बिहार और बाढ़ का नाता कई सदियों से चला आ रहा है. लेकिन हाल के सालों में राज्य के अंदर बाढ़ का खतरा कम हुआ है. हालांकि अभी तक इसका कोई स्थाई समाधान नहीं हो पाया है. इस साल बाढ़ की विभीषिका से ज्यादा क्षति नहीं होने की वजह से राज्य सरकार ने खुशी व्यक्त की है. राज्य के जल संसाधन विभाग के मंत्री संजय कुमार झा कहते हैं कि सरकार के द्वारा तत्परता से किए गए कार्यों का परिणाम है कि इस साल अगस्त महीने में कोसी नदी से पानी छोड़ने का पिछले 33 वर्षों का रिकॉर्ड टूट गया. उसके बाद भी उत्तर बिहार को बाढ़ की तबाही से बचाने में सरकार सफल रही. मॉनसून सीजन में चौबीसो घंटे हाई अलर्ट का यह परिणाम है.
उत्तर बिहार को बाढ़ के प्रकोप से बचाना है तो इसके लिए नेपाल में हाईडैम का निर्माण जरूरी है. लेकिन पिछले 19 साल बाद भी अब तक डीपीआर ही नहीं बन पाई है जबकि 2004 में ही भारत और नेपाल की संयुक्त समिति बनी थी. वहीं मौसम विभाग ने पूरे देश से साउथ-वेस्ट मॉनसून समाप्त होने की घोषणा कर दी है जिसके बाद से राज्य में बाढ़ की संभावना कम हो गई है.
जल संसाधन विभाग के मंत्री संजय कुमार झा अपने सोशल अकाउंट से जानकारी देते हुए बताते हैं कि अगस्त महीने में कोसी नदी में जलस्राव का पिछले 33 वर्षों का रिकॉर्ड टूट गया है. वहीं इस साल 14 अगस्त की सुबह कोसी बराज से रिकॉर्ड 4 लाख 62 हजार 345 क्यूसेक और गंडक बराज से भी तीन लाख क्यूसेक से ज्यादा पानी छोड़ा गया. उसके बाद भी कोई तटबंध नहीं टूटा. विभाग बाढ़ की तबाही को रोक पाने में सफल रही.
उत्तर बिहार के जिलों में बाढ़ आने की सबसे मुख्य वजह हर साल नेपाल से आने वाली नदियों में बाढ़ है. इनसे होने वाली क्षति को कम करने के लिए बिहार सरकार स्टील शीट पाइलिंग, अत्याधुनिक अर्ली वार्निंग सिस्टम, मैथमेटिकल मॉडलिंग सेंटर, फिजिकल मॉडलिंग सेंटर सहित कई योजनाओं के जरिये काम कर रही है. वहीं पिछले पांच साल (2017-22) के बीच जल संसाधन विभाग ने बाढ़रोधी और बाढ़ सुरक्षात्मक कार्यों पर कुल 8561.62 करोड़ रुपये खर्च किए हैं.
हमें संतोष है कि बिहार में इस वर्ष बाढ़ नियंत्रण में ऐतिहासिक कामयाबी मिली है।
— Sanjay Kumar Jha (@SanjayJhaBihar) October 20, 2023
मौसम विभाग ने पूरे देश से साउथ-वेस्ट मॉनसून समाप्त होने की घोषणा कर दी है। यह बिहार में बाढ़ के प्रभाव को कम करने के लिए जल संसाधन विभाग, बिहार सरकार द्वारा तत्परता से किये जा रहे कार्यों तथा मॉनसून… pic.twitter.com/w4riyXTmZ7
जल संसाधन मंत्री बताते हैं कि दरभंगा जिले में कुशेश्वर स्थान और आसपास का बड़ा इलाका हर साल करीब छह महीने बाढ़ के पानी में डूबा रहता था. फुहिया के पास तीन नदियां (कोसी, कमला बलान और करेह) आपस में मिलती हैं. लेकिन जल संसाधन विभाग के द्वारा तटबंध और एंटी फ्लड स्लूई के निर्माण करवाने से अब उन इलाकों में धान की खेती हो रही है.
मंत्री मनोज कुमार झा के अनुसार उत्तर बिहार में बाढ़ के स्थाई समाधान के लिए नेपाल में हाईडैम का निर्माण जरूरी है. इसको लेकर भारत सरकार और नेपाल के बीच 2004 में डीपीआर बनाने के लिए संयुक्त समिति भी बनी थी. लेकिन अब तक उसका कोई समाधान नहीं हो पाया है. एक अंतरराष्ट्रीय मामला होने की वजह से यह काम दोनों देश के सहयोग से ही आगे बढ़ाया जा सकता है जिसको लेकर बिहार सरकार प्रयास कर रही है कि इस दिशा में सार्थक कदम उठाए जाएं.
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