बिहार में एक फिर जमीन सर्वे की अवधि को बढ़ा दिया गया है. इसकी जानकारी सोमवार को भूमि राजस्व विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार ने दी जानकारी. नई टाइमलाइन के अनुसार, अब विधानसभा चुनाव के बाद तक सर्वे का काम जारी रहेगा. सरकार ने बताया है कि जुलाई 2026 तक जमीन सर्वे का काम पूरा होगा. यह राजस्व विभाग का फैसला है. इस सर्वे की खास बात ये है कि लैंड सर्वे के लिए किसी को आने की जरूरत नहीं है. जो जहां है वही से ऑनलाइन कर सकता है.
45000 हजार गांवों में सर्वे का काम 1 साल में पूरा करने का लक्ष्य है. 1 नहीं तो दो साल में इस काम को पूरा कर लिया जाएगा. 80035 अमीन सिर्फ सर्वे के लिए रखे गए हैं. जमीन सर्वे के पहले चरण के अंतर्गत 20 जिलों में काम अंतिम चरण में है. दूसरे चरण में बाकी के 18 जिला में सर्वेक्षण का काम शुरू हो गया है. लैंड सर्वे के काम को आगे बढ़ाया गया है क्योंकि कई जगह विवाद हो रहा था. लोगों को कठिनाई ना हो, इसके लिए सर्वे के काम को बढ़ाया गया है. अब सर्वे का काम जुलाई 2026 तक खत्म करने का लक्ष्य रखा गया है.
बिहार सरकार ने केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है कि 6 शहरी इलाकों में लैंड सर्वे कराया जाए. इनमें सोनपुर, बक्सर, राजगीर, तारापुर, बांका और डेहरी शामिल हैं. जमीन सर्वे में जमीन मालिक एक बार और अपील कर सकते हैं, इसके लिए कानून बनाया जा रहा है. जनवरी महीने से जमाबंदी आधार से जोड़ा जाएगा.
विधानसभा चुनाव को देखते हुए सर्वे के काम को आगे बढ़ाया गया है. सर्वे के चलते कई लोगों में नाराजगी देखी जा रही है. ब्लॉक और राजस्व दफ्तरों में लोगों की लंबी लाइनें लग रही हैं. वंशावली जैसे काम में भी लोगों का समय लग रहा है जिससे उनकी नाराजगी बढ़ी है. इसे देखते हुए सरकार ने चुनाव के आगे तक इसकी टाइमलाइन बढ़ाने का फैसला किया है. लोगों की नाराजगी को देखते हुए कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हुई है. 1400 राजस्व पदाधिकारियों में 458 के खिलाफ एक्शन हुआ है. साथ ही सरकार ने जांच के लिए ऑनलाइन इंतजाम किए हैं.
इतना ही नहीं, जांच में तेजी लाने के लिए अतिरिक्त अधिकारी लगाए गए हैं. सरकार बोल चुकी है कि सर्वे के लिए किसी को आने की जरूरत नहीं है बल्कि वह व्यक्ति वहीं से ऑनलाइन सर्वे का काम कर सकता है.
अपर मुख्य सचिव ने बताया कि रैयत और जमीन के कम से कम पेपर भी हैं तो वह जमीन बिहार सरकार की नहीं हो सकती. इसके लिए सरकार की तरफ से कई प्रावधान किए गए हैं. वंशावली को लेकर भी सरकार की तरफ से नियम में बदलाव किया गया है. पहले सरपंच से इसे बनवाने का नियम था. फिर इसे बदल कर स्व-लिखित कर दिया गया. अब नए संशोधन के मुताबिक जमीन सर्वे के लिए वंशावली देने की जरूरत नहीं है. अभी तक सरकार सर्वे की टाइमलाइन को तीन बढ़ा चुकी है.(शशिभूषण का इनपुट)
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