महाराष्ट्र के कृषि मंत्री ने एक चौंकाने वाला बयान दिया है. कृषि मंत्री माणिकराव कोकाटे ने कहा है कि लड़की बहन योजना राज्य के खजाने पर बोझ डाल रही है, जिससे कृषि लोन माफी योजना को लागू करने की उसकी क्षमता प्रभावित हो रही है.
पिछली एकनाथ शिंदे की अगुआई वाली सरकार ने पात्र महिलाओं को 1,500 रुपये का मासिक भत्ता देने के लिए पिछले साल अगस्त में लड़की बहन योजना शुरू की थी, जिससे राज्य का सालाना करीब 46,000 करोड़ रुपये बजट बढ़ने की संभावना है.
कहा जाता है कि इस योजना ने नवंबर 2024 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में सत्तारूढ़ महायुति की जीत में अहम भूमिका निभाई है. रविवार को पुणे में पत्रकारों से बात करते हुए कोकाटे ने कहा कि लड़की बहन योजना के कारण पैदा हुई वित्तीय परेशानी ने राज्य के सरप्लस फंड को बढ़ाने की क्षमता रोक दी है, जिसे किसानों के लोन माफ करने के लिए आवंटित किया जाता.
एनसीपी नेता कोकाटे ने कहा, "लड़की बहन योजना से पैदा हुए बोझ ने कृषि लोन माफी के लिए फंड अलग रखने की हमारी क्षमता को प्रभावित किया है. हम वित्तीय स्थिति की समीक्षा कर रहे हैं और एक बार राज्य की आय बढ़ जाए तो हम अगले चार से छह महीनों में लोन माफी योजना के साथ आगे बढ़ेंगे."
इसे लेकर एक दिन पहले भी खबर आई कि महाराष्ट्र सरकार लड़की बहन योजना की समीक्षा करेगी और जिस लाभार्थी को पहले से किसी योजना का लाभ मिलता है, उसका नाम काटा जाएगा. अभी महाराष्ट्र में लड़की बहन योजना के तहत 2.63 करोड़ महिलाओँ को वित्तीय लाभ दिया जाता है. इस योजना का नाम मुख्यमंत्री माझी लड़की बहिन योजना है.
इस योजना को विधानसभा चुनाव से ठीक पहले अगस्त में लागू किया गया था. तब प्रदेश के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे थे जो अभी उप-मुख्यमंत्री हैं. इस स्कीम के तहत महिला लाभार्थियों को हर महीने 1500 रुपये दिए जाते हैं. यहां तक कि विधानसभा चुनाव के प्रचार में तत्कालीन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कहा था कि उनकी सरकार आती है तो 1500 रुपये की राशि को बढ़ाकर 2100 रुपये कर दिया जाएगा.
महिला एवं बाल विकास एवं कल्याण विभाग का अनुमान है कि अन्य स्कीमों का लाभ लेने के कारण 20 लाख से अधिक लाभार्थियों को इस योजना से हटाया जा सकता है. महिला एवं बाल विकास एवं कल्याण मंत्री अदिति तटकरे ने TNIE को बताया, "ये लाभार्थी नमो शेतकरी और प्रत्यक्ष लाभ योजनाओं के तहत भी सूचीबद्ध हैं. हमने इन लाभार्थियों को हटाने और उन लोगों को लाभ देने का फैसला किया जो वास्तव में इसके हकदार हैं."
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