ग्रामीण क्षेत्र के ज्यादातर किसान कृषि के साथ पशुपालन भी करते हैं और अच्छा लाभ भी कमाते हैं. ऐसे में किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी के लिए पशुपालन बिजनेस की भूमिका महत्वपूर्ण है. यही वजह है कि केंद्र सरकार के अलावा सभी राज्य सरकारें भी किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से पशुपालन बिजनेस को बढ़ावा देने का पहल करती रहती हैं. इसी क्रम में यूपी सरकार भी सूबे में पशुपालन बिजनेस को बढ़ावा दे रही है. दरअसल यूपी में नर और मादा मवेशियों की आबादी के अनुपात को संतुलित करने और दूध उत्पादन बढ़ाने के उद्देश्य से स्वदेशी सेक्स्ड सीमन तकनीक अगले तीन सप्ताह के भीतर लॉन्च होने की संभावना है. वहीं 'मिशन मिलियन सेक्स्ड आर्टिफिशियल इनसेमिनेशन प्रोग्राम' के माध्यम से नर और मादा मवेशियों की आबादी के अनुपात को संतुलित किया जाएगा.
बता दें कि, पशुपालन विभाग ने पशुधन विकास बोर्ड के साथ मिलकर 10 लाख कृत्रिम गर्भाधान कराने का लक्ष्य रखा है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, विभाग के अपर मुख्य सचिव रजनीश दुबे ने कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के विजन को लागू करने के लिए प्रत्येक कीट की लागत को घटाकर 100 रुपये कर दिया गया है, जबकि किट की वास्तविक उत्पादन लागत 800 रुपये के करीब है.
नर पशु का सीमन कृत्रिम ढंग से एकत्रित कर मादा के जननेन्द्रियों (गर्भाशय ग्रीवा) में यंत्र की सहायता से कृत्रिम रूप से पहुंचाना ही कृत्रिम गर्भाधान कहलाता है.
कृत्रिम गर्भाधान किट सब्सिडी पर केवल उन जिलों में प्रदान की जाएगी, जिनमें मवेशियों की आबादी विशेष रूप से बैलों की अधिक है. बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नीरज गुप्ता ने कहा, "बुंदेलखंड क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है, क्योंकि झांसी, बांदा, चित्रकूट, जालौन, हमीरपुर, ललितपुर और महोबा सहित सात जिलों में सांडों की संख्या बहुत अधिक है."
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बता दें कि कम लागत वाली स्वदेशी किट विकसित करने के लिए पशुपालन में विशेषज्ञता रखने वाले वैज्ञानिकों की एक टीम का गठन किया गया है और गुरुवार को लखनऊ में मुख्य सचिव के साथ भविष्य के रोडमैप पर चर्चा की गई.
• पशुपालकों को सांडो की तलाश में भटकना नही पड़ता है.
• कृत्रिम गर्भाधान नस्ल सुधार के लिये एक उपयुक्त विधि है.
• पशुओं की दूध उत्पादकता में वृद्धि
• समय और धन की बचत एवं अच्छे परिणाम
• अच्छी नस्ल के सांडो का सीमन दूर-दूर तक पहुंच जाता है.
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• मादा का दूसरी मादाओं पर चढना एवं दूसरी मादाओं को अपने उपर चढने देना
• पशु का बार-बार रम्भाना या चिखना
• भग क्षेत्र में सूजन तथा संकुचन
• दूध में कमी
• भूख में कमी
• पशु में बेचैनी की प्रवृति दिखाई देना
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