अप्रैल महीने का आज अंतिम दिन है. ठीक इसके 24 घंटे पहले कृषि विभाग ने गरमा और रबी फसलों की क्षति पूर्ति को लेकर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है. हालांकि पूरे अप्रैल महीने में राज्य के अधिकांश जिलों में मौसम की बेरुखी-बारिश, आंधी और ओलावृष्टि के कारण फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है, लेकिन अब तक केवल आठ जिलों की ही सर्वे रिपोर्ट पेश की जा सकी है. विभाग के मंत्री सह उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बीते दिनों ही 24 घंटे के भीतर सभी जिला पदाधिकारियों को रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया था. वहीं, कई गांव के किसान अब भी अधिकारियों के इंतज़ार में हैं, ताकि वे अपनी क्षति की सूचना दे सकें.
कृषि विभाग ने 9, 10 और 14 अप्रैल को बारिश, आंधी और ओलावृष्टि से हुई फसल क्षति को लेकर सुपौल, नालंदा, समस्तीपुर, गया, मधुबनी, नवादा, मधेपुरा और बेगूसराय जिलों के जिला पदाधिकारियों से सर्वे कराया था. इसमें कुल 4,908.53 हेक्टेयर क्षेत्र में 33 परसेंट से अधिक फसल क्षति की पुष्टि हुई है. क्षति की कुल आकलित राशि 8,39,57,775 रुपये आंकी गई है, जिसके लिए राज्य सरकार ने आपदा प्रबंधन विभाग से राशि की मांग की है. राशि मिलते ही प्रभावित किसानों को 'कृषि इनपुट अनुदान योजना' के अंतर्गत डीबीटी के माध्यम से सहायता दी जाएगी.
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उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा ने कहा कि हाल के दिनों में प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में आई आंधी, असामयिक बारिश और ओलावृष्टि के कारण किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचा है. मक्का, गेहूं, गरमा मूंग, उड़द, तिल, मूंगफली, पान, अरहर, सब्जी, केला, प्याज समेत कई उद्यानिक फसलें प्रभावित हुई हैं. उन्होंने कहा, "किसान हमारे अन्नदाता हैं और आपदा की इस घड़ी में सरकार उनके साथ पूरी प्रतिबद्धता से खड़ी है. प्रभावित किसानों को पर्याप्त राहत पहुंचाने के लिए विभाग कटिबद्ध है. गौरतलब हो कि अभी तक कुछ ही जिलों का सर्वे रिपोर्ट आई है, जबकि शेष अन्य जिलों की रिपोर्ट आना बाकी है.
वैशाली जिले के हाजीपुर ब्लॉक के घोसवर गांव निवासी अवधेश कुमार सिंह ने बताया कि आंधी और बारिश की वजह से उनके एक हजार से अधिक केले के पेड़ गिर गए हैं, जिससे उन्हें पांच लाख रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है. उनका कहना है कि सभी पेड़ों में फल लगभग तैयार हो चुके थे, लेकिन कमाई का समय आते-आते पूरी फसल बर्बाद हो गई.
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वहीं, किसान लाल बहादुर ने डेढ़ एकड़ ज़मीन किराए पर लेकर गेहूं की फसल उगाई थी. उन्होंने बताया कि करीब 25 हजार रुपये की लागत आई थी, लेकिन बारिश के कारण उत्पादन काफी कम हुआ है. कुछ फसल तो अब भी खेत में ही पड़ी है. वे सरकार से राहत की उम्मीद लगाए बैठे हैं, लेकिन अब तक कोई अधिकारी हालचाल लेने नहीं पहुंचा है. इन किसानों की तरह कई ऐसे किसान सरकार की ओर नजरें गड़ाए हुए बैठे हैं. देखना होगा कृषि मंत्री और अधिकारी ऐसे किसानों को कब तक राहत पहुंचाते हैं.
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