किसानों को प्राकृतिक आपदा से हुए फसल नुकसान की भारपाई के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लाई गई थी, लेकिन कई ऐसे राज्य हैं, जिन्होंने योजना के शुरू होने के कुछ साल बाद ही खुद को इससे बाहर कर लिया. उन राज्यों में वर्तमान समय में यह योजना लागू नहीं है. इसके कारण किसानों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कई ऐसे भी किसान हैं, जिन्होंने फसल बीमा भी कराया, इसके लिए प्रीमियम का भी भुगतान किया, लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद आज भी किसान बीमित राशि मिलने का इंतजार कर रहे हैं. बीमा कंपनी की तरफ से अभी भी आश्वासन ही किसानों को मिल रहा है.
झारखंड के गोड्डा जिले के महागामा प्रखंड अतंर्गत धर्मपुर गांव के एक ऐसे ही किसान हैं, जो पिछले पांच साल से 19 हजार रुपये की मुआवजा राशि मिलने का इंतजार कर रहे हैं. किसान अजय प्रसाद यादव शुरू से ही खेती करते आ रहे हैं, लेकिन 2015 से पहले सिर्फ धान और गेहूं की खेती करते थे. हालांकि इसमें मुनाफा नहीं होता देख 2015 में सब्जी की खेती की शुरुआत की. इसके बाद फिलहाल अपनी दो एकड़ जमीन में सब्जियों की खेती करते हैं. इस तरह से कृषि उनकी आजीविका का प्रमुख स्त्रोत है.
अजय प्रसाद बताते हैं कि उन्होंने साल 2017-18 में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत अपनी दो बीघा जमीन में लगाई गई फसल का बीमा कराया था. इसके लिए उन्होंने 383 रुपये के प्रीमियम का भुगतान भी किया था. यह राशि खरीफ फसल धान के लिए थी. इस राशि के एवज में फसल नुकसान होने पर उन्हें 19182 रुपये का भुगतान किया जाना था. अजय बताते हैं कि उन्हें नुकसान भी हुआ, इसके बाद बीमा राशि देने की घोषणा भी की गई, लेकिन अब तक उन्हें पैसे नहीं मिल हैं. बीमा कंपनी के अधिकारी अभी भी उन्हें आश्वासन दे रहे हैं कि अगस्त से महीने में बीमित राशि का भुगतान कर दिया जाएगा.
धर्मपुर गांव के अजय प्रसाद इकलौते ऐसे किसान नहीं हैंं, जिन्हें अब तक बीमित राशि का भुगतान नहीं हुआ है. उनके पंचायत क्षेत्र में और भी ऐसे किसान हैं, जिन्हे सिर्फ प्रीमियम की राशि का भुगतान किया गया है. अजय प्रसाद को ओरिएंटल इंश्यूरेंस कंपनी की तरफ से 341 रुपये का भुगतान किया गया है. उन्होंने बताया कि महागामा प्रखंड के और भी ऐसे किसानों को वो जानते हैं, जिन्हें बीमित राशि का भुगतान कर दिया गया है. झारखंड ने इस बीमा योजना से खुद को बाहर कर लिया है अजय प्रसाद को इसकी जानकारी नहीं है.
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