छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल सरकार ने राजीव गांधी जयंती के अवसर पर महासमंद में भव्य कार्यक्रम आयोजित किया है. इसमें सीएम बघेल राजीव गांधी न्याय योजना की दूसरी किस्त के रूप में 1894 करोड़ रुपये और गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को 15 अगस्त तक की गोबर खरीद के एवज में 9.65 करोड़ रुपये की राशि सीधे उनके बैंक खातों में डीबीटी के माध्यम से जमा करेंगे. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ सरकार ने केंद्र सरकार की पीएम किसान सम्मान निधि की तर्ज पर राजीव गांधी न्याय योजना के तहत किसानों को फसल की लागत के रूप में सालाना 9 हजार रुपये देने की पहल की थी. इस योजना में राज्य के किसानों को अब तक 20,103 करोड़ रूपए की इनपुट सब्सिडी मिल चुकी है.
रविवार को सीएम बघेल राजीव गांधी किसान न्याय योजना की दूसरी किस्त के रूप में 1894 करोड़ 93 लाख रुपये की राशि जारी करेंगे. यह राशि इस योजना के 24 लाख 52 हजार 592 किसानों को डीबीटी के माध्यम से उनके बैंक खातों में भेजी जाएगी. इस योजना के तहत शेष दो किस्तों की राशि के रूप में 4000 करोड़ रुपए लाभार्थी किसानों को आगामी अक्टूबर और मार्च महीने में मिलेंगे.
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राज्य सरकार ने कृषि लागत में कमी लाने और फसल विविधीकरण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खरीफ फसलों के उत्पादक कृषकों को 9 हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से इनपुट सब्सिडी देने के लिए खरीफ वर्ष 2019 में यह योजना शुरू की थी. इस योजना के तहत राज्य के किसानों को अब तक 20 हजार 103 करोड़ रुपये की इनपुट सब्सिडी दी जा चुकी है. रविवार यानी 20 अगस्त को मिलने वाली की दूसरी किस्त की राशि को मिलाकर यह आंकड़ा 21,997 करोड़ 96 लाख रुपये हो जाएगा.
राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत खरीफ वर्ष 2019 के धान उत्पादक 18.43 लाख किसानों को 10 हजार रुपये प्रति एकड़ की दर से 5627 करोड़ 2 लाख रुपये इनपुट सब्सिडी के रूप में दिए गए थे. इसके बाद खरीफ वर्ष 2020 के धान उत्पादक 20.59 लाख किसानों को 5553 करोड़ 8 लाख रुपये दिए गए. इसके बाद साल 2021 से इस योजना में खरीफ सीजन की सभी फसलों के साथ बागवानी फसलों को भी शामिल कर इस योजना का दायरा बढ़ा कर लाभार्थी किसानों को 9 हजार रुपये प्रति वर्ष प्रति एकड़ की दर से इनपुट सब्सिडी दी जा रही है.
वित्तीय वर्ष 2020-21 में जिन किसानों ने धान के बदले अन्य फसलों एवं बागवानी फसलों की खेती करना शुरू किया अथवा वृक्षारोपण किया, उन्हें इस योजना के तहत प्रति एकड़ 10 हजार रुपये की इनपुट सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया. खरीफ वर्ष 2021 में इस योजना के तहत 23.35 लाख कृषकों को 7028 करोड़ रुपये की इनपुट सब्सिडी का भुगतान किया गया.
महासमुंद में राजीव गांधी जयंती समारोह में मुख्यमंत्री गोधन न्याय योजना के हितग्राहियों को भी गोबर खरीद का भुगतान किया जाएगा. इसके तहत अगस्त माह में 15 तारीख तक सरकार को गोबर बेचने वाले किसानों को 9.65 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा. इस योजना में अब तक हितग्राहियों को 541.66 करोड़ रुपये का भुगतान राज्य सरकार द्वारा हो चुका है.
अगस्त माह के भुगतान के रूप में दी जाने वाली राशि में गोबर विक्रेताओं को 4.40 करोड़ रुपये, गौठान समितियों को 3.09 करोड़ रुपये एवं स्वयं सहायता समूहों को 2.16 करोड़ रुपये की लाभांश राशि शामिल हैं. अगस्त माह में 9.65 करोड़ रुपये के भुगतान के साथ ही इस योजना में अब तक किया गया भुगतान 551.31 करोड़ रुपये हो जाएगा.
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अगस्त माह में 1 से 15 अगस्त तक गौठानों से 2.20 लाख कुंतल गोबर की खरीद के एवज में पशुपालकों को 4.40 करोड़ रुपये का ऑनलाइन भुगतान होगा. गौठानों में अब तक 130.54 कुंतल गोबर की खरीदी हो चुकी है. इसके एवज में पशुपालन किसानों को 256.68 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है. 20 अगस्त को 4.40 करोड़ रुपये के भुगतान के साथ ही किसानों को दी गई कुल राशि 261.08 करोड़ रुपये हो जाएगी.
गौरतलब है कि गोधन न्याय योजना के तहत गोबर खरीदी के मामले में गौठान समिति की भागीदारी लगातार बढ़ती जा रही है. कुल संचालित 10287 गौठानों में से 6167 गौठान स्वावलंबी हो चुके हैं, जो स्वयं की राशि से किसानों से गोबर खरीद रहे है. स्वावलंबी गौठानों ने अब तक 73 करोड़ 9 लाख रुपये का गोबर स्वयं अर्जित राशि से खरीदा है. इनके स्वावलंबी होने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 20 अगस्त को गोबर विक्रेताओं को भुगतान की जाने वाली राशि 4.40 करोड़ रुपये में स्वावलंबी गौठानों की भागीदारी 2.82 करोड़ रुपये है. यह राशि कृषि विभाग द्वारा गोबर विक्रेताओं को भुगतान की जाने वाली 1.58 करोड़ रुपये की राशि से लगभग दोगुनी है.
छत्तीसगढ़ सरकार ने 20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व के दिन गोधन न्याय योजना की शुरूआत की थी. इसमें पशुपालकों से 2 रुपये प्रति किग्रा की दर से गोबर की खरीद होती है. पशुधन का संरक्षण करते हुए गांव में रोजगार के नए अवसर सृजित करने वाली इस योजना को देश के अन्य राज्यों ने भी अपनाया है. इसके तहत गौठानों में पशुधन के लिए चारा पानी का प्रबंध होने से पशुपालन और दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिला है. इससे गोवंश की खुली चराई प्रथा पर काफी हद तक रोक लगी है. गोधन न्याय योजना के चलते राज्य में स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण के साथ जैविक खाद के उत्पादन और उपयोग से जैविक खेती को भी बढ़ावा मिला है.
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