PM Rin Portal Launched : भारत सरकार किसानों के लिए नई-नई योजनाओं की शुरुआत करती है. अब गणेश चतुर्थी के दिन मोदी सरकार ने किसानों को बड़ी सौगात दी है. दरअसल किसानों को आसानी से सब्सिडी वाला लोन देने के लिए सरकार ने एक नया पोर्टल लॉन्च किया है. आज दोपहर 2.30 वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसान ऋण पोर्टल को लॉन्च किया है. इसकी मदद से किसानों को लोन लेने में आसानी होगी. मालूम हो कि Kisan Rin Portal को कई सरकारी विभागों के सहयोग से विकसित किया गया है और यह किसान क्रेडिट कार्ड/Kisan Credit Card के अंतर्गत क्रेडिट सेवाओं तक पहुंच प्रदान करेगा. डिजिटल प्लेटफॉर्म PM Kisan Rin Portal, किसान डेटा, लोन वितरण की जानकारी, ब्याज सहायता और योजना की प्रगति के बारे में जानकारी देगा.
किसान क्रेडिट कार्ड के माध्यम से लोन लिए खाताधारकों से जुड़ी जानकारियां अब किसान ऋण पोर्टल पर आसानी से उपलब्ध होंगी. मालूम हो कि ऐसी कोई सुविधा पहले नहीं थी. इसके साथ ही सभी किसान क्रेडिट कार्ड खाताधारकों का वेरिफिकेशन आधार कार्ड के जरिए किया जाएगा. इससे पात्र किसानों को लोन सहायता पहुंचाने में मदद मिलेगी. वहीं, सरकार इस पोर्टल के माध्यम से योजना के लाभार्थियों और चूक गए किसानों का आकलन कर सकेगी.
इसे भी पढ़ें- PM Modi WhatsApp Channel: अब सीधे जनता से जुड़ेंगे पीएम मोदी, लॉन्च हो गया वाट्सऐप चैनल
इसके साथ ही "घर घर केसीसी अभियान" की शुरुआत की गई है. यह भारत में सभी किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) योजना का लाभ प्रदान करने वाला एक महत्वाकांक्षी अभियान है. इस अभियान का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश के सभी किसानों की लोन सुविधाओं तक बिना किसी बाधा के पहुंच हो सके जिससे उनके कृषि कार्य बिना किसी व्यवधान के आसानी से हो सके.
रिपोर्ट्स के मुताबिक 30 मार्च 2023 तक लगभग 7.35 करोड़ केसीसी अकाउंट हैं, जिनकी कुल स्वीकृत रकम 8.85 लाख करोड़ रुपये है. वहीं, सरकारी आंकड़ों के अनुसार, सरकार ने चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अगस्त के दौरान रियायती ब्याज दर पर 6,573.50 करोड़ रुपये का एग्रीकल्चर लोन वितरित किया है. वहीं, केसीसी के लाभ को बढ़ाने के लिए घर-घर केसीसी अभियान शुरू किया गया है. इससे केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी योजना ‘पीएम-किसान’ के गैर-केसीसी धारकों तक लाभ पहुंचेगा.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today