महाराष्ट्र के अकोला में किसानों के साथ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत इंश्योरेंस कंपनी ने पिछले साल हुई ज्यादा बारिश से फसल के नुकसान का मुआवजा दिया है. लेकिन बीमा कंपनी ने किसानों के खाते में इतनी कम राशि भेजी है जिसने उन्हें राहत की जगह परेशानियां दे दी हैं. किसी किसान को फसल नुकसान के भरपाई का मुआवजा 200 रुपये मिला है तो किसी के अकाउंट में 600 रुपये आए हैं. किसानों को उम्मीद थी कि उन्हें बीमा की रकम से थोड़ी राहत मिलेगी लेकिन उसका उल्टा हुआ है. अब किसान परेशान हैं.
अकोला में पिछले साल प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत ज्यादा बारिश के चलते किसानों को जो नुकसान हुआ था, उसकी भरपाई का सर्वे किया गया था. इसमें किसी को 40 फीसदी तो किसी को 50 फीसदी का नुकसान सर्वे में दिखाया गया था. ऐसे में उन्हें उम्मीद थी कि रकम अच्छी मिलेगी. लेकिन जब बीमा कंपनी की तरफ से किसानों के लिए मुआवजे की रकम आई तो वह उम्मीद से परे थी. किसानों को जो मुआवजा दिया गया है वह बेहद कम है. किसी किसान को सर्वे के आधार पर 23000 मिलने थे लेकिन सिर्फ 189 रुपये आए. किसी को 30 हजार रुपये मिलने थे तो उन्हें सिर्फ 583 रुपए ही मिल सके.
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अकोला के म्हैसांग में रहने वाले आकाश पिंपरे नामक किसान ने 2 एकड़ में चने की फसल की बुवाई गई थी. फरवरी के महीने में हुई मूसलाधार बारिश ने उनकी फसल को चौपट कर दिया. इसके बाद किसान ने इसकी सूचना बीमा कंपनी और कृषि कार्यालय को दी. बीमा कंपनी ने उनके नुकसान का सर्वे भी किया. साथ ही बताया कि उनका नुकसान करीब 45 फीसदी है और किसान के हस्ताक्षर ले लिए. आकाश को उम्मीद थी कि उनको 30000 रुपये मिलेंगे. लेकिन उनके मोबाइल में जो मैसेज आया कि उसके हिसाब से उनके खाते में बस 189 रुपये ही आए थे. मैसेज देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसकी गई.
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एक अकेले आकाश किसान के साथ ही यह वाकया नहीं हुआ है बल्कि जिले के मूर्तिजापुर तहसील के राजुरा गांव में दो एकड़ की जमीन के मालिक किसान रियाजुद्दीन सैयद के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. उनके खेत में भारी बारिश से रबी की चने की फसल का नुकसान हुआ. उन्हें उम्मीद थी कि बीमा कंपनी उन्हें इसका हर्जाना देगी. उन्हें 23000 से ज्यादा की रकम बीमा कंपनी के सर्वे के आधार पर मिलनी थी. उन्हें बीमा कंपनी के पोर्टल पर 583 रुपए का मैसेज दिखाई दिया. इतनी रकम उनके अकाउंट में नुकसान की भरपाई के तौर पर आई थी.
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किसान पिछले दिनों सरकार के साथ-साथ बीमा कंपनी से भी अपनी नाराजगी जताने के लिए कृषि कार्यालय पहुंचे. यहां पर कृषि अधीक्षक की ओर से भी उन्हें कोई सही जवाब नहीं मिला. अब किसान दोहरे संकट में हैं क्योंकि इस साल भी खरीफ मौसम में बुवाई तो कर ली गई है लेकिन बारिश रूठी हुई है. इस वजह से दोबारा बुवाई की नौबत आ गई है. उनकी मानें तो अब दोबारा बुवाई पर फिर से हजारों रुपए खर्च होंगे. अगर बारिश ऐसी ही रूठी रही तो दोबारा बुवाई करने के लिए पैसे कहां से लाए जाएंगे, यह सवाल उन्हें परेशान कर रहा है. किसानो की मानें तो उन्हें उनके हक का पैसा तो मिले.
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इसको लेकर किसान संगठन इन किसानों के साथ खड़ा होकर कृषि अधीक्षक कार्यालय में आंदोलन कर रहा है. इन सरकारी कृषि अधिकारी के जरिये से सरकार और बीमा कंपनी से जवाब मांगा जा रहा है. शेतकरी संघटन किसान नेता चंद्रशेखर गवली ने कहा है कि किसानों का कहना है कि सर्वे के फार्म पर जो रकम लिखी थी, वह तो नहीं मिली उनके साथ बीमा कंपनी और सरकार ने बड़ा मजाक जरूर किया है. किसानों को सरकारी मदद की जरूरत नहीं है लेकिन उन्हें उनके हक के पैसे चाहिए. गवली ने कहा कि अगर सरकार ने किसानों को उनके हक की रकम नहीं दी तो फिर किसान आंदोलन करेंगे.
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