महाराष्ट्र सरकार ने प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम आशा) के तहत न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) योजनाओं के अध्ययन और क्रियान्वयन के लिए समिति गठित करने का आदेश जारी किया है. समिति यह पता लगाएगी और अध्ययन करेगी कि एमएसपी योजनाओं का फायदा किसानों तक कैसे और कितना पहुंच रहा है. समिति कृषि उपज खरीद प्रक्रिया और मौजूदा ढांचे का भी अध्ययन करेगी राज्य सरकार को सुझाव और सिफारिशें देगी.
केंद्र सरकार ने एकीकृत प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम आशा) योजना को 15वें वित्त आयोग के दौरान 2025-26 तक जारी रखने की मंजूरी दे दी है. पीएम आशा योजना का मकसद कृषि उत्पाद खरीद गतिविधियों को प्रभावी तरीके से लागू करना है. इसके तहत किसानों को उपज का अच्छा दाम देने के साथ ही जरूरी वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करना है.
महाराष्ट्र सरकार ने पीएम आशा के तहत एमएसपी योजनाओं के अध्ययन और कार्यान्वयन के लिए समिति का गठन किया है. एजेंसी के अनुसार राज्य सरकार ने आदेश में कहा है कि समिति एक महीने के भीतर रिपोर्ट पेश करेगी. रिपोर्ट में समिति बताएगी कि राज्य भर में एमएसपी योजनाओं को और प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए क्या किया जाए. खरीद ढांचे का मूल्यांकन कर समिति राज्य सरकार को सुझाव और सिफारिशें देगी. समिति की अध्यक्षता मुंबई में महाराष्ट्र राज्य सहकारी विपणन संघ के प्रबंध निदेशक करेंगे. जबकि मुंबई में नेफेड के प्रबंध निदेशक, पुणे में राज्य के विपणन निदेशक, पुणे में राज्य कृषि विपणन बोर्ड के मुख्य विपणन अधिकारी सहित अन्य इसके सदस्य होंगे.
महाराष्ट्र सरकार ने इस संबंध में राज्य के सहकारिता, विपणन और कपड़ा विभाग ने सोमवार को सरकारी संकल्प (GR) जारी किया है. कृषि उपज की खरीद के लिए मूल्य समर्थन योजना (PSF) और मूल्य स्थिरीकरण योजना (PSS) पीएम आशा के अंतर्गत आती हैं. जीआर में कहा गया है कि अक्टूबर 2018 में केंद्र सरकार के तहत कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने इन योजनाओं को लागू करने के लिए गाइडलाइन जारी की थी.
केंद्र सरकार जरूरी कृषि वस्तुओं के कुल उत्पादन का 25 फीसदी तक एमएसपी पर खरीद की गारंटी देती है. किसानों से उपज खरीद की प्रक्रिया नोडल एजेंसी भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ (नेफेड) करती है. इसके अलावा राज्य स्तरीय नोडल एजेंसियां भी एमएसपी पर उपज खरीद को सुविधाजनक बनाने के लिए जिम्मेदार होती हैं. एजेंसियों को खरीद प्रक्रिया समेत अन्य पहलुओं पर ध्यान केंद्रित करने को कहा गया है.
राज्य सरकार की गाइडलाइन में कहा गया है कि राज्य स्तरीय नोडल एजेंसियों को जरूरी सुविधाओं से लैस खरीद केंद्रों का उचित संगठन सुनिश्चित करना चाहिए और प्रक्रिया की निगरानी करनी चाहिए. जीआर में कहा गया है कि समिति मौजूदा खरीद ढांचे का मूल्यांकन करेगी और राज्य भर में एमएसपी योजनाओं को सुचारू रूप से चलाने के लिए नीतियों की सिफारिश करेगी.
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