Milk MSP: 38000 से ज्यादा किसानों से दूध खरीदती है हिमाचल सरकार, 51 रुपये लीटर है MSP रेट

Milk MSP: 38000 से ज्यादा किसानों से दूध खरीदती है हिमाचल सरकार, 51 रुपये लीटर है MSP रेट

Himachal News: हिमाचल प्रदेश सरकार किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत करने के लिए एमएसपी पर दूध खरीद रही है. आपको बता दें कि हिमाचल प्रदेश एमएसपी पर दूध खरीदने वाला पहला राज्य बन गया है. यहां के किसानों को 51 रुपये प्रति लीटर का दाम दिया जा रहा है. इससे न सिर्फ किसान आर्थिक रूप से मजबूत होंगे बल्कि गौ पालन को भी बढ़ावा मिलेगा.

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38000 से ज्यादा किसानों से दूध खरीदती है हिमाचल सरकार, 51 रुपये लीटर है MSP रेटहिमाचल सरकार दूध पर देगी किसानों को MSP (MSP On Milk)

Milk MSP: देश में गाय के दूध की मांग हमेशा बनी रहती है. गाय के दूध में पाए जाने वाली पौष्टिक तत्वों की वजह से आज भी इसका क्रेज बना हुआ है. ऐसे में हिमाचल राज्य सरकार 38,000 से ज़्यादा किसानों से गाय का दूध खरीद रही है, जिससे गुणवत्ता मानकों के आधार पर 51 रुपये प्रति लीटर के समर्थन मूल्य पर प्रतिदिन औसतन 2.25 लाख लीटर दूध इकट्ठा हो रहा है. इसके अलावा, लगभग 1,482 भैंस पालक प्रतिदिन 7,800 लीटर दूध का योगदान देते हैं, जिसे 61 रुपये प्रति लीटर की दर से खरीदा जाता है.

मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि डेयरी सुधार केवल उत्पादन के आंकड़ों से कहीं आगे की बात है. उन्होंने कहा, "यह एक स्थायी पारिस्थितिकी तंत्र बनाने के बारे में है जो किसानों को महत्व देता है, गुणवत्ता सुनिश्चित करता है और समावेशी विकास को बढ़ावा देता है."

किसानों को सशक्त बनाने की जरूरत

हिमाचल प्रदेश दूध पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) देने वाला भारत का पहला राज्य है. सरकार के प्रवक्ता ने कहा, "यह कदम पशुधन किसानों को समर्थन देने और ग्रामीण आजीविका को बढ़ाने के लिए सरकार की दृढ़ प्रतिबद्धता को दर्शाता है. पिछले ढाई वर्षों में, सरकार ने डेयरी किसानों को सशक्त बनाने और सहकारी संस्थाओं को मजबूत करने की दिशा में कई सुधार पेश किए हैं."

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चुनौतियों को कम करने की जरूरत

लॉजिस्टिकल चुनौतियों को कम करने के लिए, खास तौर पर पहाड़ी और दूरदराज के इलाकों में, सरकार डेयरी किसानों को 2 रुपये प्रति लीटर की परिवहन सब्सिडी भी दे रही है. इससे बड़ी संख्या में उत्पादकों को लाभ मिलने की उम्मीद है. प्रवक्ता ने कहा, "इससे किसानों की बाजारों तक पहुंच बेहतर हो रही है और सीमांत किसानों के लिए परिवहन लागत भी कम हो रही है."

क्या है हिम गंगा योजना?

उन्होंने आगे कहा कि हिम गंगा योजना, जिसका उद्देश्य जमीनी स्तर पर डेयरी फार्मिंग को बदलना है, राज्य के सबसे महत्वाकांक्षी उपक्रमों में से एक है. योजना के पहले चरण में, गांवों का दौरा करने और जमीनी स्तर पर दूध उत्पादक सहकारी समितियों की स्थापना करने के लिए एक समर्पित समिति का गठन किया गया है.

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बनाई गई नई डेयरी सहकारी समितियां

उन्होंने कहा, ‘‘इस पहल के तहत हमीरपुर और कांगड़ा जिलों में 268 नई डेयरी सहकारी समितियां बनाई गई हैं.’’ इनमें से हमीरपुर में 11 और कांगड़ा में 99 समितियां पहले ही पंजीकृत हो चुकी हैं. उन्होंने कहा कि हमीरपुर में 46 नवगठित समितियों में से 20 महिला नेतृत्व वाली डेयरी सहकारी समितियां हैं, जो ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने पर राज्य सरकार के फोकस को दर्शाती हैं.

इन समितियों से जुड़े 5,166 किसान

कांगड़ा में कुल 222 डेयरी सहकारी समितियां स्थापित की गई हैं. अब तक 5,166 किसानों को इन समितियों से जोड़ा गया है, जिससे संगठित दूध उत्पादन और विपणन में उनकी प्रत्यक्ष भागीदारी सुनिश्चित हुई है.

एक अन्य पहल के तहत सरकार ने बकरी के दूध की खरीद के लिए पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया है. इस पहल के तहत सरकार बकरी पालकों से 70 रुपये प्रति लीटर की दर से दूध खरीद रही है. फिलहाल 15 बकरी पालकों से रोजाना 100 लीटर दूध खरीदा जा रहा है.

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