शनिवार को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट 2025-26 के लिए इनपुट और सुझाव लेने के लिए कई किसान संगठनों और मुख्य कृषि अर्थशास्त्रियों के साथ एक प्री-बजट मीटिंग की. इसमें वित्त मंत्रालय के विशेषज्ञ, उद्योग जगत के लीडर्स, अर्थशास्त्री और राज्य के अधिकारियों शामिल हुए. इस परामर्श बैठक में भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) ने केंद्रीय बजट 2025-26 से पहले कई मांगें उठाई हैं. बैठक में भारतीय किसान यूनियन (अराजनैतिक) के राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक शामिल हुए.
धर्मेंद्र मलिक ने किसानों का पक्ष रखते हुए वित्त मंत्री से कृषि उपकरण (मशीनरी), पशु और मुर्गी चारा, खाद-बीज, दवाइयों को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने की मांग की है. किसान संगठन ने सरकार को दिए अपने सुझाव को लेकर तर्क दिया कि जब राज्यों में सेल्स टैक्स की व्यवस्था थी, तब भी किसान की जरूरतों से जुड़ी चीजें टैक्स-फ्री थे. बीकेयू (अराजनैतिक) ने कहा कि एग्रीकल्चर सेक्टर सबसे ज्यादा रोजगार पैदा करता है, लेकिन फिर भी यह सेक्टर लंबे समय से इसकी अनदेखी हो रही है.
बीकेयू ने सरकार से फसलों पर एमएसपी देने के फॉर्मूले में सुधार करने की भी मांग रखी है. बीकेयू ने कहा कि एमएसपी तय करते समय संभावित जोखिमों - कटाई के बाद के होने वाले खर्च और नुकसान जैसे- सफाई, ग्रेडिंग, पैकेजिंग, ट्रांसपोर्ट, सरकार द्वारा अपने कृषि उत्पादों को खुले बाजार में बेचने के कारण कीमतों में गिरावट का जोखिम, प्राकृतिक आपदा, निर्यात प्रतिबंध आदि को भी शामिल किया जाना चाहिए.
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बीकेयू ने वित्त मंत्री सीतारमण के सामने यह भी सुझाव दिया कि किसी भी हाल में एग्रीकल्चर प्रोडक्ट्स न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमत पर इंपोर्ट नहीं किए जाने चाहिए. साथ ही, न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) का कोई भी अधिरोपण सिर्फ आपातकालीन स्थितियों में ही होना चाहिए.
किसान संघ ने सभी प्रमुख फल और सब्जियां, दूध और शहद को न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के दायरे में लाने का भी सुझाव दिया है. इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत छोटे किसानों के लिए बीमा प्रीमियम शून्य करने की मांग की है, ताकि वे बीमा योजना का लाभ उठा सकें.
वहीं, पीएम किसान किस्त की राशि मौजूदा 6,000 रुपये से बढ़ाकर 12,000 रुपये सालाना की जानी चाहिए. एग्री सेक्टर को पुनर्जीवित करने के लिए लंबी अवधि के कृषि लोन देने की जरूरत बताई. बीकेयू ने सुझाव दिया कि किसानों को कृषि लोन और कृषि उपकरण लोन 1 प्रतिशत ब्याज दर पर दिए जाने चाहिए. ये लोन कम से कम उन किसानों को तो दिए जाने चाहिए जिनका पिछला लोन चुकाने का रिकॉर्ड अच्छा है.
अन्य सुझाव देते हुए बीकेयू ने कहा कि खेती को संविधान की सातवीं अनुसूची की समवर्ती सूची में शामिल किया जाना चाहिए और भारतीय प्रशासनिक सेवा की तर्ज पर भारतीय कृषि सेवा का एक सेंट्रल कैडर बनाया जाना चाहिए. बीकेयू ने किसानों को मंडियों में ग्रेडिंग, पैकेजिंग और ब्रांडिंग की सुविधाएं देने की मांग भी रखी है. (एएनआई)
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