Bonus on MSP : छत्तीसगढ़ में धान के किसानों को मिला बकाया बोनस, एमपी सरकार पर बढ़ा दबाव

Bonus on MSP : छत्तीसगढ़ में धान के किसानों को मिला बकाया बोनस, एमपी सरकार पर बढ़ा दबाव

पंजाब और हरियाणा सहित अन्य राज्यों के किसान अपनी उपज का लाभकारी मूल्य पाने के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP Guarantee का कानून बनाने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं. वहीं दूसरी ओर छत्तीसगढ़ में किसानों को बिना आंदोलन किए ही एमएसपी पर बोनस भी मिल रहा है. किसानों को यह सौगात मोदी की गारंटी के रूप में दी जा रही है.

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केंद्र में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार के लिए एमएसपी पर उपज की खरीद सुनिश्चित करने की मांग कर रहे पंजाब के किसानों का आंदोलन सिरदर्द बन गया है. केंद्र सरकार एमएसपी की गारंटी देने से अर्थव्यवस्था पर असहनीय बोझ पड़ने की दलील देकर इस मांग को अनसुना कर रही है. वहीं भाजपा ने छत्तीसगढ़, एमपी और राजस्थान में हाल ही में संपन्न हुए Assembly Election के दौरान किसानों को गेहूं और धान की एमएसपी पर बोनस भी देने का वादा किया था. इन तीनों राज्यों में भाजपा की सरकार बनने के बाद छत्तीसगढ़ में भाजपा सरकार ने किसानों को बकाया बोनस देना शुरू भी कर दिया है. राज्य के किसानों को दी गई मोदी की गारंटी के रूप में सरकार ने 3100 रुपये प्रति कुंतल की दर से Paddy Procurement कर ली है. इसके साथ ही अब एमपी में भाजपा की मोहन यादव सरकार पर भी इस मांग को पूरा करने का दबाव बढ़ गया है.

छत्तीसगढ़ के किसानों को मिला बोनस

छत्तीसगढ़ में किसानों से चालू खरीफ सीजन में 04 फरवरी को धान की खरीद पूरी होने के बाद मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के निर्देश पर किसानों को बकाया बोनस का पैसा देना भी शुरू कर दिया गया है. सीएमओ की ओर से बताया गया कि चुनावी वादे के अनुरूप किसानों से 3100 रुपये प्रति कुंतल की कीमत पर 21 कुंतल प्रति एकड़ की दर से धान की खरीदी हुई है. इसमें 2185 रुपये प्रति कुंतल एमएसपी के अलावा 915 रुपये प्रति कुंतल की दर से बोनस दिया गया है.

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इसी प्रकार चितालंका गांव के निवासी किसान राजेंद्र सेठिया ने बताया कि 27 कुंतल धान बेचने पर उन्हें भी 2 साल के बोनस के रूप में 64 हजार 640 रुपये मिले हैं. पैसे का उपयोग बच्चे की अच्छी पढ़ाई-लिखाई और उनकी स्कूल फीस भरने के लिए करेंगे। गांव कवलनार की महिला किसान गीता ने भी बोनस राशि मिलने पर मुख्यमंत्री का आभार जताया है.

गौरतलब है कि साय सरकार ने चुनाव में किसानों को वर्ष 2014-15 एवं 2015-16 के दौरान धान का 2 साल का बकाया बोनस देने की भी घोषणा की थी. इसे भी पूरा करते हुए किसानों को उस अवधि का लंबित बोनस गत वर्ष 25 दिसंबर को सीएम साय द्वारा दिया जा चुका है.

एमपी में बढ़ा दबाव

छत्तीसगढ़ में किसानों को बकाया बोनस देने का सिलसिला शुरू होने के बाद अब पड़ोसी राज्य एमपी में भी नवगठित मोहन यादव सरकार पर किसानों को Election Promise के अनुरूप बोनस देने का दबाव बढ़ गया है. एमपी में भी चुनाव के दौरान भाजपा ने मोदी की गारंटी के रूप में गेहूं की खरीद 2700 रुपये प्रति कुंतल और धान की खरीद 3100 रुपये प्रति कुंतल की दर से करने का वादा किया था.

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राज्य में रबी सीजन में गेहूं की सरकारी खरीद के लिए किसानों से पंजीकरण कराया जा रहा है. पंजीकरण के आवेदन में किसानों से एमएसपी पर ही गेहूं की खरीद होने का ज़िक्र किया गया है. सरकार की ओर से इस बात को स्पष्ट नहीं किया गया है कि एमएसपी पर बोनस कब दिया जाएगा.

इसके साथ ही किसानों में सरकार के प्रति गुस्सा बढ़ गया है. इतना ही नहीं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (RSS) के Farmer Organisation भारतीय किसान संघ (BKS) ने सीएम यादव को पत्र लिखकर चुनावी वादे के अनुरूप किसानों को एमएसपी पर बोनस की मांग की है. साथ ही यह मांग पूरी नहीं होने पर BKS ने राज्यव्यापी आंदोलन करने की भी चेतावनी दी है.

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