुत कम खर्च वाली खेती का रकबा बढ़ाया जा सके. अभी प्राकृत‍िक खेती का दायरा मुश्क‍िल से 8 लाख और जैव‍िक खेती का रकबा 40 लाख हेक्टेयर ही है. ज‍िसे सरकार बढ़ाना चाहती है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद क‍िसानों से आह्वान क‍िया है क‍ि हर पंचायत में कम से कम एक गांव प्राकृत‍िक खेती की कोशिश करे. 

एक समय था, जब नीतियां स‍िर्फ उत्पादन केंद्रित थी, तब रासायनिक खेती के कारण कृषि उपज में वृद्धि हुई, लेकिन वह तब की परिस्थितियां थीं. अब स्थितियां बदल गई हैं. अब जलवायु परिवर्तन की चुनौती भी सामने है. म‍िट्टी और इंसानों की सेहत पर ध्यान देना जरूरी है. इसल‍िए केम‍िकल फ्री खेती का व‍िस्तार करने पर जोर द‍िया जा रहा है. कृष‍ि क्षेत्र के जानकारों का कहना है क‍ि ऐसी खेती का व‍िस्तार तब होगा जब क‍िसानों को उसके ल‍िए मदद म‍िलेगी. फ‍िलहाल इस ओर सरकार का ध्यान द‍िखाई दे रहा है. हाल ही में मल्टी स्टेट कोऑपरेट‍िव ऑर्गेनिक सोसायटी बनाई गई है और नेचुरल फार्मिंग को बढ़ावा देने के ल‍िए केंद्र ने व‍िशेषज्ञों की कमेटी बनाई है. 

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प्राकृति‍क के ल‍िए अध‍िक मदद की उम्मीद 

प्राकृति‍क और जैव‍िक खेती के पैरोकार देवव्रत शर्मा का कहना है क‍ि सरकार केम‍िकल वाली खेती पर खूब पैसे लुटा रही है लेक‍िन प्राकृत‍िक और जैव‍िक की बस बात हो रही है, उसके ल‍िए क‍िसानों को मदद नहीं दी जा रही. ऐसे में उम्मीद भी है और अनुरोध भी क‍ि पारंपर‍िक कृष‍ि पद्धत‍ि को बढ़ाने के ल‍िए क‍िसानों को मदद देने का कोई बड़ा एलान हो. ऐसा होगा तो बहुत तेजी से केम‍िकल फ्री खेती आगे बढ़ेगी. यह उम्मीद है क‍ि बजट कृष‍ि प्रधान ही रहेगा, क्योंक‍ि जब कोरोना काल में इकोनॉमी डूब रही थी तब उसे एग्रीकल्चर सेक्टर ने ही संभाला था. 

हर‍ियाणा मॉडल चाहते हैं क‍िसान 

दरअसल, जैविक और प्राकृतिक खेती में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिलचस्पी शुरू से ही रही है. वो अक्सर कहते रहते हैं क‍ि धरती मां को रासायनिक खादों और कीटनाशकों से मुक्त करना है. लेक‍िन, कृष‍ि क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि सरकार इस क्षेत्र में कोई इंसेंटिव देगी तभी ऐसी खेती का रकबा बढ़ेगा. क्योंकि किसानों को आशंका है कि इसकी खेती करने से उत्पादन कम हो जाएगा. यह रिस्क लेने के लिए किसान बिना किसी आर्थिक सपोर्ट के तैयार नहीं हैं. इसके ल‍िए केंद्र सरकार हर‍ियाणा के मॉडल को अपना सकती है ज‍िसमें कहा गया है क‍ि प्राकृतिक खेती करने वाले क‍िसानों के घाटे की भरपाई तीन साल तक सरकार करेगी. 

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केम‍िकल फ्री खेती की योजना 

केंद्र सरकार प्राकृतिक और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना संचाल‍ित कर रही है. जीरो बजट प्राकृतिक खेती इसकी सब-स्कीम है. जिसका नाम भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति है. किसानों को इस योजना के तहत प्राकृतिक खेती के लिए 12,200 रुपये प्रति हेक्टेयर की मदद दी जाती है. यह पैसा तीन साल के ल‍िए म‍िलता है. प्राकृत‍िक खेती के ल‍िए बनाई गई केंद्र सरकार की कमेटी में इस बात का मंथन चल रहा है क‍ि क्यों न इसमें से जीरो बजट हटा द‍िया जाए. ताक‍ि ऐसी खेती के ल‍िए क‍िसानों को ज्यादा सरकारी मदद दी जा सके.