
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु तीन दिवसीय दौरे पर बुधवार को बिहार पहुंची. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पटना एयरपोर्ट पर राष्ट्रपति का स्वागत किया. इसके साथ ही राष्ट्रपति ने अपने प्रवास के पहले दिन गांधी मैदान के पास बापू सभागार में बिहार के चतुर्थ कृषि रोड मैप (2023-2028) संस्करण का उद्घाटन किया. इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि विकसित भारत के सपने को पूरा करने में बिहार से बहुत ही उम्मीद है. राष्ट्रपति के रूप में मेरी बिहार की पहली यात्रा भले हो, लेकिन झारखंड की राज्यपाल रहते हुए बिहार की सभ्यता और संस्कृति को काफी नजदीक से देखा है. इसलिए मैं अपने को बिहारी कह सकती हूं क्योंकि मेरा गृह राज्य कभी बिहार का हिस्सा रहा है. राष्ट्रपति ने कहा, आज बिहार कृषि के क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है. पहले कृषि रोड मैप 2008 से लेकर अब तक राज्य दूध, मांस, मछली और सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में काफी अग्रणी है. आगे उन्होंने कहा कि आने वाले समय में मुझे भी अपने गांव जाकर खेती करनी है. क्योंकि मै भी एक किसान की बेटी हूं.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि तीन कृषि रोड मैप में जो कमी रह गई है, उसे चतुर्थ कृषि रोड मैप में पूरा किया जाएगा. आज बिहार मछली उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर हो चुका है. अब केवल कृषि ही नहीं, अब पशुओं पर भी ध्यान दिया जा रहा है. हर आठ से दस पंचायत के बीच पशु अस्पताल खोलने की योजना है. लोगों की सुविधा को लेकर काम किया जाएगा. इसके साथ ही चौथे रोड मैप के दौरान उत्तर बिहार के चौर इलाके के विकास के लिए छह जिलों में काम किया जा रहा है. वहीं आने वाले दिनो में 09 लाख हेक्टेयर चौर इलाकों का विकास किया जाएगा.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने कहा कि बिहार जैसे राज्य की उन्नति के लिए कृषि का विकास जरूरी है. बिहार के किसान खेती में नए प्रयोग करने के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार को विकसित राज्य बनाने के लिए समेकित विकास के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है. बिहार को सभी क्षेत्रों में विकास के एक रोड मैप के तहत आगे बढ़ने की जरूरत है. इसी का एक सफल उदाहरण कृषि रोड मैप है. बिहार हर मामले में विकास करे तो ये मेरे लिए काफी खुशी की बात होगी क्योंकि बिहार को मैं अपना मानती हूं. राष्ट्रपति ने कहा कि बिहार की संस्कृति और सभ्यता काफी समृद्ध रही है. विदेशिया से लेकर कटनी तक के गीतों ने राज्य की एक अलग पहचान बनाई है.
राष्ट्रपति ने कहा कि मैं बिहार आती रहूंगी क्योंकि मुझे भी खेती से जुड़ी जानकारी लेनी है. कृषि रोड मैप में क्या कुछ नया हो रहा है, इसके बारे में भी जानकारी हासिल करनी है. उन्होंने कहा, मैं भी एक किसान की बेटी हूं. राष्ट्रपति के बाद गांव जाकर मुझे भी खेती करनी है. आगे उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कई बार बिहार आने का निमंत्रण दिया है, तो मैं बार-बार बिहार आती रहूंगी. इस राज्य को अपना मानती हूं क्योंकि मेरे कभी पूर्वज यहां रहते थे. मुझे खुशी है कि बिहार सरकार ने जैविक खेती के लिए गंगा किनारे जैविक कॉरिडोर बनवाया है. यहां अब एथेनॉल का भी उत्पादन किया जा रहा है. बिहार में पिछले कुछ सालों में अच्छी बारिश नहीं हुई है. इसके लिए बिहार को नदी, तालाब सहित अन्य जल स्रोतों पर काम करना होगा. इसके साथ ही किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर फिर से कदम बढ़ाने की जरूरत है.
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्य सरकार 2008 से कृषि रोड मैप से जुड़े विकास कार्यों को कर रही है. वहीं आज बिहार दूध, मांस, मछली और सब्जी उत्पादन में अग्रणी है. इसके साथ ही चावल, गेहूं के उत्पादन को लेकर केंद्र सरकार बिहार को कृषि कर्मण पुरस्कार से सम्मानित कर चुकी है. चतुर्थ कृषि रोड मैप लाने को लेकर उन्होंने कहा कि अभी भी रोड मैप में कुछ काम छूट गए हैं जिसे चतुर्थ कृषि रोड मैप में पूरा किया जाएगा. वहीं उन्होंने राज्यपाल से कहा कि आप राज्य में घूमते रहते हैं तो यह आपकी भी ज़िम्मेदारी है कि चतुर्थ रोड मैप के दौरान कामों की समीक्षा करते रहिए. जो कमी हो वह बताइए. रोड मैप को सफल बनाने में सभी को अपने अनुसार काम करना होगा.
बिहार के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ आर्लेकर ने कहा कि चतुर्थ रोड मैप लागू होने के साथ सभी की ज़िम्मेदारी है कि इससे जुड़ी योजनाओं की जानकारी किसानों को मिले. यह कागज तक सीमित नहीं रहना चाहिए. इससे सफल करने के लिए सांसद, विधायक,अधिकारी सभी को अपना समझकर काम करना होगा. वहीं किसानों की आय दोगुनी करने के लिए उन्हें तकनीक के साथ जोड़ना होगा.
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