मैं राजनेता नहीं, मुझे नहीं आता कैसे बात की जाए...राज्‍यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने अपनी पहली ही स्‍पीच में जीता दिल 

मैं राजनेता नहीं, मुझे नहीं आता कैसे बात की जाए...राज्‍यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने अपनी पहली ही स्‍पीच में जीता दिल 

जानी-मानी लेखिका और समाज सेविका सुधा मूर्ति  ने बुधवार को राज्यसभा में अपना पहला भाषण दिया. वह 14 मार्च को आधिकारिक तौर पर संसद सदस्य बनी थीं. सुधा मूर्ति का भाषण काफी वायरल हो रहा है. लोग उनकी सादगी और बोलने के अंदाज से तारीफ कर रहे हैं. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मूर्ति के भाषण की तारीफ की है.

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मैं राजनेता नहीं, मुझे नहीं आता कैसे बात की जाए...राज्‍यसभा सांसद सुधा मूर्ति ने अपनी पहली ही स्‍पीच में जीता दिल सुधा मूर्ति के पहले भाषण ने जीता दिल

जानी-मानी लेखिका और समाज सेविका सुधा मूर्ति  ने बुधवार को राज्यसभा में अपना पहला भाषण दिया. वह 14 मार्च को आधिकारिक तौर पर संसद सदस्य बनी थीं. सुधा मूर्ति का भाषण काफी वायरल हो रहा है. लोग उनकी सादगी और बोलने के अंदाज से तारीफ कर रहे हैं. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी मूर्ति के भाषण की तारीफ की है. मूर्ति ने अपनी पहली स्‍पीच में महिलाओं से जुड़े दो अहम मसले उठाए. मूर्ति ने महिलाओं के स्‍वास्‍थ्‍य और भारत की सांस्‍कृतिक विरासत को सहेजने के मसले पर राज्‍यसभा को संबोधित किया. 

पांच मिनट की सीमा चैलेंज 

बुधवार को जैसे ही सुधा मूर्ति बोलने के लिए खड़ी हुईं, उन्‍होंने सबसे पहले इस बात को बहुत ही विनम्रता के साथ स्वीकार किया कि वे राजनीतिज्ञ नहीं हैं और मुद्दों के पक्ष या विपक्ष में बोलने की उन्हें आदत नहीं है. उन्‍होंने कहा कि सदन में अधिकांश लोगों से अलग पृष्ठभूमि से आने के कारण  एक पूर्व शिक्षक के रूप में उनके अनुभव ने पांच मिनट की बोलने की सीमा को चुनौतीपूर्ण बना दिया.  उन्होंने अपने भाषण में दो मुख्य मसलों को संबोधित किया. पहला मसला उन्‍होंने महिलाओं के स्वास्थ्य का उठाया. 

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सर्वाइकल कैंसर का जिक्र 

उन्होंने बताया कि कई महिलाएं अक्सर अपने परिवार की देखभाल करते समय अपनी भलाई को अनदेखा कर देती हैं. उन्होंने कहा, 'एक वैक्‍सीन है जो नौ से 14 साल की उम्र के बीच लड़कियों को दी जाती है. इस वैक्‍सीन से सर्वाइकल वैक्‍सीनेशन कहा जाता है. अगर लड़कियां इसे लेती हैं तो कैंसर से बचा जा सकता है.'  उन्होंने बताया कि यह वैक्‍सीन पश्चिमी देशों में 20 साल से मौजूद है और तमिलनाडु में इसके सफल परीक्षण हुए हैं. मूर्ति ने इसे किफायती और सस्‍ती दरों पर उपलब्‍ध कराने के लिए सरकार के हस्तक्षेप की उम्मीद जताई. 

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सांस्‍कृतिक विरासत पर की बात 

भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का जिक्र करते हुए मूर्ति ने कहा कि कई महत्वपूर्ण स्थलों को विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता नहीं दी गई है. उनका कहना था कि ऐसा करने से पर्यटन और राजस्व को बढ़ावा मिलेगा. मूर्ति ने कर्नाटक के श्रवणबेलगोला में बाहुबली की मूर्ति, मध्य प्रदेश के मांडू में स्मारक और त्रिपुरा में उनाकोटी का उदाहरण दिया. उन्‍होंने कहा कि इन स्थानों को पर्यटकों के लिए और अधिक आकर्षक बनाने के लिए टॉयलेट्स और सड़क जैसी बेहतर सुविधाओं की अपील की.  

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मूर्ति ने मिजोरम में प्राकृतिक रूट ब्रिज और कश्मीर में मुगल गार्डन के बारे में भी बात की. उन्‍होंने कहा, 'कश्मीर में खूबसूरत मुगल गार्डन हैं. हम हमेशा फिल्म की शूटिंग देखने जाते हैं, लेकिन हमें कभी एहसास नहीं होता कि वे विश्व धरोहर स्थलों में नहीं हैं. पैकेज बहुत अच्छे से बनाया जाना चाहिए ताकि लोग आकर उन्हें देख सकें.' 

महिला दिवस पर हुई थीं नॉमिनेट 

अपने भाषण के अंत में मूर्ति ने अपने दादा का एक श्लोक साझा किया, जिसमें देश की सेवा में समर्पण और एकता के महत्व पर प्रकाश डाला गया. मूर्ति को अंतरराष्‍ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राज्यसभा के लिए नामिनेट किया था. भारत के राष्ट्रपति कला, साहित्य, विज्ञान और सामाजिक सेवाओं में उनके योगदान के लिए उच्च सदन में 12 सदस्यों को नामित करते हैं. 

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