छत्तीसगढ़ का बस्तर एक नक्सल प्रभावित इलाका है, जहां बुनियादी सुविधाएं मिलना लोगों के लिए बड़ी बात है. क्षेत्र के ज्यादातर किसान खेतों में बिजली की समस्या से जूझते हैं. बिजली नहीं होने के कारण उन्हें सिंचाई में दिक्कत आती है. लेकिन सरकार की 'नियद नेल्लानार योजना' से यहां गांव-गांव में धीरे-धीरे कई किसानों के जीवन में बदलाव आ रहा है. बस्तर के एक किसान सखाराम खेतों में सिंचाई के लिए हैंडपंप पर निर्भर थे, लेकिन उनके गांव में अब सोलर पंप लग गया है, जिससे उनकी जिंदगी बदल गई है.
सखाराम ने कहा कि वे (गांव के किसान) सालों से खेतों में सही गति से पानी पहुंचाने के लिए संघर्ष कर रहे थे. सोलर पंप लगने के बाद से हमारी जिंदगी आसान हो गई है. अब हम बेहतर तरीके से खेती कर पा रहे हैं. बस्तर के रहने एक अन्य ग्रामीण मंटू ने भी यही बात दोहराई.
सखाराम ने बताया कि पहले वे लोग एक ही फसल की खेती करते थे, लेकिन अब कई फसलों की खेती करने से उन्हें फायदा हो रहा है. वह अब चावल के बाद अपनी पांच एकड़ जमीन पर मक्का की खेती कर रहे हैं. बिजली न होने की वजह से कई चुनौतियां रहती थीं, लेकिन अब वह रोजाना 10 घंटे से ज्यादा पंप का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे सब कुछ बदल गया है.
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बता दें कि छत्तीसगढ़ में ग्रामीण बुनियादी ढांचे को बढ़ाने और समुदायों को सशक्त बनाने के लिए राज्य सरकार ने महीनों पहले "नियद नेल्लानार योजना" (आपका समृद्ध गांव) शुरू की है. इस योजना के तहत बस्तर संभाग के बेहद संवेदनशील और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में लोगों तक बुनियादी सुविधाओं और स्थायी ऊर्जा समाधानों की पहुंच बढ़ाना है. इस योजना को ऊर्जा मंत्रालय के तहत छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (CREDA) चला रहा है. मालूम हो कि छत्तीसगढ़ राज्य अक्षय ऊर्जा विकास एजेंसी (CREDA) राज्य में अक्षय ऊर्जा के लिए नोडल एजेंसी है.
विद्युतीकरण के इस स्थायी स्रोत ने निवासियों को कभी न खत्म होने वाले अंधेरे से बाहर निकालने में सफलता हासिल की है. CREDA के सीईओ राजेश राणा ने कहा कि सरकार की ओर से 500 नए सौर प्रतिष्ठानों का प्रस्ताव दिया गया है और रिकॉर्ड समय में हमने जल जीवन मिशन, सौर हाई मास्ट लाइट और किसानों के लिए सौर सुजला योजना सिंचाई पंपों को लागू करने के लिए पेयजल इकाइयों के 100 सौर संयंत्र स्थापित किए हैं. इनसे 11 ऐसे गांव रोशन हुए हैं, जहां आजादी के बाद से बिजली पहुंचने का नामोनिशान नहीं था.
इसके अलावा, इस योजना के तहत इन क्षेत्रों में पीने का पानी निरंतर पहुंच रहा है. नारायणपुर, बीजापुर और सुकमा के दूरदराज के गांवों में चल रहे प्रयासों के साथ, कांकेर में इस पहलू को सफलतापूर्वक लागू किया गया है. यह परियोजना बस्तर संभाग के पांच प्रमुख जिलों में केंद्रित है: कांकेर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, नारायणपुर और सुकमा, जहां ग्रामीण समुदायों की नींव को मजबूत करने के लिए सौर संयंत्र लगाए जा रहे हैं. (सुमी राजप्पन की रिपोर्ट)
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