झारखंड के किसानों को फिर से प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का लाभ लेने का मौका मिल सकता है. क्योंकि अधिकारिक सूत्रों से यह जानकारी मिल रही है कि झारखंड अगले साल खरीफ सीजन में फसल बीमा योजना से फिर से जुड़ सकता है. जानकारी यह भी मिल रही है कि इसके लिए एक कमिटी बनाई गई जो सभी पहलुओं की जांच कर रही है. दरअसल झारखंड में पिछले साल भयंकर सूखा पड़ा था. इसके कारण खरीफ और रबी दोनों ही फसल सीजन में किसानों को काफी नुकसान हुआ था और वो खेती नहीं कर पाए थे. पर नुकसान के बावजूद उन्हें किसी प्रकार की भारपाई नहीं की गई क्योंकि राज्य सरकार के पास किसानों को हुए नुकसान की भारपाई करने के लिए किसी प्रकार की बीमा योजना नहीं थी.
झारखंड ने वर्ष 2021-21 में खुद को इस योजना सा बाहर कर लिया था. देश में इस योजना की शुरुआत 2016 में हुई थी. योजना शुरु होने के बाद देश के 27 राज्यों और केंद्र शाषित प्रदेश में इसे लागू किया गया था. पर योजना में कमिया बताते हुए एक एक करके कई राज्य इससे बाहर होते चले गए. खास कर ऐसे राज्यों ने इस योजना से खुद को बाहर रखा जो गैर बीजेपी शाषित राज्य थे. इस योजना से कुल सात राज्य बाहर हुए थे. इनमें 2028-19 में बिहार, 2019-20 में पश्चिम बंगाल और 2020-21 में झारखंड सहित सात राज्य शामिल थे.
दरअसल झारखंड में पिछले साल भयंकर सूखा पड़ा था. इस साल भी अल नीनो की आशंका किसानों और सरकार को डरा रही है. ऐसे में राज्य के किसानों के लिए एक ऐसी योजना की जरूरत है जो किसानों के वित्तीय जोखिम को कम करती है. कृषि विभाग से जुड़े अधिकारियों ने कहा कि जब तक कोई राज्य इस योजना को सफलतापूर्वक लागू नहीं करता है तब तक उसे इसके लाभ के बारे में पता नहीं चल पाएगा. मिंट में छपी खबर के अनुसार झारखंड में सूखा पड़ने के कारण राज्य से 9600 करोड़ रुपये कि वित्तीय सहायता मांगी थी. इसके बाद राज्य सरकार और अधिकारियों को लगा कि यह योजना फायदेमंद हो सकती है. तब जाकर फिर से इस योजना में शामिल होने की तैयारी चल रही है इसके लिए एक समिति का भी गठन किया गया है.
गौरतलब है कि इस योजना से बाहर होने के बाद आंध्र प्रदेश फिर से इस योजना में शामिल हो गयाहै. पंजाब ने भी इस योजना से जुड़ने की घोषणा की है. झारखंड के लिए अच्छी बात यह है कि इस योजना के लिए अधिक राशि खर्च नही करनी पड़ेगी क्योंकि इसके अधिकांश क्षेत्र में वन हैं इसके अलावा खनन होता है. अधिकारी ने बताया कि राज्य की कुल सब्सिडी लगभग 350-400 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है, इसमें लगभग 200 करोड़ रुपए किसानों का हिस्सा होगा और 400 करोड़ रुपये केंद्र को भुगतान किया जाएगा. पीएमएफबीवाई के तहत झारखंड के लिए कुल अपेक्षित प्रीमियम लगभग 1,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है.
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